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दो पक्षों के बीच विवाद को पुलिस ने कराया शांत

छत्तरगाछ : गुरुवार को पोठिया थाना क्षेत्र अंतर्गत छमटिया गांव में मदरसा भवन निर्माण को लेकर दो पक्षों में विवाद होते होते बच गया. मौके पर पुलिस ने पहुंच कर मामले को किसी तरह शांत कराया. प्राप्त जानकारी के अनुसार सारोगोड़ा पंचायत स्थित मदरसा दारुल उलुम कादरिया नुरिया छमटिया प्रस्तावित मदरसा संख्या 2643 एएफएफ सूची […]

छत्तरगाछ : गुरुवार को पोठिया थाना क्षेत्र अंतर्गत छमटिया गांव में मदरसा भवन निर्माण को लेकर दो पक्षों में विवाद होते होते बच गया. मौके पर पुलिस ने पहुंच कर मामले को किसी तरह शांत कराया. प्राप्त जानकारी के अनुसार सारोगोड़ा पंचायत स्थित मदरसा दारुल उलुम कादरिया नुरिया छमटिया प्रस्तावित मदरसा संख्या 2643 एएफएफ सूची क्रमांक 1111/2459 कोटि को अनुदान की श्रेणी में लाने हेतु संकल्प संख्या 1090 दिनांक 29.11.80 के आलोक में मदरसा बोर्ड पटना द्वारा स्वीकृति मिला है. मदरसा के सचिव हिर मोहम्मद ग्रामीण लाल मोहम्मद ने बताया कि मदरसा की बुनियाद स्थानीय ग्रामीणों द्वारा एक जनवरी 1983 में रखी गयी थी.

सचिव बिहार राज्य मदरसा शिक्षा बोर्ड ने प्रस्वीकृति संख्या 2643एएफएफ दिनांक 31 मार्च 1987 के द्वारा उक्त मदरसा को वस्तानिया स्तर की प्रस्वीकृति दिनांक 1 जनवरी 1997 से प्रदान की गयी है तथा पूर्व से ही मदरसा के नाम से 52 डिसमिल जमीन हिब्बा नामा तथा 13 डिसमिल केवाला हासिल है तथा उसी समय मदरसा संचालन हेतु एक कमेटी का भी गठन किया गया था. जिसे सर्वसम्मति से मदरसा की पठन पाठन सुचारू रूप चलाये जाने हेतु मौलवी, हाफीज तथा शिक्षक पद पर बहाली भी किया गया था. वहीं मदरसा के सचिव हीर मोहम्मद,शिक्षक बदरूद्दीन, मो मुजम्मील आदि ने प्रधान मौलवी मो जाहिदुर्रहमान पर आरोप लगाते हुए कहा कि प्रधान मौलवी द्वारा

गलत ढंग से कमेटी को बदल दिया गया है तथा मदरसा में कार्यरत मौलवी, हाफीज तथा शिक्षकों को हटा कर उक्त स्थान पर किसी दूसरे को बहाल कर दिया गया है.जिसे लेकर दोनों पक्षों के बीच पिछले कई महीनों से विवाद चल रहा है तथा मामला हाई कोर्ट तक पहुंच चुकी है. इसी दौरान गुरुवार को प्रधान मौलवी द्वारा मदरसा भवन निर्माण किया जा रहा था. जिसका विरोध दूसरे पक्ष कर रहे थे. इधर सूचना पाकर पोठिया थाना पुअनि अमित कुमार राय ने दल बल के साथ स्थल पर पहुंच कर तत्काल भवन निर्माण कार्य पर रोक लगा दिया तथा दो पक्षों को सख्त निर्देश दिया कि जब तक न्यायालय का फैसला नहंी आ जाता तब तक भवन निर्माण पर रोक है.

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