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ताराचंद धानुका एकेडमी विद्यालय परिसर में मियावाकी पद्धति से लगाये गये पौधे

पर्यावरण के प्रति समझदारी भरा दृष्टिकोण प्रदर्शित करते हुए ठाकुरगंज में अवस्थित ताराचंद धानुका एकेडमी ने विद्यालय परिसर में जापानी ‘मियावाकी’ पद्धति से एक लघु वन विकसित करने का कार्य बुधवार को शुरू किया . सिलीगुड़ी की संस्था यंग इंडियंस के सहयोग से 700 पेड़ लगाये गए .

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ठाकुरगंज. पर्यावरण के प्रति समझदारी भरा दृष्टिकोण प्रदर्शित करते हुए ठाकुरगंज में अवस्थित ताराचंद धानुका एकेडमी ने विद्यालय परिसर में जापानी ‘मियावाकी’ पद्धति से एक लघु वन विकसित करने का कार्य बुधवार को शुरू किया . सिलीगुड़ी की संस्था यंग इंडियंस के सहयोग से 700 पेड़ लगाये गए .

बताते चले मियावाकी पद्धति के लिए एक छोटे से स्थान की आवश्यकता होती है, जहां पौधों को बहुत पास-पास लगाया जाता है, ताकि वे युवा वृक्षों को एक-दूसरे की रक्षा करने में मदद कर सकें और सूर्य की रोशनी को जंगल की जमीन पर पड़ने से रोक सकें. अन्य वृक्षारोपणों की तुलना में, मियावाकी वन पर्यावरण से 30 प्रतिशत अधिक कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करता है.

विद्यालय के निदेशक राजदीप धानुका ने बताया की बढ़ते वायु प्रदूषण से निपटने के लिए यंग इंडिया ग्रुप के स्वयंसेवकों के साथ मिलकर विद्यालय परिसर में मियावाकी पद्धति से पौधे लगाए, जो एक साल से भी कम समय में एक छोटे जंगल में बदल जायेंगे . उन्होंने कहा कि लगातार कम होती खेतीहर भूमि के कारण मियावाकी पद्धति से पार्क तैयार किया जा रहा है.जहां आम जगहों पर पौधे तीन मीटर चौड़ाई व तीन मीटर लंबी दूरी पर लगाया जाता है. वहीं इसमें 54 सेंटीमीटर की दूरी ही पर्याप्त होती है. इस दौरान विद्यालय के चेयरमैन ताराचंद धानुका ने कहा की इस महत्वपूर्ण कदम से न केवल पर्यावरण में अधिक ऑक्सीजन पहुंचेगी, बल्कि इसके अन्य लाभ भी होंगे. इसके अलावा, शुद्ध हवा फेफड़ों से जुड़ी आम एलर्जी को रोकने में भी सहायक होगी.

क्या है मियावाकी पद्धति

मियावाकी एक जापानी वन तैयार करने की विधि है. इसमें पौधों को कम दूरी पर लगाया जाता है. पौधे सूर्य का प्रकाश प्राप्त कर ऊपर की ओर वृद्धि करते हैं. इस पद्धति से सीमित संसाधनों में पौधारोपण कर तीव्रता से हरियाली बढ़ाई जा सकती है.

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