शहर में तीन दर्जन से अधिक स्थानों पर वाटर प्लांट चल रहे हैं. यहां से प्रत्येक माह करोड़ों रुपये का पानी लोगों के घरों से लेकर दुकानों तक सप्लाई होती है. पानी प्लांटों में न तो मानक का ख्याल रखा जाता है और न ही लाइसेंस समेत अन्य कानूनी प्रक्रिया ही पूरी करने की चिंता है.
खगड़िया : जिले में शुद्ध पेयजल के संकट ने तेजी से पानी के कारोबार को बढ़ाया है. शहर में तीन दर्जन से अधिक स्थानों पर वाटर प्लांट चल रहे हैं. यहां से प्रत्येक माह करोड़ों रुपये का पानी लोगों के घरों से लेकर दुकानों तक सप्लाई होती है. पानी प्लांटों में न तो मानक का ख्याल रखा जाता है और न ही लाइसेंस समेत अन्य कानूनी प्रक्रिया ही पूरी करने की चिंता है. ऐसे में अवैध रूप से अधिकतर वाटर प्लांट लोगों को सेहत की चिंता का डर दिखा कर अपने कारोबार को बढ़ाने में लगे हैं. शहर की करीब तीन लाख आबादी के बीच पानी का कारोबार पिछले पांच साल में तेजी से बढ़ा है.
पैकेज्ड वाटर के साथ ही वाटर प्यूरीफायर तथा आरओ के पानी का कारोबार भी तेजी से बढ़ रहा है. इस दौरान लोगों की अज्ञानता का कारोबारी लाभ उठाते हैं. पानी की मापक यंत्र से जांच कर उसे दूषित ठहराते हुए मशीन लगाने के लिए दबाव बनाते हैं. हाल यह है कि यहां के पानी में आमतौर पर घातक तत्व नहीं है. आर्सेनिक यहां के पानी में मौजूद नहीं है और फ्लोराइड निर्धारित मानक से कम है.
लोगों का मानना है कि अधिकतर बीमारियों के पीछे दूषित जल का सेवन बड़ा कारण है. पानी के प्रति बढ़ी लोगों की चिंता पानी के कारोबारियों को लगातार बाजार उपलब्ध करा रही है. पिछले पांच वर्षों में शहर में तीन दर्जन से अधिक वाटर प्लांट लगाये जा चुके है. इनमें से कई की स्थापना दो वर्ष के अंदर हुई है. इसके ग्राहकों की संख्या लगातार बढ़ रही है. इससे कंपनियों को प्रत्येक वर्ष करोड़ों की आय होती है.
मिनरल नहीं, पैकेज्ड वाटर है यह
बोतल व जार में पानी सप्लाई कारोबारी लोगों को िसर्फ पैकेज्ड पानी की सप्लाई करते हैं जो मानक के अनुसार नहीं है. चंद कंपनी को छोड़ किसी के द्वारा भी दी जानेवाली पानी मिनरल वाटर नहीं है.
ये पैकेज्ड वाटर ही है. मिनरल वाटर में मानक के अनुसार पानी में सभी खनिज तत्व होते हैं. मानक के अनुसार, पानी में उन तत्वों की मौजूदगी सेहत के लिए बेहतर होती है. हाल यह है कि लोगों में आमतौर पर धारणा है कि बंद बोतल व जार का पानी मिनरल वाटर है. इसके नाम पर लोग हर दिन ठगे जा रहे हैं.
यहां का जल नहीं है दूषित : पीएचइडी
पीएचइडी विभाग के कार्यपालक पदाधिकारी रामाशंकर सिंह ने बताया कि जिले के भू-गर्भ से दूषित जल निकलने की शिकायत यहां कम है. पीएचइडी के मुताबिक, 120 फुट के नीचे का पानी स्वास्थ्य की दृष्टि से उत्तम है. पानी में पीएच के 6.5 से लेकर 8.5 का स्तर बेहतर माना जाता है.
यहां के पानी में इसका स्तर 6.7 है. टीडीएस के नाम पर ही पानी का कारोबार होता है जबकि यहां के भू-गर्भ जल में टीडीएस की मानक मात्रा दो हजार तक पीने योग्य है. यहां टीडीएस की मात्रा 300 से कम है. यहां के पानी में खतरनाक आर्सेनिक रसायन नहीं है. पानी में आयरन की मात्रा औसत से अधिक है, जो स्वास्थ्य के लिए घातक नहीं है. इसकी भी 120 फुट नीचे के पानी में मात्रा संतुलित है.