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सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल है बेणुगढ़ मेला

सभी समुदाय के लोग वर्षों से आते हैं इस मेले में टेढ़ागाछ : प्रखंड क्षेत्र के बेणुगढ़ में गुरुवार को एक दिवसीय मेला का आयोजन हुआ. बतौर मुख्य अतिथि के रूप में डा पीपी सिन्हा, पूर्व जिला परिषद खोशो देवी ने नारियल फोड़ कर मेले का शुभारंभ किया. महाराज बेणु के गढ़ में लाखों की […]

सभी समुदाय के लोग वर्षों से आते हैं इस मेले में

टेढ़ागाछ : प्रखंड क्षेत्र के बेणुगढ़ में गुरुवार को एक दिवसीय मेला का आयोजन हुआ. बतौर मुख्य अतिथि के रूप में डा पीपी सिन्हा, पूर्व जिला परिषद खोशो देवी ने नारियल फोड़ कर मेले का शुभारंभ किया. महाराज बेणु के गढ़ में लाखों की संख्या में लोग अपनी मन्नत मांगने के लिए बाबा के दरबार में आते हैं.
सौ एकड़ में फैला है किला
कहा जाता है कि 180 एकड़ में फैला बेणुगढ़ चारों ओर से बड़े बड़े विशालकाय वृक्ष पूर्व किले के संकेत देते दिखते हैं. इन पेड़ों के बीच बेणू महाराज का मंदिर व विशाल तालाब हमेशा जल से भरा रहता है. इस टीले में आत्माएं अदृश्य रूप से आज भी यहां विद्यमान है.
पूरी होती है कामना
प्रत्येक वर्ष बैशाखी के अवसर पर मेला का आयोजन होता है. नि:संतान व असाध्य रोगी यहां आकर मन्नते मांगते है. मन्नते पूरी होने पर श्रद्धालु मंदिर में कबूतर की बलि देते है.
क्या कहते हैं जानकार
पंडित बासुकीनाथ मिश्र ने बताया कि इस ऐतिहासिक धरोहर को सरकार द्वारा पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करना चाहिए क्योंकि महाभारत काल से जुड़ी बातें गढ़ में है और पांडव बेणुगढ़ की पवित्र धरती पर रात भी गुजारे थे. मैंने पूर्व सांसद शाहनवाज हुसैन को भी पत्र लिख कर ध्यान आकर्षित किया था. बावजूद कोई ठोस पहल नहीं हो पायी.
आये थे पांडव
गुप्तवास के दौरान पांडव अपने भाइयों के साथ यहां आकर ठहरे थे. प्राचीन टीला के चारों ओर अच्छादित पेड़ों की शृंखला, लहखोरी, डंटे इस बात का प्रमाण दे रहा है कि यहां बड़े बड़े महल, अट्टालिका रही होगी.

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