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Lok Sabha election 2024: बेटों के लिए बिहार, बेटियों के लिए देश? ये है लालू नीति!

Loksabha election 2024: लालू परिवार की रणनीति लोकसभा और विधानसभा चुनाव के दौरान अलग-अलग होती है. ऐसे में अब तक का ट्रेंड क्या है और इस पर राजनीतिक जानकारों का क्या कहना है आइये जानते हैं.

Loksabha election 2024: लोकसभा चुनाव में इस बार लालू प्रसाद यादव की दो बेटियां सियासी समर में उतरी हैं, वैसे ही जैसे बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान उनके बेटे ताल ठोकते नजर आ रहे थे. इसे सियासत में लालू परिवार के दबदबे का विस्तार माना ही जा सकता है. लालू परिवार की इस रणनीति की क्या वजह है? क्यों राज्य के चुनाव में बेटों पर यकीन और लोकसभा चुनाव में बेटियों पर भरोसा करते हैं लालू प्रसाद ?

Loksabha election 2024: लालू परिवार की सियासी पारी काफी लंबी है. सबसे पहले एक नजर डालते हैं उनकी पत्नी राबड़ी देवी, बेटे तेजस्वी यादव व तेजप्रताप, बेटी मीसा भारती के अब तक के राजनीतिक सफर पर.

मीसा भारती

मीसा भारती के राजनीतिक जीवन की शुरुआत 2014 में हुई. लालू प्रसाद व राबड़ी देवी की पुत्री मीसा को राजनीति विरासत में ही मिली. पार्टी ने उन्हें पाटलिपुत्र लोकसभा क्षेत्र से रामकृपाल यादव के विरुद्ध खड़ा किया. हालांकि एमपी के चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा. इसके बाद वे पार्टी की विभिन्न गतिविधियों में सक्रिय रहीं. 2018 में उन्हें विधानसभा समिति का मेंबर बनाया गया. इससे पहले वे विदेश मंत्रालय की सलाहकार समिति की मेंबर भी रहीं. 2016 में पार्टी ने उन्हें राज्यसभा भेजा था. राज्यसभा में वह अपनी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल की मुख्य सचेतक रहीं. खाद्य उपभोक्ता मामले एवं सार्वजनिक वितरण समिति की वह मेंबर रही हैं. आरजेडी की राज्यसभा सांसद मीसा भारती पाटलिपुत्र से एक बार फिर आरजेडी प्रत्याशी हैं. वे लोकसभा चुनाव लड़ रही हैं. इस चुनाव में मीसा भारती राजद के लिए प्रचारक का जिम्मा भी उठा रही हैं.

रोहिणी आचार्य

अपने पिता लालू प्रसाद को किडनी देकर 2022 में सुर्खियों में आईं. रोहिणी आचार्य ने अब खुले तौर पर राजनीति में डेब्यू किया है. सिर्फ सोशल मीडिया पर पार्टी का समय-समय पर स्टैंड रखने वाली और अपने बयानों से चर्चा में रहीं रोहिणी आचार्य लोकसभा चुनाव से राजनीति के मैदान में खुलकर सामने हैं. सारण से उन्होंने अपने चुनावी अभियान का आगाज किया है. वह विभिन्न सभाओं और नुक्कड़-चौराहों पर अपने समर्थकों के साथ देखी जा रही हैं. एक सप्ताह पहले शुरू उनके चुनावी अभियान में समर्थकों का जोश काफी हाई देखा गया. फूलों की बरसात के बीच सारण में उनका स्वागत किया गया. सिंगापुर बेस्ड रोहिणी आचार्य डॉक्टर भी हैं. सारण लोकसभा क्षेत्र से उनके प्रतिद्वंदी भाजपा के राजीव प्रताप रूड़ी हैं, जो अपनी पार्टी के एक बड़ा चेहरा माने जाते हैं.

राबड़ी देवी

बिहार की एक आम गृहणी से मुख्यमंत्री तक का सफर तय करने वाली राबड़ी देवी का मुख्यमंत्री बनना एक महज संयोग था. लालू प्रसाद के चारा घोटाले में जेल जाने की वजह से उन्हें बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई गई. उसके बाद वे तीन बार बिहार की मुख्यमंत्री रहीं. 25 जुलाई 1997 को पहली बार उन्हें मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई गई. मुख्यमंत्री का तीसरा कार्यकाल पूर्ण कार्यकाल रहा. 2005 में वैशाली जिले के राघोपुर विधानसभा क्षेत्र से उन्होंने जीत दर्ज की थी. राबड़ी देवी ने लोकसभा चुनाव में भी 2014 में किस्मत आजमाया था. सारण लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा, पर उन्हें हार का सामना करना पड़ा. बिहार राज्य की पहली महिला मुख्यमंत्री राबड़ी देवी पर मुख्यमंत्री रहते हुए दफ्तर न जाने और विधानसभा में सवालों का जवाब न देने का आरोप भी विपक्ष लगाता रहा है. फिलहाल वे सक्रिय राजनीति में हैं और लोकसभा चुनाव में पार्टी के लिए काम कर रही हैं.


