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लाली पहाड़ी के तीसरे चरण की खुदाई का इंतजार

15 दिन बाद भी बिहार सरकार की ओर से नहीं हुई पहल शुरू विश्वभारती शांति निकेतन विश्वविद्यालय पश्चिम बंगाल के डॉ अनिल कुमार के द्वारा की जायेगी खुदाई बिहार सरकार से पत्र मिलते ही खुदाई प्रारंभ करने की प्रक्रिया की जायेगी शुरू संग्राहलय के लिए भी रिटेंडर की हो रही प्रक्रिया नवंबर 2017 से शुरू […]

  • 15 दिन बाद भी बिहार सरकार की ओर से नहीं हुई पहल शुरू
  • विश्वभारती शांति निकेतन विश्वविद्यालय पश्चिम बंगाल के डॉ अनिल कुमार के द्वारा की जायेगी खुदाई
  • बिहार सरकार से पत्र मिलते ही खुदाई प्रारंभ करने की प्रक्रिया की जायेगी शुरू
  • संग्राहलय के लिए भी रिटेंडर की हो रही प्रक्रिया
  • नवंबर 2017 से शुरू हुआ था लाली पहाड़ी का खुदाई कार्य
लखीसराय : जिले की प्रसिद्ध लाली पहाड़ी के तीसरे चरण की खुदाई के लिए आर्कियोलॉजिकल सर्वे आफ इंडिया (एएसआई) ने बुधवार को आदेश जारी कर दिया है. इस संबंध में एएसआई के अन्वेषण एवं खुदाई विभाग के निदेशक वीएन प्रभाकर ने बुधवार 23 अक्तूबर को बिहार सरकार के युवा कला एवं संस्कृति विभाग के लिए बिहार बिहार विरासत विकास समिति को पत्र भेजकर कहा है कि सेंट्रल एडवाइजरी बोर्ड आफ आर्कियोलॉजी ने सीजन 2019-20 के लिए लाली पहाड़ी के खुदाई कराने का निर्णय लिया है, जिसके लिए विश्व भारती शांति निकेतन विश्वविद्यालय पश्चिम बंगाल के पुरातत्व विभाग के साथ कार्य करने को कहा गया है.
निदेशक होंगे विश्वविद्यालय के संबंधित विभाग के विभागध्यक्ष डा अनिल कुमार, जिसकी एक प्रतिलिपि डा अनिल कुमार को भी प्रेषित की गयी है, लेकिन एएसआई के द्वारा पत्र प्रेषित किये जाने के 15 दिन बाद भी बिहार सरकार की ओर से पहल शुरू नहीं की गयी है, जिससे लोगों को खुदाई प्रक्रिया प्रारंभ होने में और इंतजार करना पड़ सकता है.
इस संबंध में डॉ कुमार ने बताया कि एएसआई के द्वारा बिहार सरकार को पत्र भेजा गया है, जिसके बाद बिहार सरकार के द्वारा लाइसेंस निर्गत करने के उपरांत खुदाई कार्य प्रारंभ किया जायेगा.
यहां बता दें कि लाली पहाड़ी के गर्भ में बौद्ध महाविहार होने की संभावना जताये जाने के बाद सरकार ने इसके उत्खनन का आदेश दिया गया था, जिसके तहत बिहार विरासत विकास समिति के निदेशक विजय चौधरी एवं डा अनिल कुमार की देखरेख में खुदाई कार्य प्रारंभ किया गया, जिसका शुभारंभ स्वयं बिहार सरकार के मुखिया नीतीश कुमार ने पटना से सीधे हेलीकॉप्टर से लाली पहाड़ी पहुंच 25 नवंबर 2017 को किया था.
जिसके बाद अबतक दो चरणों की खुदाई में बौद्ध महाविहार में रहने के लिए बनाये गए बौद्ध भिक्षुओं के कक्ष सहित सुरक्षा टावर, अनेकों भग्नावशेषों, खंडित मूर्तियां, पुरातात्विक अवशेष बरामद हो चुकी हैं, जिससे पुरातनकाल की सभ्यताओं का भी पता चलता है.
इसके साथ ही यहां मिले अंडरग्राउंड ड्रेनेज सिस्टम महाप्रणाल भी खुदाई के प्रथम चरण में मिला था जिसका अवलोकन कर स्वयं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी आश्चर्यचकित हुए थे, इसके साथ ही द्वितीय चरण की खुदाई के दौरान लकड़ी के मिले वोटिव ने तो पूरे विश्व में मिले बौद्ध अवशेषों से अलग साबित किया. जिसके बारे में कहा गया था कि विश्व में सिर्फ लाली पहाड़ी की खुदाई के दौरान यह मिला, जबकि अबतक सिर्फ पत्थर या मिट्टी के ही वोटिव मिले थे.
संग्राहालय निर्माण की दिशा में भी लेट लतीफी
लाली पहाड़ी की खुदाई से बौद्ध महाविहार का वृहत स्वरूप निकलने के बाद जिला में संग्राहलय निर्माण की दिशा में भी मांग उठी थी, जिसके बाद बिहार सरकार के युवा कला एवं संस्कृति विभाग की ओर से अशोक धाम व बालगुदर मोड़ के बीच दो एकड़ जमीन पर संग्रहालय निर्माण की स्वीकृति दी गयी थी तथा इसके लिए राशि भी 27 करोड़ आवंटित किया गया था.
जिसमें एक बार टेंडर होने के बाद कुछ खामियों की वजह से टेंडर रद्द कर दिया गया तथा रिटेंडर प्रक्रिया में चला गया. जिसके तहत नवंबर महीने के अंत में रिटेंडर किया जाना है.
प्राचीन मूर्तियों के संग्रह में भी बरती जा रही शिथिलता
लाली पहाड़ी की खुदाई से बौद्ध महाविहार के निकलने के बाद जिले में अब तक मिले प्राचीनतम मूर्तियों के संग्रह की बात उठती थी, जिसके तहत कई जगहों से मूर्तियों का संग्रह भी किया गया तथा उसे अशोक धाम स्थित अस्थायी संग्रहालय में रखा गया था, लेकिन बाद में यह प्रक्रिया भी शिथिल पड़ गयी है.
इस संबंध में विश्वभारती शांति निकेतन विश्वविद्यालय पश्चिम बंगाल के प्राचीन इतिहास एवं पुरातत्व विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ अनिल कुमार कहते हैं कि जिले में अधिसंख्य प्राचीनतम मूर्तियां बिखरी पड़ी हैं. जिसे संग्रहित करने की जरूरत है. संग्रहालय निर्माण के बाद उसे संग्रहालय में रखी जानी है, यदि उसे अभी से संग्रह किया जाता है तो उस वक्त परेशानी नहीं होगी.

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