वर्तमान मौसम में तेज हवाएं चलने से घटती है ऐसी घटनाएं.
हल्की चूक बड़ी घटना को दे सकता है दावत.किशनगंज. एक मशहूर कहावत है कि शहर को हमेशा आग और पानी से खतरा बना रहता है.यह कहावत आज जिले पर पूरी तरह से फिट बैठती दिख रही है.बरसात के मौसम में जलजमाव व बाढ़ का खतरा तो गर्मी के मौसम में अगलगी का खतरा.शायद ही कोई साल ऐसा होगा जहां गर्मी के मौसम में अगलगी की घटना नहीं होती हो.हर वर्ष लाखों-करोड़ों रुपये की क्षति होती है.भले ही आग की विभीषिका को रोका नहीं जा सकता,लेकिन थोड़ी सी सावधानी बरत की इसकी विभीषिका को काफी हद तक कम किया जा सकता है.
गर्मी बढ़ने के साथ ही अगलगी की घटनाओं में लगातार इजाफा हो रहा है. कहीं खेत-खलिहान धधक रहे हैं तो कहीं घर-मकान खाक हो रहे हैं.विभिन्न कारणों से होने वाली अगलगी में जानमाल की भारी क्षति होती है.कहर बरपाती आग की विभीषिका को थोड़ी सी सावधानी व जागरूकता से कम किया जा सकता है.दूसरे शब्दों में कहें तो समुचित प्रबंधन कर आग की आपदा पर काबू पाया जा सकता है.आग की आपदा जिले में सबसे ज्यादा घातक रही है.प्रतिवर्ष अगलगी से किसानों के खून-पसीने की कमाई स्वाहा हो जाती है. कभी बिजली के तार तबाही मचाते हैं तो कभी हुक्का, सिगरेट व चूल्हे की चिंगारी भयावह तांडव करती है. पिछले एक महीनों की अगलगी की घटनाओं पर ही नजर डालें तो आग से लाखों की संपत्ति का नुकसान हुआ है. हर वर्ष होने वाली तबाही के बाद भी लोग उससे कुछ सीखते नहीं है. लोग खुद जागरूक होकर प्रयास करें तो न सिर्फ आग की आपदा पर नियंत्रण पाया जा सकता है, बल्कि इससे होने वाले नुकसान को भी काफी हद तक कम किया जा सकता है.छोटी-छोटी सावधानियां भी आग के खतरे को कम करने में काफी कारगर होगी.शहर से गांव तक ऐसी जगहों पर बसावट हो गयी है जहां दमकल की गाड़ियां नहीं पहुंच सकती
शहर में कई ऐसी बस्तियां हैं जहां दोपहिया वाहन ठीक से नहीं पहुंच सकती दमकल की गाड़ियां तो दूर की बात है.दरअसल बढ़ती आबादी के बीच लोगों को जहां जगह मिलती है घर बना लेते हैं इतना भी नहीं सोचते कि किसी आपात स्थिति में बाहर कैसे निकला जाएगा.या जरूरी चीजें उन तक कैसे पहुंचेगी.शहर के कई इलाकों में घनी आबादी है जहां घर के ऊपर घर बनता जा रहा है.संकरी गलियों तक में लोग निर्माण कर रहें हैं.जो आपात स्थिति में घातक साबित हो सकता है.बरतें सावधानी,नहीं तो महंगी पड़ेगी लापरवाही
-खाना बनाने के बाद ये जरूर देख लें कि चूल्हे की आग पूरी तरह बुझी है या नहीं. -गैस का रेगुलेटर उपयोग के बाद बंद रखें -बीड़ी,सिगरेट,हुक्का खलिहान में न पियें,उसे पूरी तरह बुझाकर ही छोड़ें.-खेत में फूस उस समय जलायें जब हवा न चल रही हो.
-रसोई घर की छत को टिन या एस्बेस्टस शीट से बनवायें.-यदि फूस से बनवायें तो उसमें अंदर की ओर मिट्टी का लेप लगवायें.
-फसल या कंडों के ढेर को घर से 100 फुट की दूरी पर रखें.-जलते हुए स्टोव या लैंप में मिट्टी का तेल न भरें.-भोजन बनाते समय पहने हुए कपड़ों का प्रयोग कर स्टोव से बर्तन न उतारें.
-गैस का सिलेंडर सदैव खड़ा रखें,रबर पाइप को छह माह में बदल दें.-एक ही प्लग से एक साथ कई विद्युत उपकरणों का प्रयोग न करें.
-बिजली के स्वीच बोर्ड निर्धारित ऊंचाई पर बच्चों की पहुंच के बाहर लगवायें.आग लगने पर क्या करें
-शॉट सर्किट से आग लगने पर सबसे पहले उस भवन का मेन स्विच काट दें. -अग्निशमन यंत्र का उपयोग आग बुझाने के लिए तत्काल करें.-शॉट सर्किट से लगी आग बुझाने के लिए कभी भूल कर भी पानी न डालें.
-बिजली के उपकरणों को दास्ताना पहन या सूखी लकड़ी के सहारे ही छुएं.-गैस से आग लगने पर मकान की सारी खिड़कियां व दरवाजे खोल दें.
-आग लगने पर तत्काल सूचना फायर स्टेशन या स्थानीय थाना को दें.-जलने पर प्राथमिक उपचार के रूप में जले स्थान को ठंडे पानी से साफ करें, जितना ठंडा उतना फायदा-जले स्थान पर तत्काल कोई तेल या दवा का प्रयोग न करें-सूती कपड़े को गर्म पानी में उबाल कर जख्म को ढंक दें.
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