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नहीं सुधरी भू कंप्यूटराइजेशन की स्थिति

नहीं सुधरी भू कंप्यूटराइजेशन की स्थिति तीनों वर्षों में आधे से भी कम हुआ कार्य 305 के विरुद्ध मात्र 14 ग्राम में हुआ कार्य पूर्ण खगड़िया. भू अभिलेख कंप्यूटराइजेशन किसानों के लिए काफी महत्वपूर्ण एवं उपयोगी कार्यक्रम है. जिले में तीन वर्षों से अधिक समय से किसानों के जमीन के ब्योरा का कंप्यूटर पर अपलोड […]

नहीं सुधरी भू कंप्यूटराइजेशन की स्थिति तीनों वर्षों में आधे से भी कम हुआ कार्य 305 के विरुद्ध मात्र 14 ग्राम में हुआ कार्य पूर्ण खगड़िया. भू अभिलेख कंप्यूटराइजेशन किसानों के लिए काफी महत्वपूर्ण एवं उपयोगी कार्यक्रम है. जिले में तीन वर्षों से अधिक समय से किसानों के जमीन के ब्योरा का कंप्यूटर पर अपलोड करने का कार्य किया जा रहा है. लेकिन अब तक जो प्रगति सामने आयी है वह निराशाजनक है. जिले में भू अभिलेख कंप्यूटर का प्रतिशत मात्र 46 है. यानी आधे से भी कम कार्य हुए हैं. यह कार्य वर्ष 2012 में ही आरंभ किये गये थे. तीन वर्ष से अधिक समय बीते चुके हैं. लेकिन कार्य आधे से भी कम हुआ है. मिली जानकारी के अनुसार जिले के 305 राजस्व ग्राम में जमाबंदी रैयतों के जमीन के ब्योरे को कंप्यूटर पर अपलोड किया जाना है. अगर कार्य पूर्ण होने की बात की जाये तो 305 के विरुद्ध मात्र 14 राजस्व ग्राम में ही किसानों द्वारा दिये गये ब्योरे को पूर्ण रूपेण कंप्यूटराइज्ड किया गया है. हैरानी की बात तो यह है कि अलौली, बेलदौर तथा सबसे छोटे अंचल मानसी में तो एक भी राजस्व ग्राम में डाटा इंट्री का कार्य पूरा नहीं हो पाया है. कहां हुआ कि तना कार्य चौथम अंचल की स्थिति अन्य अंचलों से अच्छी है. इस अंचल में 71.46 प्रतिशत खेसरा को कंप्यूटर पर अपलोड किया जा चुका है. जबकि परबत्ता अंचल में 46.80 प्रतिशत, गोगरी अंचल में 39.52 , बेलदौर अंचल में 39, मानसी अंचल में 38, सदर अंचल में लगभग 35 प्रतिशत खेसरा का इंट्री हुआ है. बताते चले कि जिले के 305 राजस्व ग्राम में जमावंदी रैयतों की संख्या 4 लाख 64 हजार 590 है. जिसमें कुल खेसरा की संख्या 2 लाख 96 हजार 814 हैं. जिसके विरुद्ध एक लाख 38 हजार 922 खेसरा का डाटा इंट्री हुआ है. काफी उपयोगी है कार्यक्रम भू अभिलेख का कंप्यूटराइजेशन कार्य किसानों के लिए काफी उपयोगी है. अगर किसानों के जमीन के ब्योरे को कंप्यूटर पर अपलोड कर दिये जाते हैं. तो किसानों को जमीन संबंधी जानकारी के लिए चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे. घर बैठे बैठे किसान इंटरनेट के जरिये मोबाइल एवं कंप्यूटर पर जमीन की जानकारी ले सकेंगे. किसानों के जमीन भी सुरक्षित हो जायेंगे. क्योंकि कंप्यूटर पर ब्योरे अपलोड हो जाने से फर्जीवाड़ा भी समाप्त हो जायेगा. किसान व कर्मी है उदासीन भू अभिलेख कंप्यूटराइजेशन की धीमी गति के लिए किसान तथा राजस्व कर्मचारी दोनों ही जिम्मेदार है. क्योंकि शत प्रतिशत किसानों के द्वारा प्रपत्र दो में जमीन के ब्योरे से संबंधित प्रतिवेदन नहीं जमा किया जा रहा है. वहीं दूसरी ओर राजस्व कर्मचारी भी सभी किसानों से प्रपत्र दो स्व घोषणा पत्र लेने में नाकाम रहे हैं. जिस कारण भू कंप्यूटराइजेशन की स्थिति काफी धीमी हैं. कहते हैं अधिकारी एडीएम मुनि लाल जमादार ने बताया कि जिले में भू कंप्यूटराइजेशन का कार्य तेजी से हो. इसके लिए लगातार प्रयास किये जा रहे हैं. सभी सीओ को कार्य में तेजी लाने के सख्त निर्देश दिये गये हैं तथा दोनों डीसीएलआर को प्रतिदिन कार्य की समीक्षा करने तथा जिला स्तर पर साप्ताहिक रिपोर्ट भेजने का निर्देश दिया है. तीन सीओ के रोके गये वेतन सभी सीओ से मांगा गया स्पष्टीकरण भू अभिलेख के कंप्यूटराइजेशन कार्य में लापरवाही के आरोप में तीन अंचलों के सीओ के वेतन भुगतान पर अगले आदेश तक रोक लगायी गयी है. जबकि सभी सीओ से स्पष्टीकरण की मांग की गयी है. विभागीय सूत्र के मुताबिक डीएम साकेत कुमार ने मानसी, अलौली तथा बेलदौर अंचल के सीओ के वेतन भुगतान पर रोक लगाते हुए इनसे स्पष्टीकरण मांगा है. जानकारी के मुताबिक इस तीनों अंचलों में एक भी राजस्व ग्राम में डाटा इंट्री का कार्य पूरा नहीं हो पाया है. जिले में तीन वर्ष से अधिक समय से भू कंप्यूटराइजेशन का कार्य चल रहा है. लेकिन इस तीनों अंचलों के किसी भी राजस्व ग्राम में यह कार्य पूरा नहीं हो पाया है. इसके अलावे किसी भी अंचल में मौजा का सत्यापन नहीं किया गया है. जिस कारण डीएम ने सातों अंचलों के सीओ से स्पष्टीकरण मांगा है.

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