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…..तो क्या मक्के की खुश्बू खींच लाती है गजराज को

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मतवाले हाथियों ने खेतों के फसलों को बुरी तरह से तहस-नहस कर दिया,और कितने आशियानों को जमींदोज कर लोगों को भयभीत कर दिया है.स्थानीय लोगों की माने तो जब तक मकई के पौधे खेतों में लगें हैं.

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मकई के सीजन में आए दिन हाथियों का उत्पात है जारी.

मकई के फसलों और घरों को भारी नुकसान

रामबाबू, किशनगंजभारत-नेपाल के सीमावर्ती इलाकों खासकर दिघलबैंक प्रखंड में गजराज (जंगली हाथियों)का उत्पात कोई नया नहीं है.बीते कई सालों से मकई के फसल के समय इन हाथियों के झुंड का लगातार आगमन से लोग दहशत में है.बीते कुछ वर्षों में इसी तरह हाथियों के एक झुंड ने कई जानें भी ले ली है.अब जबकि फिर से मकई के फसल खेतों में लह-लहा रहे है तो गजराज का आतंक लगातार जारी है.फरवरी माह में ही अब तक कई बार इन हाथियों ने सीमा के विभिन्न इलाकों को निशाना बनाया है.जिसमें इन मतवाले हाथियों ने खेतों के फसलों को बुरी तरह से तहस-नहस कर दिया,और कितने आशियानों को जमींदोज कर लोगों को भयभीत कर दिया है.स्थानीय लोगों की माने तो जब तक मकई के पौधे खेतों में लगें हैं.तब तक इन हाथियों का कोहराम जारी रहेगा.और लोग अभी से बदहवास हो रहे है,हालांकि केवल सीमा के गांव पर ही इन जंगली हाथियों खौफ नहीं है बल्कि काफी भीतर तक ये चले आते है और जो भी सामने आता है इन हाथियों के खौफ से बच नहीं पता,कई इलाकों में इन हाथियों तक हाथियों का आतंक जारी है.

लोगों की माने तो नेपाल और पश्चिम बंगाल में बचे हुए शेष जंगलो से भटककर ये हाथी मकई के मौसम में इधर चले आते हैं फ़िलहाल नेपाल सीमा सहित सीमा के समीप बसे गांव और बस्ती के लोगों की रातों की नींद इन हाथियों ने उड़ा दी है.

तेजी से समाप्त हो रहे जंगल है इसका कारण

नेपाल सीमा के उस पार के इलाके में किसी ज़माने घनघोर जंगल हुआ करती थी लेकिन लकड़ी माफियाओं के कारण उन इलाकों के जंगल भी धीरे-धीरे समाप्ति के कगार पर है.लिहाजा इन जंगलों से हाथी समेत विभिन्न प्रकार के जंगली जानवरों का भटककर भारतीय सीमा के भीतर लगातार आगमन हो रहा है.

जा चुकी है कई जानें

पिछले एक दशक में इन जंगली हाथियों के उत्पात से जहां सीमावासी पूरी तरह से परेशान हैं वहीं इन मतवाले हाथियों ने कई जाने भी ले चुका है.

वन विभाग के एक टीम की तैनाती की मांग

हाथियों के लगातार इस तरह के आतंक से परेशान लोगों ने जिला प्रशासन से मांग की है कुछ दिनों के लिए वन विभाग की एक टीम की स्थाई रूप से इन इलाकों में तैनाती आवश्यक है ताकि समय रहते इन हाथियों पर लगाम लगाया जा सके.,और लोगों को इन हाथियों से सुरक्षित किया जाये.हालांकि हाथियों को रोकने के लिए लगाये गये एनीडर्स मशीन कितना कारगर है यह तो आने वाले समय में ही पता चलेगा.

अभी से लोग हैं भयभीत

सीमा पर बसे गांव,हाट बाजार के अलावे देर शाम को इन इलाकों में घर लौटने वाले लोग इन हाथियों से अब खुद को असुरक्षित महसूस कर रहें. है.उनको अब ये लगने लगा है कि हाथी कभी भी नुकसान पहुंचा सकता है.

फसल होतें हैं बर्बाद

इन जंगली हाथियों के उत्पात से किसान भी काफी परेशान है.खेतों को अपने खून-पसीने से सींचकर हरा-भरा करने की तमाम मेहनत को गजराज तहस-नहस करने में कोई कोर-कसर नही छोड़ रहा है.खेत में लगे मकई,गेंहू सहित अन्य फसलों को हर साल नुकसान होता है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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