दिघलबैंक : प्रखंड की विभिन्न पंचायतों के किसान मक्के व गेहूं की बोआई की तैयारी में जुट गए हैं. बाढ़ प्रभावित इस इलाके में मुख्य रूप से किसान गेहूं,मक्का एवं तेलहनी फसलों की खेती करते हैं. 50 प्रतिशत किसानों ने अपने खेत में गेहूं,मक्का एवं दलहनी फसलों की बोआई कर दी है. बाढ़ व वर्षा का दंश झेल चुके किसान विभागीय उदासीनता के कारण आर्थिक संकट का सामना करना कर रहे हैं. कृषि विभाग ने अब तक न तो किसानों को फसल मुआवजा उपलब्ध कराया है और न ही पैक्स किसानों के धान की खरीदारी कर रहा है.
किसान बृजमोहन झा ने कहा कि खेती के लिए किसानों को रुपये की सख्त जरूरत है. क्रय केंद्र नहीं खुलने से किसानों का धान भी नहीं बिक रहा है. ऐसे में किसान औने- पौने दाम पर धान बेचने को मजबूर हैं. किसान नजीमुद्दीन ने कहा कि रबी फसल में कृषि विभाग से अब तक कोई आर्थिक सहयोग नहीं मिला है.जिनकी पहुंच रहती है उसे ही विभाग से बीज मिलता है. किसी तरह महाजन से कर्ज लेकर खेती कर रहा हूं. किसान नादिर आलम ने कहा कि कृषकों की समस्या कोई नहीं सुनता.
बाजार में खाद बीज उंचे दामों पर बिक रहा है. प्रशासन इस ओर ध्यान नहीं देता. प्राकृतिक आपदा की मार से स्थानीय किसान हमेशा परेशान रहते हैं. शिवनारायण गणेश ने कहा कि किसानों की आजीविका कृषि पर निर्भर है.कर्ज लेकर खेती करते हैं.अब तो महाजन भी कर्ज नहीं दे रहा है.ऐसे में किसान के समक्ष खेती छोड़ने की नौबत आ गई है. अिनल साह ने कहा कि सरकारी लाभ किसानों को सही समय पर नहीं मिल पाता है. जिस कारण किसानों को परेशानी होती है.विभाग सिर्फ खाना पूर्ति करने में लगा रहता है. किसान अनिसुर रहमान ने कहा कि रबी फसल की तैयारी में बहुत परेशानी आ रही है. अब तक विभाग न तो फसल क्षति का मुआवजा दिया है और न ही पैक्स धान की खरीद कर रहा है.महाजन भी अब कर्ज देने से भाग रहा है.