-आरबीएसके के तहत दो बच्चे आईजीआईएमएस पटना के लिए रवाना -जन्मजात हृदय रोग से जूझ रहे इंटेरा बेगम और हसमत रज़ा को मिलेगी उच्च स्तरीय जांच व उपचार की सुविधा किशनगंज किशनगंज जैसे सीमांत जिले में स्वास्थ्य सेवाएं हमेशा चुनौतीपूर्ण रही हैं. वर्षों तक जन्मजात हृदय रोग से पीड़ित बच्चों के लिए उच्चस्तरीय उपचार तक पहुंचना किसी दूर के सपने से कम नहीं था. आर्थिक तंगी, जागरूकता की कमी और बड़े चिकित्सा संस्थानों तक पहुंच न होने के कारण कई परिवार अपने बच्चों की धड़कनों को धीरे-धीरे कमजोर होते देखते रहने को मजबूर थे. पिछले कुछ वर्षों में यह तस्वीर बदली है और इसके केंद्र में है राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम जिसने जिले में जन्मजात हृदय रोग के उपचार को सुलभ, सरल और निःशुल्क बनाया है. जिला फिर एक नई उम्मीद लेकर आगे बढ़ा है. क्योंकि आरबीएसके की पहचान एवं त्वरित कार्रवाई से दो और नन्हे दिल इंटेरा बेगम और हसमत रज़ा को जीवन बचाने वाली चिकित्सा तक पहुंचाने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. इन्हें आज सदर अस्पताल किशनगंज से सुरक्षित रूप से आईजीआईएमएस, पटना रवाना किया गया, जहां विशेषज्ञ चिकित्सक इनके हृदय संबंधी विकारों की विस्तृत जांच करेंगे और फिर आवश्यक उपचार की दिशा तय करेंगे. दोनों बच्चों की पहचान आरबीएसके टीम ने नियमित स्कूल एवं घर-आधारित स्क्रीनिंग के दौरान की थी. चिकित्सकीय मूल्यांकन से पुष्टि होने के बाद जिला स्वास्थ्य समिति द्वारा इलाज के लिए तत्काल रेफरल दिया गया. उल्लेखनीय है कि जन्मजात हृदय रोग का उपचार महंगा और जटिल होता है, लेकिन सरकार इस पूरी प्रक्रिया का आर्थिक बोझ स्वयं उठाती है.आईजीआईएमएस में विस्तृत जांच के बाद दोनों बच्चों को आवश्यकता अनुसार श्री सत्य साईं हार्ट हॉस्पिटल अहमदाबाद या इंदिरा गांधी हृदय रोग संस्थान में भेजा जा सकता है. अब तक जिले के 31 बच्चे बाल हृदय योजना के माध्यम से सफलतापूर्वक उपचार प्राप्त कर चुके हैं, जिससे यह जिला बिहार के अग्रणी जिलों में शामिल हो गया है जहां आरबीएसके की सफलता स्पष्ट रूप से दिखाई देती है.
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