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तत्काल सेवा: नियमों की उड़ रही धज्जियां

तत्काल सेवा: नियमों की उड़ रही धज्जियां फोटो है . 1 मेंकैप्सन.इस तरह होता है फर्जीवाड़ाशत-प्रतिशत लोगों को तत्काल सेवा का नहीं मिल रहा लाभराज्य सरकार का ड्रीम प्रोजेक्ट लोक सेवाओं का अधिकार अधिनियम को धरातल पर उतारने की जरूरतकार्यपालक सहायकों एवं आइटी सहायकों की बिचौलिया से रहती है मिलीभगतबिचौलिया द्वारा जमा आवेदनों की फर्जी […]

तत्काल सेवा: नियमों की उड़ रही धज्जियां फोटो है . 1 मेंकैप्सन.इस तरह होता है फर्जीवाड़ाशत-प्रतिशत लोगों को तत्काल सेवा का नहीं मिल रहा लाभराज्य सरकार का ड्रीम प्रोजेक्ट लोक सेवाओं का अधिकार अधिनियम को धरातल पर उतारने की जरूरतकार्यपालक सहायकों एवं आइटी सहायकों की बिचौलिया से रहती है मिलीभगतबिचौलिया द्वारा जमा आवेदनों की फर्जी फोटो लेकर लेकर होती है इंट्रीलोग कार्यालय का चक्कर लगाने को विवशप्रतिनिधि, खगड़िया लोक सेवाओं का अधिकार अधिनियम राज्य सरकार का ड्रीम प्रोजेक्ट है.बावजूद इसके चार वर्ष बाद भी जिले में यह अधिनियम धरातल पर नहीं उतर सका है. इस अधिनियम से तत्काल सेवा को इस लिए जोड़ा गया, ताकि लोगों को बिचौलियाें से मुक्ति मिल सके. पर, ऐसा हुआ नहीं. तत्काल सेवा पर बिचौलिया पूरी तरह से हावी हैं. बिचौलियाें के रहमोकरम पर लोगों को तत्काल सेवा का लाभ मिल पाता है. विभिन्न आरटीपीएस में नियोजित कार्यपालक सहायकों एवं आइटी सहायकों की मिलीभगत बिचौलियाें से है.क्या है तत्काल सेवातत्काल सेवा के तहत दो कार्य दिवस में जाति, आय व आवासीय प्रमाण पत्र उपलब्ध कराने का प्रावधान है. तत्काल सेवा के तहत बनने वाले जाति, आय व आवासीय प्रमाण पत्रों के आवेदन पर राजस्व कर्मचारी से अनुशंसा कराने की अनिवार्यता नहीं है. राजस्व कर्मचारी से अनुशंसा नहीं कराने की स्थिति में आवेदकों को विकल्प भी दिया गया है. किंतु, उस विकल्प की अनदेखी कार्यपालक सहायकों एवं आइटी सहायकों द्वारा की जाती है. कार्यपालक सहायक एवं आइटी सहायक तत्काल सेवा के आवेदन पर राजस्व कर्मचारी से अनुशंसा कराने की अनिवार्यता बना रखी है. इसके कारण आवेदकों को राजस्व कर्मचारी के यहां चक्कर लगाना पड़ता है. जो आवेदक राजस्व कर्मचारी से आवेदन पर अनुशंसा कराने में सफल होते हैं, उन्हें बिचौलियाें से मुक्ति मिलती है और जो राजस्व कर्मचारी से अनुशंसा नहीं करा पाते हैं वे बिचौलिया के संरक्षण में जाने को विवश हो जाते हैं. फर्जी तरीके से लिया जाता है फोटोसूत्रों की मानें, तो विभिन्न आरटीपीएस में बिचौलियाें द्वारा जमा किये जाने वाले तत्काल सेवा के आवेदनों की इंट्री फर्जी तसवीर लेकर की जाती है. वैसे आवेदनों की जांच अगर किसी वरीय अधिकारियों से करायी जाती है तो सच्चाई सामने आ सकती है. जो आवेदक खुद आरटीपीएस काउंटर पर आते हैं, वैसे आवेदनों पर आवेदक का फोटो जरूर लिया जाता है. प्राधिकार पत्र का भी गलत इस्तेमाल किया जाता है. प्राधिकार पत्र पर नाम किसी और का तथा तसवीर किसी और की ली जाती है, जो इस अधिनियमि का उल्लंघन है.अनियमितता के आरोप में नियोजन हो चुका है रद्दतत्कालीन एसडीओ सुनील ने कुछ महीने पूर्व अंचल कार्यालय, खगड़िया स्थित आरटीपीएस का औचक निरीक्षण किया था. तब उन्होंने नियोजित कार्यपालक सहायक देवन साह एवं सुजीत कुमार को अनियमितता में लिप्त पाया और एसडीओ की अनुशंसा पर कार्यपालक सहायक देवन साह एवं सुजीत कुमार का नियोजन रद्द कर दिया गया था. बावजूद इसके उक्त आरटीपीएस में अनियमितता चरम पर है. अधिकारी नहीं देते ध्यानअधिकारियों का ध्यान कालबाधित आवेदनों तक ही सीमित है. फर्जी फोटो एवं फर्जी तरीके से सेवा निष्पादन की ओर अधिकारियों का ध्यान नहीं जाता है. अगर अधिकारी फर्जी फोटो एवं फर्जी तरीके से सेवा निष्पादन को मुख्य केंद्र बनायें, तो कई कार्यपालक सहायक एवं आइटी सहायक पर कार्रवाई की गाज गिर सकती है.

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