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सात चिकत्सिक के भरोसे हो रहा डेढ़ लाख पशुओं का इलाज

सात चिकित्सक के भरोसे हो रहा डेढ़ लाख पशुओं का इलाज फोटो है 8 मेंकैप्सन- पशु चिकित्सालय का दृश्य * जिले में प्रतिदिन करीब एक लाख 30 हजार लीटर का होता है दूध उत्पादन * दूध से करीब 31 लाख की प्रतिदिन होती है आमदनी * जिले में कुल 23 पशु चिकित्सालय * पशु चिकित्सालय […]

सात चिकित्सक के भरोसे हो रहा डेढ़ लाख पशुओं का इलाज फोटो है 8 मेंकैप्सन- पशु चिकित्सालय का दृश्य * जिले में प्रतिदिन करीब एक लाख 30 हजार लीटर का होता है दूध उत्पादन * दूध से करीब 31 लाख की प्रतिदिन होती है आमदनी * जिले में कुल 23 पशु चिकित्सालय * पशु चिकित्सालय में 17 दवा के विरुद्ध मा 8 तरह के दवा ही उपलब्ध * पशुओं के बिमारियों में हो रही है बढ़ोतरी* चिकित्सा के अभाव में पशु मृत्यु दर में भी बढ़ोतरीप्रतिनिधि, खगड़िया. जिले में करीब डेढ़ लाख पशुओं का इलाज मात्र सात चिकित्सक के भरोसे चल रहा है. पशु चिकित्सा के अभाव में पशु गंभीर बीमारी से ग्रसित होकर दम तोड़ रहे हैं. जिले के विभिन्न प्रखंड में 23 पशु चिकित्सालय का संचालन किया जा रहा है. पशु चिकित्सालय की स्थिति ऐसी कि कही डॉक्टर तो कही कंपाउंडर नहीं हैं. ऐसे में सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि पशुपालक को अपने पशुओं के इलाज में कितनी परेशानियां झेलनी पड़ती है. जबकि चिकित्सक की कमी से पशु पालकों को यत्र-तत्र जाकर ही पशुओं का इलाज कराने की मजबूरी बनी हुई है. इसके अलावा पशु को इलाज के लिए विभाग द्वारा 17 तरह की दवा का निर्धारण किया गया है. लेकिन पशु चिकित्सालय में मात्र आठ तरह की दवा के सहारे ही पशु का इलाज किया जा रहा है. जो पशुओं के बीमार होने की स्थिति में नाकाफी हो जाती है. जबकि प्रतिदिन इन पशुओं द्वारा एक लाख 30 हजार लीटर दूध का उत्पादन होता है. जिससे पशुपालक प्रतिदिन करीब 31 लाख रुपये का कारोबार करते हैं. किस प्रखंड में कितने पशु प्रखंड गाय भैंस अलौली 21,972 7781मानसी 4051 1365खगडि़या 16,526 6445गोगरी 18,886 6992बेलदौर 16,392 6077चौथम 10,821 3167परबत्ता 15,291 4292किस प्रखंड में कितने पशु चिकित्सालय परबत्ता प्रखंड में छह पशु चिकित्सालय का संचालन किया जा रहा है. चौथम में दो, मानसी में एक, बेलदौर में तीन, गोगरी में चार, अलौली में तीन, तथा खगड़िया में चार पशु चिकित्सालय का संचालन मात्र छह पशु चिकित्सक के सहारे किया जा रहा है.कितना होता है दूध उत्पादन जिले में रोजाना इन पशुओं (गाय एवं भैंस) से करीब एक लाख 30 हजार लीटर दूध का उत्पादन होता है. पशुपालक रामोतार साह, बाल्मिकी पंडित आदि ने बताया कि पशुओं की उचित देख व उचित इलाज हो तो दूध के प्रतिशत में काफी इजाफा हो सकता है. लेकिन पशु चिकित्सक की कमी से गाय व भैंस का समुचित इलाज नहीं हो पाता है. पशुओं में होने वाली बीमारीगाय व भैंस को ज्यादातर ढ़ासा, पेचीस, बुखार, चुमक्कन, रौस्टी, फहुरा, खुदहन, गलाघोंटू, लंगरी तथा छे्रड़ा रोग अधिकतर होते हैं. कोसी क्षेत्र होने पशुओं को ये सब बीमारी होने की ज्यादा संभावना बनी रहती है. क्या है बचने के उपायअनुमंडल पशु चिकित्सक डॉ श्रवण कुमार ने बताया कि कोसी क्षेत्र में ज्यादा मच्छर का प्रकोप बढ़ने के कारण पशु बीमार होते हैं. उन्होंने बताया कि इससे बचने के लिए गाय भैंस के बथान को साफ सुथरा रखना चाहिए. इसके अलावा मच्छर के प्रकोप को कम करने के लिए संध्या के समय निश्चित रूप से बथान के समीप धुंआ करना चाहिए. उन्होंने बताया कि पशुओं का इलाज झोला चिकित्सक से नहीं करवाने की बातें कही. जबकि पशुओं के इलाज के लिए पशु चिकित्सालय का सहारा लेने की सलाह पशुपालकों को दी. उन्होंने बताया कि पशु चिकित्सा की कमी से संबंधित पत्राचार विभाग को किया गया है.

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