नोबेल पुरस्कार विजेता जेम्स ए रॉबिंसन से ताइपेई में हुआ विशेष संवाद
बड़हिया. कृत्रिम बुद्धिमत्ता, कर्मचारी स्थायित्व और कॉरपोरेट प्रशासन जैसे समसामयिक विषयों पर शोध कर रहे बड़हिया के दानी टोला निवासी सुमन कुमार ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर क्षेत्र का नाम गौरवान्वित किया है. ताइवान की राजधानी ताइपेई स्थित ताइपेई अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन केंद्र में आयोजित 2025 मास्टर फोरम के दौरान उन्हें वर्ष 2024 के नोबेल अर्थशास्त्र पुरस्कार विजेता प्रोफेसर जेम्स ए रॉबिंसन से आमने-सामने संवाद का दुर्लभ अवसर प्राप्त हुआ. इस प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय मंच पर छह देशों से आये 30 से अधिक शिक्षकों और शोधार्थियों ने भाग लिया. इनमें भारत से सुमन कुमार का चयन किया जाना एक महत्वपूर्ण उपलब्धि माना जा रहा है. संवाद के दौरान सुमन कुमार ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता के बढ़ते उपयोग, कर्मचारियों की भागीदारी (कर्मचारी अभिव्यक्ति) और कॉरपोरेट निर्णय-प्रक्रिया में श्रमिकों की भूमिका से जुड़े शोधपरक प्रश्न रखे. उनके तार्किक विश्लेषण और विषय की गहन समझ से प्रभावित होकर प्रोफेसर रॉबिंसन ने उनके शोध दृष्टिकोण की सराहना की. प्रो. रॉबिंसन ने इस अवसर पर कहा कि पश्चिमी देशों में बढ़ती आर्थिक असमानता के पीछे कमजोर कॉरपोरेट प्रशासन एक प्रमुख कारण रहा है. उन्होंने विशेष रूप से अमेरिका का उदाहरण देते हुए बताया कि श्रमिक संघों के कमजोर पड़ने और प्रबंधन संरचनाओं में बदलाव के कारण कर्मचारियों की निर्णय-प्रक्रिया में भागीदारी लगातार सीमित होती चली गयी है. इससे कृत्रिम बुद्धिमत्ता जैसे उभरते विषयों पर संतुलित और समावेशी नीति निर्माण कठिन हो गया है. सुमन कुमार वर्तमान में ताइवान की एशिया विश्वविद्यालय में व्यवसाय प्रशासन विषय में शोध उपाधि (पीएचडी) कर रहे हैं. इससे पूर्व वे एक्सेंचर जैसी बहुराष्ट्रीय कंपनी में तीन वर्षों से अधिक समय तक कार्य कर चुके हैं. इस दौरान उन्हें कार्यस्थल से जुड़ी चुनौतियों जैसे कार्य-दबाव, आंकड़ा गोपनीयता, प्रबंधन असमानता और कर्मचारी कल्याण को नजदीक से समझने का अवसर मिला. शोध अध्ययन के दौरान ही उनका शोध-पत्र स्कोपस सूचीबद्ध प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय शोध पत्रिका में प्रकाशित होना उनकी अकादमिक क्षमता को दर्शाता है. सुमन कुमार, बड़हिया वार्ड संख्या 12 दानी टोला निवासी स्व. रामचंद्र प्रसाद सिंह के पौत्र हैं और वे पूर्व में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से भी संबद्ध रह चुके हैं. सुमन कुमार ने कहा कि उनका लक्ष्य केवल शैक्षणिक उपलब्धियों तक सीमित नहीं है, बल्कि वे अपने गांव, समाज और देश के युवाओं को मार्गदर्शन देकर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करना चाहते हैं. उन्होंने स्पष्ट किया कि करियर परामर्श या शैक्षणिक मार्गदर्शन की आवश्यकता वाले विद्यार्थियों के लिए वे सदैव उपलब्ध रहेंगे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

