सूर्यगढ़ा. बिहार में इस वर्ष 13 मार्च को होलिका दहन होगा. इस दिन 10 बजकर 45 मिनट रात्रि के बाद होलिका दहन का शुभ मुहूर्त है. ज्योतिषाचार्य सह राष्ट्रीय कथा वाचक उमाशंकर व्यास जी ने बताया कि शास्त्र के अनुसार भद्रा में दो काम करना निषिद्ध माना गया. एक रक्षाबंधन और दूसरा होलिका दहन. रक्षाबंधन मनाने पर राज का नाश होता है, जबकि होलिका दहन करने से गांवों में अग्नि दहन होता है. इसलिए 10 बजकर 45 मिनट के बाद भद्रा समाप्ति के बाद होलिका दहन करना धर्म शास्त्रों के अनुसार उचित है. 14 मार्च को पूर्णिमा तिथि रहेगी. अत: स्नान, दान और अपने इष्ट देवी-देवताओं को सिंदूर, विशेष भाग अर्पित किया जायेगा. 15 को प्रात: काल में होलिका का भस्म धारण कर उत्साह, उमंग और सौहार्द पूर्वक होली खेली जायेगी. इधर, विनय पांडेय के मुताबिक बनारस पंचांग के अनुसार सूर्यगढ़ा क्षेत्र में 15 मार्च को होली मनायी जायेगी.
लोगों में बनी है संशय की स्थिति
ज्योतिषाचार्य उमाशंकर व्यास जी ने बताया कि होली को लेकर लोगो में संशय की स्थिति बनी हुई है, लेकिन होलिका दहन को लेकर मिथिला एवं बनारस दोनों ही पंचांग में 13 मार्च गुरुवार को बताया गया है. फाल्गुन शुक्ल की पूर्णिमा दो दिन होने से होलिका दहन के एक दिन बाद होली का पर्व मनाया जायेगा. फाल्गुन पूर्णिमा का व्रत 13 मार्च को तथा स्नान-दान की पूर्णिमा 14 मार्च को होगी. फाल्गुन की पूर्णिमा गुरुवार की सुबह 10 बजकर 11 मिनट से शुरू हो रहा है और भद्रा भी उसी समय से आरंभ हो रहा है. 14 मार्च को पूर्णिमा तिथि दोपहर 11 बजकर 22 मिनट तक ही है. उन्होंने बताया कि ज्योतिष शास्त्र के अनुसार होलिका दहन को लेकर शास्त्रों में तीन नियम बताये गये हैं. पहला पूर्णिमा तिथि, दूसरा भद्रा मुक्त काल व तीसरा रात्रि का समय होना चाहिए. रंगोत्सव का पर्व होली उदय व्यापिनी चैत्र कृष्ण प्रतिपदा में मनाया जाता है. प्रेम, सौहार्द, भाईचारा का प्रतीक व रंगों का पर्व होली चैत्र कृष्ण प्रतिपदा 15 मार्च शनिवार को मनायी जायेगी.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है