लखीसराय : शहर का वार्ड नंबर 17. जर्जर सड़क पर बहता घरों का गंदा पानी, जहां-तहां फैली गंदगी, यहां की पहचान बन चुका है. शहर के अंदर होने के बावजूद यहां के लोगों को ग्रामीण इलाकों जैसी भी सुविधा नहीं मिल रही.
लोगों की शिकायत है कि जनप्रतिनिधि इस वार्ड की समस्या को लेकर कभी गंभीर नहीं हुए. पिछले पांच वर्षों में विकास के नाम पर एक लाख 49 हजार रुपये की लागत से एक पीसीसी सड़क बना उसमें भी भेदभाव किया गया. उक्त वार्ड में लोगों को सरकारी योजनाओं का लाभ सही तरीके से नहीं मिला.
लोगों का कहना है कि एक भी चापाकल या सप्लाई वाटर अब तक नहीं लगा. सड़क किनारे लगे बिजली खंभे पर स्ट्रीट लाइट भी नहीं है. जब प्रभात खबर ने प्रभात पड़ताल के क्रम में वार्ड के स्थिति की जानकारी ली तो सड़क पर जमा घरों का गंदा पानी एवं जहा-तहां फैली गंदगी ने प्रभात प्रतिनिधि का स्वागत किया.
लोगों से समस्याओं की जानकारी ली तो विकास की कहानी परत दर परत लोगों की जुबानी खुलने लगी. मतदाताओं में जनप्रतिनिधियों के प्रति आक्रोश दिखा. शुक्रवार सुबह नौ बजे सड़क पर जमा कीचड़युक्त गंदा पानी एवं बदहाली देख उत्सुकता हुई. लोगों से यहां की स्थिति की जानकारी ले समीप ही तीन-चार युवक किसी घर की दहलीज पर बैठे थे. जब उनसे यहां के हालात की चर्चा शुरू की तो आसपास के कई लोग इकठ्ठा हो गये.
लोगों ने अपनी राय दी तो विकास की अधूरी तसवीर सामने आयी. लोगों की शिकायत थी विधायक इस ओर से होकर अपने वाहन से गुजरते हैं लेकिन कभी यहां रुक कर समस्याओं की जानकारी नहीं ली.
दीपक कुमार मंडल ने बताया कि नाला निर्माण अब तक अधूरा है. सड़क पर घरों का गंदा पानी जमा रहता है. कीचड़युक्त गंदा पानी के कारण आवागमन भी मुश्किल होता है.
रूपेश कुमार ने बताया कि इस वार्ड में बिजली के पोल पर लाइट नहीं लगा. कहीं भी सौर ऊर्जा लाइट वाला भेपर नहीं लगाया गया. लगन साव ने बताया कि यहां के लोग शहरी इलाके में होने के बाद भी ग्रामीण इलाकों से भी बदतर जिंदगी जी रहे हैं.
घरों में शौचालय नहीं है. राशन कार्ड भी नहीं मिला. संजय वर्मा के मुताबिक दुर्गा पूजा सहित अन्य महत्वपूर्ण त्योहार आ रहा है लेकिन यहां सफाई की कोई व्यवस्था नहीं है. 6 माह पहले नाली की सफाई हुई थी. राशन कार्ड भी नहीं मिला. वीरेंद्र शर्मा के मुताबिक बिजली की स्थिति में सुधार तो हुआ लेकिन बिजली बिल अधिक आ जाता है. शिकायत के बाद भी समस्या का निदान नहीं होता. पोल पर फॉल्ट की स्थिति में प्राइवेट मिस्त्री बुला कर ही ठीक कराना होता है. अमित कुमार एवं गोरेलाल चौहान के मुताबिक शौचालय के लिए सर्वे हुआ लेकिन अब भी मात्र 50 प्रतिशत घरों में ही शौचालय है. अरविंद कुमार ने बताया कि सड़कें जर्जर है. पेयजल की समस्या है लेकिन कोई इस ओर ध्यान नहीं देता.