23.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

नहीं चेत रहा स्वास्थ्य विभाग

समस्या. मेडिकल वेस्टेज के निबटारे की नहीं है व्यवस्था छोटे बड़े निजी अस्पताल व क्लिनिक के मेडिकल कचरे के निस्तारण नहीं कर सड़क पर फेंक दी जाती है. स्वास्थ्य विभाग द्वारा मेडिकल कचरे के निस्तारण नहीं करने वाले के विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं की जाती है. खगड़िया : जिले के अधिकांश निजी अस्पताल संचालकों द्वारा […]

समस्या. मेडिकल वेस्टेज के निबटारे की नहीं है व्यवस्था

छोटे बड़े निजी अस्पताल व क्लिनिक के मेडिकल कचरे के निस्तारण नहीं कर सड़क पर फेंक दी जाती है. स्वास्थ्य विभाग द्वारा मेडिकल कचरे के निस्तारण नहीं करने वाले के विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं की जाती है.
खगड़िया : जिले के अधिकांश निजी अस्पताल संचालकों द्वारा मेडिकल वेस्टेज के निस्तारण की व्यवस्था नहीं की गयी है. यही कारण है कि खगड़िया, गोगरी, चौथम, बेलदौर, परबत्ता, अलौली तथा महेशखूंट में चल रहे छोटे बड़े निजी अस्पताल व क्लिनिक के मेडिकल कचरे के निस्तारण नहीं कर सड़क पर फेंक दी जाती है. जिसके कारण संक्रमण फैलने की संभावना बनी रहती है. स्वास्थ्य प्रशासन द्वारा मेडिकल कचरे के निस्तारण नहीं करने वाले के विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं की जाती है.
जिसके कारण निजी क्लिनिक व निजी अस्पताल के संचालक सड़क पर कचरे फेंक रहे हैं. हालांकि जिले के दो दर्जन से अधिक निजी अस्पताल के मेडिकल कचरे को भागलपुर भेजा जाता है. लेकिन शहर के कुछ निजी क्लिनिकों से निकलने वाला बायो कचरा लोगों को बीमार बना रहा है. ऐसे निजी क्लिनिक जहां-तहां बायो कचरे को फेंक दे रहे हैं, जिसके कारण संक्रामक बीमारियों का प्रकोप बढ़ने की आशंका बढ़ने की संभावना बनी रहती है.
बनी रहती है गंभीर व संक्रामक बीमारी फैलने की आशंका : रेफरल अस्पताल के चिकित्सकों ने बताया कि रेफरल अस्पताल में बायो मेडिकल वेस्ट के निस्तारण के लिए आउटसोर्सिंग एजेंसी को लगाया गया है, जो समय -समय पर अस्पताल से बायो कचरे को एकत्र कर ले जाती है और उसे बड़े स्तर पर इकट्ठा कर समुचित तरीके से उसका निस्तारण करती है. चिकित्सकों के अनुसार अस्पतालों से निकलने वाले कचरे से संक्रामक बीमारियां फैल सकती हैं. इन बीमारियों में हेपेटाइिस बी, संक्रमण से फैलने वाली बीमारियां, टेटनस, एड्स सहित कई गंभीर बीमारियां हो
सकती हैं.
कई निजी क्लिनिक में नहीं हैं इंतजाम
बायो मेडिकल कचरों में शामिल दूषित रूई, पट्टी, ब्लड बैग, सीरिंज, आइवी सेट, टयूब, कांच और प्लास्टिक की बोतल के निस्तारण का दावा तो किया जाता है, पर हकीकत यह है कि इसका मुक्कमल इंतजाम अधिकांश क्लिनिक में नहीं है. इसमें न सिर्फ निजी अस्पताल, बल्कि गांवों में चलने वाले क्लिनिक और झोलाछाप चिकित्सकों की क्लिनिक भी शामिल हैं.
अधिकतर निजी अस्पतालों के कचरे का नहीं हो रहा निस्तारण
बगैर स्वीकृति के भी चल रहे कई अस्पताल
कहते हैं सीएस
सीएस अरूण कुमार सिन्हा ने बताया कि अस्पताल में जैव कचरों के निस्तारण के लिए आउटसोर्सिंग एजेंसी को लगाया गया है. निजी अस्पतालों में अगर उसके निस्तारण की व्यवस्था नहीं बनायी गयी है, तो इस मामले की जांच की जायेगी. वैसे निजी अस्पतालों के निबंधन की जांच समय-समय पर की जाती है. अगर निजी अस्पताल में जैव कचरे का निस्तारण नहीं कर रहे हैं, तो उनके विरुद्ध कार्रवाई की जायेगी.
गोगरी में बाइपास के समीप फेंके गये मेडिकल वेस्टेज में खाना ढूढ़ती गाय.
महिला पर्यवेक्षिका को भी चलाना होगा व्हाट्सएप्प

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें