लखीसराय : हमारे पुरुष प्रधान समाज में आज भी नारी को अबला समझा जाता है, लेकिन इन सबसे अलग कुछ ऐसी महिलाएं हैं जो अपने कार्य से समाज को दिशा दे रही हैं. इनमें से ही एक है माधोपुर कजरा की रूबी देवी, जो पिछले 10 वर्षों से ट्रेन में चाय बेच कर अपने परिवार का भरण पोषण कर रही हैं.
इस क्रम में रुबी हर रोज ट्रेन से करीब 250 किलोमीटर का सफर तय कर 12 घंटे की कड़ी मेहनत के बाद रात के नौ बजे घर लौटती हैं. कजरा रेलवे स्टेशन पर अपनी दिनचर्या की शुरुआत करते हुए रूबी ने बताया कि उसका पति भीम मंडल कमर से स्थायी नि:शक्त है. 14 वर्ष पूर्व हरियाणा के बल्लभगढ़ में सड़क हादसे में उसकी कमर टूट गयी.
तब से वह अपना नित्य क्रिया-कर्म भी नहीं कर सकता है. परिवार में पति के अलावा 17 वर्ष का पुत्र राहुल है, जो उच्च विद्यालय नरोत्तमपुर कजरा में दसवीं कक्षा का छात्र है. दुर्घटना के पहले रूबी का पति बल्लभगढ़ में मार्बल पत्थर लगाने का काम करता था. जब पति के साथ हादसा हुआ तो राहुल मात्र तीन वर्ष का था. रूबी ने बताया कि हर रोज सुबह आठ बजे घर का कामकाज निबटा कर चाय की केतली लेकर निकल जाती है.
पहले मिट्टी की प्याली लेने धरहरा जाना होता है. उसके बाद बांका इंटरसिटी से ट्रेन में चाय बेचते बख्तियारपुर तक जाती हैं. घर लौटने में रात के नौ बज जाते हैं. जब रूबी से पूछा कि इस पेशा को अपनाने का विचार कैसे आया, तो रूबी निर्भीक होकर कहती हैं कि 10 वर्ष पूर्व ट्रेन यात्रा के दौरान लोगों को चाय बेचते देख यह विचार आया. तभी से इस पेशा से जुड़ गयी.
रूबी के मुताबिक वह हर रोज चार से पांच सौ रुपया की चाय बिक्री कर लेती हैं. दो सौ रुपया तक की कमाई हो जाती है जिससे परिवार का भरण-पोषण हो जाता है. पूछने पर क्या कभी महिला होने की वजह से ट्रेन में इस तरह चाय बेचते भय भी होता है, रूबी बताती हैं कि ऐसा कुछ नहीं है. हां जीआरपी वाले बंधी-बधाई रकम की वसूली करते हैं.
जब रूबी घर पर नहीं होती तो उनके पति की देखभाल उसका बेटा करता है. रूबी कहती है शुरुआती दिनों में बेटा के कम उम्र की वजह से काफी परेशानी होती थी. घर में नि:शक्त पति व पुत्र के अलावे कोई नहीं है.