लखीसराय : जिले में शिक्षा विभाग की उदासीनता की वजह से विगत तीन वर्षों से न तो प्राइवेट स्कूलों का और न ही कोचिंग संस्थानों का निबंधन किया जा रहा है़ जिन प्राइवेट स्कूलों का पूर्व में निबंधन हुआ था उस निबंधन का नवीनीकरण भी नहीं किया गया है़ जिससे ये संस्थान बिना निबंधन के […]
लखीसराय : जिले में शिक्षा विभाग की उदासीनता की वजह से विगत तीन वर्षों से न तो प्राइवेट स्कूलों का और न ही कोचिंग संस्थानों का निबंधन किया जा रहा है़ जिन प्राइवेट स्कूलों का पूर्व में निबंधन हुआ था उस निबंधन का नवीनीकरण भी नहीं किया गया है़ जिससे ये संस्थान बिना निबंधन के ही अपना काम तो कर रहे हैं
लेकिन सरकार के राजस्व व विद्यार्थियों के हितों का नुकसान हो रहा है़ यहां बता दें कि वर्तमान समय में जिले के विभिन्न प्रखंडों में लगभग चार सौ से अधिक निजी विद्यालय संचालित हैं. सरकार द्वारा गरीबी रेखा से नीचे गुजर बसर करने वाले परिवारों के बच्चों को मुफ्त शिक्षा देने के लिए निजी विद्यालयों में भी 25 प्रतिशत सीटें उनके लिए आरक्षित करने का प्रावधान है. यहां तक कि वैसे छात्रों की पढ़ाई का खर्च सरकार ने स्वयं वहन करने की बातें भी कही थी,
लेकिन जिले में संचालित हो रहे निजी विद्यालयों या कोचिंग संस्थानों का निबंधन नहीं होने से सरकार की यह योजना भी खटाई में पड़ती दिखाई दे रही है और गरीबों के बच्चे अपने आसपास के निजी स्कूलों में शिक्षा पाने से वंचित हो रहे हैं.
गरीब बच्चों को नि:शुल्क पढ़ाने पर विभाग की ओर से नहीं मिली है राशि
सूत्रों के अनुसार शिक्षा विभाग के कार्य में शिथिलता की वजह से विगत दो वर्ष पूर्व तक जिन विद्यालयों ने ऐसे बच्चों की नि:शुल्क पढ़ाई करायी भी थी, तो शिक्षा विभाग से उसके एवज में जो राशि मिलनी चाहिए थी वह भी स्कूल संचालकों को नहीं मिल सकी है़ यहां बता दें कि वर्ष 2015 में जिले में गरीबी रेखा से नीचे के परिवारों के बच्चों को शिक्षा देने के लिए सरकार ने जिले के पांच स्कूलों की सराहना भी की थी. लेकिन उन स्कूलों के संचालकों को उक्त बच्चों के पढ़ाई के बदले मिलने वाली सरकारी राशि भी आज तक उपलब्ध नहीं हो पायी है़
60 स्कूलों का तीन वर्षों के निबंधन के बाद भी अब तक नहीं हुआ नवीनीकरण
डीइओ कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार वर्ष 2013, 14 एवं 15 तक लगभग 60 स्कूलों का तीन तीन वर्षों के लिये निबंधन किया. उसके बाद न तो अन्य किसी का रजिस्ट्रेशन किया और न ही पूर्व से निबंधित स्कूलों के निबंधन का नवीनीकरण किया गया. जिसके परिणाम स्वरूप जिले में तीन वर्षों से बिना रजिस्ट्रेशन के बच्चे का विद्यालय संचालित हो रहा है. इंडिपेंडेंट स्कूल्स एंड चिल्ड्रेन वेलफेयर एसोसिएशन के प्रदेश सचिव रंजीत कुमार ने बताया कि 2013 से 15 तक डीइओ कार्यालय से कुछ विद्यालयों का तीन-तीन वर्ष का रजिस्ट्रेशन किया गया, लेकिन जब नवीनीकरण के लिये डीइओ कार्यालय में फिर से आवेदन दिया गया तो आज तक नवीकरण नहीं हो पाया. ऐसी परिस्थिति में बिना नवीनीकरण के ही विद्यालय चला रहे हैं. उन्होंने कहा कि इतना ही नहीं जिन स्कूलों ने सरकारी योजना के तहत गरीबी रेखा से नीचे के 25 प्रतिशत बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा प्रदान की थी उन्हें भी शिक्षा विभाग के द्वारा तय राशि नहीं प्रदान की गयी है़ वहीं प्राइवेट स्कूल्स एंड चिल्ड्रेन वेलफेयर एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष धर्मेंद्र कुमार आर्य ने बताया कि जिले में लगभग 400 स्कूलों में से 150 स्कूल डीइओ कार्यालय में रजिस्ट्रेशन के लिये फॉर्म भरा, लेकिन आज तक कुव्यवस्था के कारण रजिस्ट्रेशन नहीं हो पा रहा है. इतना ही नहीं जिन विद्यालयों का नवीनीकरण के लिये फॉर्म जमा किया गया उसका भी नवीकरण नहीं हो पाया. जिसके परिणाम स्वरूप कई विद्यालय बिना रजिस्ट्रेशन के तो, कई स्कूल नवीनीकरण किये बिना ही संचालित हो रहे हैं. जबकि शिक्षा के मौलिक अधिकार के तहत बिना रजिस्ट्रेशन के बच्चे के विद्यालय का संचालित होना गैर कानूनी है. जांच में पकड़ा गया, तो प्रत्येक दिन के तहत दस हजार रुपया जुर्माना का प्रावधान है. लेकिन ऐसे मामले में शिक्षा विभाग अब भी उदासीन बना हुआ है.
जिन विद्यालयों का पूर्व में हुआ था निबंधन
वे भी कर रहे निबंधन नवीनीकरण का इंतजार
गरीबी रेखा से नीचे के परिवारों के बच्चों को शिक्षा देने के लिए सरकार ने पांच
स्कूलों की की थी सराहना
बोले अधिकारी
जिला शिक्षा पदाधिकारी सुनैना कुमारी ने कहा कि वे विगत एक सप्ताह पूर्व ही अपना पद संभाला है, वे संचिकाओं का अवलोकन के बाद मामले की जानकारी लेकर जांच करेंगी.