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कजरा में आज भी मूलभूत सुविधाओं का टोटा

कजरा में आज भी मूलभूत सुविधाओं का टोटा

कजरा. प्रखंड मुख्यालय से 15 किलोमीटर व जिला मुख्यालय से 25 किलोमीटर दूर कजरा बाजार आज भी विकास की राह देख रहा है. ये वही कजरा है, जो रेलवे स्टेशन से जुड़ा है, जहां शिक्षा का ब्लाॅक, स्थायी एसएसबी कैंप, विद्युत विभाग का जेई ऑफिस, वन विभाग का अपना ऑफिस, जिला में एकमात्र नर्सरी कजरा में, जलप्पा स्थान महज आठ किलोमीटर व श्रृंगीश्रृषि 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, जलवा पहाड़ व सोलर पावर प्लांट बनाया जा रहा है. रेल व रोड दोनो मार्ग से जुड़ा है पर आजादी के 77 वर्ष बाद भी विकास के लिए मोहताज है.

कजरा बाजार में नहीं है पेयजल की व्यवस्था

लगभग 50 हजार की आबादी वाला क्षेत्र का एकलौता बाजार कजरा है. जहां पीने की पानी की समस्या है. बाजार में खरीदारी करने आने वाले लोगों को प्यास लगने पर पानी खरीद कर पीना पड़ता है. बाजार में कही भी प्याऊ नहीं होने के कारण काफी परेशानी होती है.

कजरा बाजार में नहीं है शौचालय की व्यवस्था

कजरा बाजार जो पांच पंचायतों का एकलौता बाजार है, जहां सार्वजनिक शौचालय की व्यवस्था नहीं है. यहां बाजार करने आने वाले लोगों को खासकर महिलाओं को शौचालय नहीं होने के कारण काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है. इस बार हमारे नेताजी से यही मांग है.

ट्रेनों के ठहराव की समस्या

अंग्रेजों द्वारा स्थापित जमालपुर किउल रेलखंड पर कजरा व धरहरा को प्रमुख स्टेशन बनाया गया. बाद में अभयपुर व अन्य स्टेशन को स्थापित किया गया, परंतु आज भी लंबी दूरी के ट्रेनों का ठहराव कजरा में नहीं है, जिस कारण दूर प्रदेश जाने वाले काम करने वाले सभी वर्ग के लोगो को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है.

घंटों जाम की समस्या से परेशान रहता है कजरा वासी

कजरा रेलवे समपार फाटक बंद होने से जहां जाम की समस्या हो जाती है. वहीं कजरा बाजार में अतिक्रमनकारियों का भी दबदबा बना हुआ है. जिसके कारण जाम की समस्या बढ़ जाती है. कजरा समपार फाटक घंटो लगातार बंद होने के कारण एम्बुलेंस ले जा रहे मरीजो व परिजनों की जान हलक में अटकी रहती है. समाजसेवी विकास कुमार, सन्नी कुमार, राजा कुमार, लक्ष्मण कुमार, मुकेश मंडल, पंकज कुमार, बंटी कुमार सहित दर्जनों लोगों द्वारा कई बार क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि से मिलकर कजरा की समस्या से अवगत कराया. जिसमें जनप्रतिनिधि द्वारा राष्ट्रीयकृत बैंक खुलवाने की गुहार लगायी लेकिन एक भी जनप्रतिनिधि ने उक्त कार्य को आग में घी डालने जैसे काम करने को लेकर पहल नहीं किया. नतीजा आज तक कजरा बाजार उस समस्या का दंश क्षेल रहा है.

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