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राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा की सूची को खंगालने में फिर से जुटे बीडीओ, बीसीओ व अन्य

नियमानुसार सूची बनना एक चुनौतीपूर्ण कार्य लखीसराय : एसडीओ डॉ शैलजा शर्मा के पदस्थापन के बाद जिला के सभी बीडीओ व बीएसओ द्वारा राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा की सूची फिर खंगलाने में जुटे हैं. इसके लिए बीडीओ के द्वारा बीएसओ के अलावे राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2010 के तहत पात्र परिवारों के हिस्ट्री व जोगरफी के […]

नियमानुसार सूची बनना एक चुनौतीपूर्ण कार्य

लखीसराय : एसडीओ डॉ शैलजा शर्मा के पदस्थापन के बाद जिला के सभी बीडीओ व बीएसओ द्वारा राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा की सूची फिर खंगलाने में जुटे हैं. इसके लिए बीडीओ के द्वारा बीएसओ के अलावे राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2010 के तहत पात्र परिवारों के हिस्ट्री व जोगरफी के कृषि विभाग, अंचल कर्मी, प्रखंड कर्मी का अलग-अलग दायित्व सौंपा गया है. इससे की आपूर्ति विभाग के अधीनस्थ अधिकारी समेत अन्य अधिकारियों का राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा के सही व गलत लाभान्वित के चयन को लेकर पोल खुलने की संभावना बन गयी है.
दूसरी ओर राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा को लेकर गांव के कई परिवार इसके पात्र रहते हुए भी लाभान्वित नहीं हो सके हैं जबकि इस अधिनियम के निर्धारित मानक ऊपर उठकर भी लाभान्वित हो रहे हैं. हालांकि राज्य सरकार के खाद्य व उपभोक्ता संरक्षण विभाग की ओर से जो श्रेणी लाभान्वित होने का तय किया गया है. उस गणित से अगर ईमानदारी पूर्वक सूची बनाया गया तो इसमें ग्रामीण क्षेत्र के लगभग 60 से 65 प्रतिशत लोग खाद्य सुरक्षा की सूची से वंचित हो जायेंगे.
ऐसे में एसडीओ डॉ शर्मा के लिए यह चुनौतीपूर्ण कार्य हो जायेगा. शहरी इलाके के अलावे सात प्रखंड के 80 पंचायत के सैकड़ों गांवों की सूची में गड़बड़ी रहना तय है.
क्या कहते हैं पदाधिकारी
बीडीओ मंजुल मनोहर मधुप ने बताया कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम की सूची को सही करने के लिए विकास मित्र, टोला सेवक, पंचायत सेवक, किसान सलाहकार समेत अंचल कर्मी को लगाया गया है. इन कर्मियों द्वारा डोर-टू-डोर जांच की जा रही है. जल्द ही रिपोर्ट सौंप दी जायेगी. उन्होंने बताया कि स्थानीय कर्मियों को जांच में होने से परेशानी कम हो रही है.
सूची तैयार करने में है परेशानी
एसडीओ के आदेश के अनुसार खाद्य व उपभोक्ता संरक्षण के नियमानुसार ही सूची तैयार किया जाना है. जिसमें अंचल के अधिकारी को जमीन घर जैसे संपत्ति का ब्योरा देना है. वहीं कृषि विभाग को यंत्र व बीडीओ को इसकी पूरी जांच कर संबंधित अपने आलाधिकारी को पूरी रिपोर्ट सौंपा है. खेत जमीन मामले को
लेकर अभी तक एक ही जमाबंदी पर ही एक पूर्वज के नाम से कई एकड़ जमीन है. जिसका साफ-साफ रिपोर्ट पेश करना मुश्किल ही नहीं वर्तमान में नामुनकिन है. वहीं संपत्ति के मामले को लेकर गांव में अभी तक पचास प्रतिशत लोग अधर में है. ऐसे में ग्रामीण क्षेत्रों में इस योजना के पात्र कौन है और नहीं, यह कहना पदाधिकारियों के लिए भी मुश्किल खड़ा कर रहा है. हालांकि शहरी क्षेत्रों इस प्रकार की समस्या बहुत कम है. इससे शहरी क्षेत्र में पदाधिकारियों का माथापच्ची कम हो सकता है.
क्या है खाद्य व उपभोक्ता संरक्षण की नियम व शर्तें
तिपहिया व चार पहिया वाले मोटर चलित वाहन व इस प्रकार के कृषि उपकरण, सरकारी सेवक, दस हजार से ऊपर की आय, छत के अलावे तीन कमरा, ढ़ाई एकड़ सिचिंत जमीन, सिंचाई उपकरण के साथ ग्रामीण क्षेत्र के वासियों को नहीं होना चाहिए. वहीं शहरी क्षेत्र के लिए तीन कमरे या उससे अधिक कंक्रीट छतयुक्त मकान, दो व चार पहिया वाहन, रेफ्रीजरेटर वाले लोग राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा में नहीं आयेंगे.

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