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संतान प्राप्ति के लिए वख्यिात है विशौनी दुर्गा पूजा

संतान प्राप्ति के लिए विख्यात है विशौनी दुर्गा पूजा फोटो 5 मेंकैप्सन: विशौनी दुर्गा स्थान मंदिर.प्रतिनिधि, परबत्ता/गोगरीगंगा तट पर स्थित विशौनी गांव की चार भुजा वाली आदि शक्ति दुर्गा मां की महिमा अपरंपार है. मां की कृपा से भक्त जन खाली हाथ वापस नहीं जाते. सभी की मन्नतें पूर्ण होती हैं तथा संतान प्राप्ति के […]

संतान प्राप्ति के लिए विख्यात है विशौनी दुर्गा पूजा फोटो 5 मेंकैप्सन: विशौनी दुर्गा स्थान मंदिर.प्रतिनिधि, परबत्ता/गोगरीगंगा तट पर स्थित विशौनी गांव की चार भुजा वाली आदि शक्ति दुर्गा मां की महिमा अपरंपार है. मां की कृपा से भक्त जन खाली हाथ वापस नहीं जाते. सभी की मन्नतें पूर्ण होती हैं तथा संतान प्राप्ति के लिए चार भुजा वाली मां विख्यात हैं. शारदीय नवरात्र देश के कोने कोने में मनाये जाते हैं. आम तौर पर सभी जगह आठ एवं दस भुजा वाली मां दुर्गा की प्रतिमा बनाकर भक्त गण पूजा अर्चना करते हैं. पर, विशौनी एवं नयागांव में सदियों से चार भुजा वाली मां दुर्गा की प्रतिमा बना कर पूजा अर्चना होती आ रही है. शारदीय नवरात्र को लेकर यहां भक्ति की गंगा बह रही है. मूल प्रकृति स्वरूप हैं चार भुजा वाली दुर्गास्वामी आगमानंद जी महाराज कहते हैं कि महालक्ष्मी, सरस्वती स्वरूप हैं चार भुजा वाली दुर्गा, जो मूल प्रकृति स्वरूप हैं. शक्ति स्वरूप का उद्गम विकास का मूल आधार महालक्ष्मी है. जो चर्तुभुजी हैं. इनको भुवनेश्वरी भी कहा जाता है. मूल प्रकृति स्वरूप चतुर्भुजी दुर्गा की पूजा-अर्चना करने से सभी बधाएं दूर होती हैं तथा मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. ब्रह्मा, विष्णु एवं महेश ने भी इस शक्ति की उपासना को स्वीकारा है. अंग्रेज भी मंदिर में टेकते थे माथाग्रामीण उमेश चंद्र झा, विद्यापति झा, धनंजय झा, रिंकू झा आदि बताते हैं कि अंग्रेज शासन काल में एक अंग्रेज अधिकारी को संतान नहीं थी. मां के दरबार में माथा टेका और उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई. फलस्वरूप कई वर्षों तक शारदीय नवरात्र में मंदिर आकर माथा टेकते थे. मां की कृपा से यहां के भक्त उच्च पदों पर पहुंच कर गांव एवं जिले का नाम रोशन किया है. साग एवं बगिया का लगता है भोगजब मां पिंड पर विराजमान हो जाती हैं, तो प्रत्येक दिन सुबह एवं शाम को साग एवं चावल की बगिया का भोग लगाया जाता है. ग्रामीण बताते हैं कि कई वर्ष पूर्व बार-बार बाढ़ की विभिषिका से लोग तंग आ चुके थे. मंदिर के पंडित एवं भक्त गणों ने मां से विनती की कि मां हमलोग तंग आ चुके हैं. उनकी आर्थिक स्थिति दयनीय है अब वे सेवा नहीं कर सकेंगे. यह कह कर भक्तों ने निर्णय लिया कि अगले साल से पूजा-पाठ नहीं होगा. अगले वर्ष शारदीय नवरात्र के कुछ दिन पूर्व मां ने मंदिर के पंडित का स्वप्न दिया. तुम जो प्रतिदिन भोजन गहण करते हो, उसी से मेरा भोग लगाओ, मैं तुम लाेगों की भक्ति भावना से प्रसन्न हूं. पुन: पूजा आरंभ हुई तथा उसी दिन से साग एवं बगिया का भोग लगाया जाता है. आस्था का सैलाब उमड़ता है प्रतिवर्षशारदीय नवरात्रा में सुबह शाम भक्तों यहां भीड़ उमड़ती है. दूर-दराज से प्रतिदिन भक्त गण आते रहते हैं. मन्नते मांगने वाले भक्तों की भीड़ काफी रहती है. ग्रामीण भक्तों की सेवा में तत्पर रहते हैं. मंदिर का आकार भी चर्तुभुज है.

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