तेजस्वी यादव

2012 तक दिल्ली की आईपीएल टीम का हिस्सा रहे तेजस्वी यादव अब लालू प्रसाद की विरासत को राजद में आगे बढ़ा रहे हैं. लालू प्रसाद के सक्रिय राजनीति में होते हुए भी राजद के कर्णधार के रूप में अपनी बेहतर छवि बना चुके तेजस्वी बिहार के उपमुख्यमंत्री भी रह चुके हैं. फिलहाल वह लोकसभा चुनाव में अपने दल के कैंपेन को लीड कर रहे हैं. 2015 में वे महागठबंधन सरकार में पहली बार बिहार के उपमुख्यमंत्री बने. वे राघोपुर विधानसभा सीट से चुनाव लड़कर जीते थे. चारा घोटाले में दोषी करार दिए जाने के बाद लालू प्रसाद पर चुनाव लड़ने पर रोक लगा दी गई थी, जिसके बाद तेजस्वी ने विधानसभा चुनाव लड़ा था. हालांकि सक्रिय राजनीति में तेजस्वी काफी पहले से थे. वह अपने बड़े भाई तेज प्रताप के साथ विभिन्न चुनावों में राजनीतिक सभाएं भी करते थे. महागठबंधन सरकार से नीतीश के बाहर होने के बाद तेजस्वी ने जन विश्वास यात्रा निकालकर लोकसभा चुनाव से ऐन पहले बिहार के विभिन्न जिलों में सभाएं की और समर्थकों को एकजुट करने का प्रयास किया.

तेजप्रताप यादव

महागठबंधन सरकार में मंत्री पद का दायित्व निभा चुके तेज प्रताप यादव पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद और राबड़ी देवी के बड़े बेटे हैं. 2015 में वे महुआ विधानसभा क्षेत्र से विधायक के रूप में चुने गए थे. मैट्रिक पास तेज प्रताप अपने बयानों की वजह से चर्चा में रहते हैं. सक्रिय राजनीति में यह 2013 में तब आए जब गांधी मैदान में हुई महागठबंधन की रैली में उनके पिता लालू प्रसाद ने इनको और उनके छोटे भाई तेजस्वी यादव को जन समुदाय से परिचित कराया. हालांकि उसके पहले भी पार्टी की राजनीतिक सभाओं में जाते रहे थे. घूमने फिरने के शौकीन तेज प्रताप यादव श्री कृष्ण के भक्त हैं. कई बार वे कृष्ण का वेश धारण कर अपने समर्थकों को चौंकाते रहे हैं. तेज प्रताप को ब्लॉगिंग का भी शौक है. पीएम मोदी के विरुद्ध दिए बयान से काफी कंट्रोवर्सी हुई थी.

लालू परिवार
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स्थापित करने की कोशिश

इस मुद्दे पर राजनीतिक विश्लेषक प्रियदर्शी रंजन का कहना है कि लालू यादव लोकसभा चुनाव में अपने पुत्रियों को टिकट देकर अपने परिवार के भीतर उपज रहे असंतोष के बीच तेजस्वी और तेज के ताज को निष्कंटक रखना चाहते हैं.असल में लालू-राबड़ी की नौ संतानों के बीच मुख्य राजनीतिक उत्तराधिकारी के तौर पर तेजस्वी यादव की ताजपोशी हो चुकी है. वहीं तेज प्रताप को उनके बैकअप के तौर पर रखा गया है. मगर बाकी बचे राजनीतिक हिस्सेदारी को लेकर लालू-राबड़ी की अन्य सात संतानों के बीच रार ठनी हुई है. मीसा भारती ने राज्यसभा की सदस्य होने के बाद भी पाटलिपुत्र संसदीय क्षेत्र से अपना दावा नहीं छोड़ा तो वहीं एक अन्य पुत्री रोहिणी आचार्य ने भी राजद से छपरा लोकसभा का टिकट प्राप्त कर लिया है. प्रियदर्शी बताते हैं कि लालू भी बेटियों की महत्वकांक्षा को ध्यान में रख एक तीर से दो निशाने साध रहे हैं. एक तो बेटियों को लोकसभा में भेजने से उनका परिवार पुष्ट हो रहा हैं. वहीं दूसरी ओर बेटियों के लोकसभा की राजनीति में व्यस्त होने से बिहार में तेजस्वी और तेज को परिवार के भीतर से उभर कर चुनौती देने वालो क्षेत्रीय क्षत्रप की आशंका भी कुंद हो रही है.

वहीं इस मुद्दे पर वरिष्ठ पत्रकार अरूण पांडे का कहना है कि बिहार की संस्कृति ऐसी रही है कि यहां लोग पहले बेटों को ही स्थापित करने की सोचते हैं. राजनीति भी इससे अलग नहीं है. लालू प्रसाद ने अपने परिवार में पहले बेटों के बारे में सोचा. बेटों को स्थापित कर चुके तो उसके बाद उन्होंने बेटियों की तरफ ध्यान दिया. मीसा भारती तो लगातार चुनाव हारती आ रही हैं तो अब उन्होंने रोहिणी आचार्य पर दांव लगाया है.

आरजेडी है जनता की पार्टी

लालू परिवार के इस समीकरण पर आरजेडी के प्रवक्ता शक्ति सिंह यादव ने कहा कि आरजेडी जनता की पार्टी है. कौन ऐसी पार्टी है जो परिवार को शामिल नहीं करती है. हम अपने परिवार को इसलिए सामने रखते हैं क्योंकि ये जनता की मांग है. हमारी जनता चाहती है कि उनका नेता उनका अपना हो. जनता की मांग के अनुसार ही आरजेडी ये फैसला करती आई है.

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