अस्ताचलगामी सूर्य को आज दिया जायेगा अर्घ्य छठ के इस महान लोक पर्व में भगवान भास्कर की होती है उपासनापूरी पवित्रता व श्रद्धा के साथ मनाया जा रहा है
छठसोनो-लोक आस्था व सूर्योपासना का महापर्व छठ प्रखंड क्षेत्र में पूरी पवित्रता, निष्ठा व हर्ष के साथ मनाया जा रहा है़ आज श्रद्धालु नदी व तालाब के विभिन्न घाटों पर अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देंगे़ सोमवार को व्रतियों ने पूरे नेम के साथ उपवास रखते हुए खरना की़ शाम में लोगो ने खरना का प्रसाद खीर श्रद्धापूर्वक ग्रहण किया़ चार दिनों तक चलने वाले इस महान पर्व को लेकर एक सप्ताह पूर्व से ही लोग तैयारियों में लग जाते है़ स्वच्छता का अभियान चलाते हुए गली,
सड़कों व घाटों की सफाई होने लगती है़ पवित्रता का आलम यह होता है कि कार्तिक मास के प्रवेश करते ही मांसाहार व प्याज लहसुन से बने भोजन खाना तो दूर इसके बारे में लोग सोचते तक नहीं है़ छठ पर्व के साथ लोगो की असीम आस्था जुड़ी हुई है़ प्रखंड के जाने माने विद्वान पंडित दामोदर पाठक बताते है कि आस्था से जुड़े महापर्व छठ में आदि काल से सम्पूर्ण जगत को ऊर्जा व प्रकाश प्रदान करने वाले भगवान भास्कर की उपासना की जाती है़
उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि पंचदेवों में भी सूर्य नारायण की उपासना पूर्ण ब्रह्म के रूप में होती है़ पद्म पुराण में सूर्य देव को रोगत मुच्यते कहा गया है़ असाध्य रोगों से मुक्ति हेतु भगवान सूर्य की उपासना की जाती है जो अद्भुत शक्ति व ऊर्जा भी प्रदान करते है़ ऋग्वेद में भगवान भास्कर को स्थावर जंगम जगत की आत्मा कहा गया है़ आगे श्री पाठक बताते है
कि छठ पर्व में भगवान भाष्कर की ही उपासना होती है जो जगत के एक मात्र नेत्र है व उत्पत्ति, स्थिति व प्रलय का कारण भी है़ छठ में कार्तिक मास की षष्ठी तिथि को अस्ताचलगामी सूर्य व अगली सुबह सप्तमी तिथि में उदयाचलगामी सूर्य को पूरे समर्पण की भावना से अर्घ्य दिया जाता है़