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मानसी के फूड पार्क में उत्पादन शुरू

खुशखबरी. बेबीकार्न, स्वीटकार्न की खेती से मालामाल होंगे किसान मानसी स्थित फूड पार्क में मक्के से बने खाद्य सामग्री का उत्पादन शुरू हो गया है. खगड़िया जिला मक्का की खेती बड़े पैमाने पर होती है. यह देश में मक्का की खेती के लिये अव्वल माना जाता है. खगड़िया : मानसी स्थित फूड पार्क में मक्के […]

खुशखबरी. बेबीकार्न, स्वीटकार्न की खेती से मालामाल होंगे किसान

मानसी स्थित फूड पार्क में मक्के से बने खाद्य सामग्री का उत्पादन शुरू हो गया है. खगड़िया जिला मक्का की खेती बड़े पैमाने पर होती है. यह देश में मक्का की खेती के लिये अव्वल माना जाता है.
खगड़िया : मानसी स्थित फूड पार्क में मक्के से बने खाद्य सामग्री का उत्पादन शुरू हो गया है. प्रयोग के तौर पर मानसी प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत प्रिस्टाईन कंपनी के फूड पार्क परिसर में मक्का की खेती बाद बेबीकार्न एवं स्वीटकार्न का उत्पादन कर जिले के किसानों को बेहतर आमदनी के लिये प्रेरणा दिया गया है. फूड पार्क सीइओ आनंद झा व निदेशक संजय माड़वार ने गुरुवार को प्रेसवार्ता कर कंपनी की आगामी योजनाओं को साझा किया. निदेशक श्री माड़वार ने कहा कि खगड़िया जिला मक्का की खेती बड़े पैमाने पर होती है. यह देश में मक्का की खेती के लिये अव्वल माना जाता है. उन्होंने कहा कि मक्का बुआई के 60 से 70वें दिन के अंदर में मक्का के पौधे में बाली में शिल्क होने के बाद चार से पांच इंच होने तक प्रथम क्रोप्ट में तोड़ लिया जाना है. इस क्रोप्ट के तीन फेज होते है.
यानी एक मक्का के पौधा में तीन मक्का की बाली होती है. पहला बाली को प्रथम क्रोप्ट में तोड़ने की आवश्यकता है उन्होंने कहा कि एक बीघे जमीन में मक्का की बुआई में बीस से 25 हजार रुपया का लागत लगता है. जिसमें कुल 600 किलो ग्राम बेबी कार्न के उत्पादन के पश्चात खुले बाजार में 50 से 60 रुपये प्रतिकिलो बिक्री किया जा सकता है. जिससे तीनों क्रोप्ट में किसानों को लागत मूल्य से दोगुना मुनाफा होता है. इससे किसानों की माली हालत में सुधार आयेगी. मक्का की खेती में पच्चीस से तीस हजार रुपये प्रति बीघा पर लागत आती है.मक्का के पौधा में शिल्क होने के साथ मक्का के पौधे का पहला बाली तोड़े जो बेबी कार्न होता है.
बनाये गये वेयर हाउस : जिले के किसान बेबी कार्न तथा तथा स्वीट कार्न को रखने के लिये फूड पार्क स्थित हाउस का निर्माण किया गया है. जहां किसान को वेयर हाउस के निर्धारित राशि जमा करनी पड़ेगी. इस वेयर हाउस में उक्त कार्न को छह माह के अंदर बिक्री के लिये ले जाया जा सकता है. निदेशक श्री माड़वार ने बताया कि यह वेयर हाउस जिले के किसानों के लिये निर्माण कराया गया है. जिस वेयर हाउस को आगामी मई माह में चालू कर दिया जायेगा. उन्होंने बताया फूड पार्क परिसर में प्रशासनिक भवन तथा तकनीकी भवन को अप्रैल माह में चालू किया जायेगा.
उत्पाद बेचने को स्वतंत्र हैं किसान : निदेशक श्री माड़वार ने बताया कि मक्का खेती करने वाले किसान को अगर खुले बाजार में अपने फसल की बिक्री करना है तो वह स्वतंत्र हैं. किसानों को अगर किसी भी प्रकार की कठिनाई होती है तो स्थानीय फूड पार्क के अधिकारी से सम्पर्क स्थापित कर बिक्री कर सकते हैं. जहां किसानों को हाथों हाथ फसल के मूल्य की राशि का चेक दिया जायेगा.
मक्का के बुआई के 60 से 70वें दिन तैयार होता है बेबी कार्न/स्वीटकार्न
एक बीघा में 600 किलो होता है उत्पादन
बाजार में 50 से 60 रुपये प्रतिकिलो की होती है बिक्री
एक बीघे में खेती में 20 से 25 हजार लगता है लागत
तीन फेज में कम से कम एक लाख रुपये की होती है आमदनी
कृषि विभाग को करना चाहिये पहल
किसान को ज्यादा से ज्यादा आमदनी हो सके इसके लिये कृषि विभाग को किसानों के बीच पहल करने की जरूरत है. निदेशक श्री माड़वार ने बताया कि कृषि विभाग अगर बेबी कार्न तथा स्वीट कार्न के उत्पादन से संबंधित किसानों को प्रशिक्षित करेंगे तो किसानों की माली हालत में सुधार हो सकता है.
ऐसे शुरू हुआ प्रयोग : स्थानीय प्रिस्टाईन कंपनी के फूड पार्क साढ़े तीन एकड़ में बेबी कार्न तथा पांच एकड़ में स्वीट कार्न के उत्पादन के लिये प्रयोग किया गया जो सफल साबित हुआ है. इस खेती को सफल जो प्रयोग करने के लिये बेंगलुरु से प्रशिक्षित किसान के निर्देशन में प्रयोग किया गया. फूड पार्क में ऐसे कई प्रशिक्षक है. जिनसे मक्का की खेती से बेबी कार्न/स्वीट कार्न के उत्पादन से संबंधित परामर्श लिया जा सकता है. बेबी कार्न तथा स्वीट कार्न के कच्चा बाली को खाने से ब्लड सुगर,कॉल स्टॉर तथा रक्तचाप जैसे बीमारी से निजात मिलता है. इस कार्न को कई प्रकार से सब्जी बनाया जा सकता है.

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