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संगम में अवस्थित मां कात्यायनी की महिमा अगम अपार

खगडिया : मुख्यालय से 18 किलोमीटर दूर में अवस्थित चौथम प्रखंड के रोहियार पंचायत के धमारा घाट में मां दुर्गा के छठे स्वरूप के नाम से विख्यात हैं. दूध की देवी शक्ति पीठ मां कात्यायनी स्थान! कोसी, बगमती तथा कमला नदी के संगम में अवस्थित मां कात्यायनी की महिमा अगम अपार है. माता भक्तजनों की […]

खगडिया : मुख्यालय से 18 किलोमीटर दूर में अवस्थित चौथम प्रखंड के रोहियार पंचायत के धमारा घाट में मां दुर्गा के छठे स्वरूप के नाम से विख्यात हैं. दूध की देवी शक्ति पीठ मां कात्यायनी स्थान! कोसी, बगमती तथा कमला नदी के संगम में अवस्थित मां कात्यायनी की महिमा अगम अपार है. माता भक्तजनों की मन्नतें पूर्ण

करती हैं
शक्ति पीठ पौराणिक संदर्भ : हिन्दू धर्म के अनुसार जहां सती देवी के शरीर के अंग गिरे वहां शक्ति पीठ बन गई. और अत्यंत पावन तीर्थ कहलाए. ये तीर्थ पूरे भारतीय उपमहाद्वीप पर फैले हुए हैं. इसी क्रम में सती देवी का बायां हाथ रोहियार पंचायत के बंगलिया गांव में गिरा था. जो मां कात्यायनी शक्ति पीठ के नाम से विख्यात हो गया. मां कात्यायनी स्थान 51 शक्तिपीठों में एक हैं
दूध चढ़ाने की विशेष परंपरा : दूध की देवी मां कात्यायनी मंदिर में दूध चढ़ाने की विशेष परंपरा है. कोसी इलाके ही नहीं बल्कि उत्तर भारत के पशुपालकों का गाय जब बच्चे देती हैं तो पहला दूध मां कात्यायनी स्थान मंदिर में चढ़ाया जाता हैं. इस मंदिर की खास विशेषता है कि जो भक्तगण सच्चे मन से जो माता को दूध चढ़ाने के लिए संकल्प लेकर आते हैं. उसका दूध खराब नहीं होता है. प्रत्येक सोमवार एवं शुक्रवार को वैरागन का दिन हैं. उस दिन मंदिर में आपार भीड़ उमड पडती है. दूध चढ़ाने से पशुपालको का पशु स्वस्थ रहता है ऐसी मान्यता है. उक्त मंदिर में दूध की धारा बहती हैं.
मंदिर जाने के लिए नाव व रेल ही सहारा
पर्यटन स्थल का नहीं मिल सका है दर्जा. मां कात्यायनी मंदिर जाने के लिए नाव एवं रेल का सहारा लेना पड़ता है. जो कठिन हैं. मंदिर तक पहुंच पथ नहीं होने कारण 19 अगस्त 2013 को मां कात्यायनी मंदिर पूजा अर्चना करने जा रहे 28 श्रद्धालुओं की मौत धमारा रेलवे स्टेशन पर राजरानी एक्सप्रेस ट्रेन से कटकर हो गई थी. उसके बाद भी सरकार की ओर से कोई पहल आज तक नहीं किया गया. समाजिक कार्यकर्ताओं ने शक्तिपीठ मां कात्यायनी मंदिर को पर्यटन स्थल का दर्जा को लेकर कई बार धरणा प्रर्दशन भी किया. लेकिन पर्यटन की बात तो दूर हैं. मंदिर तक पहुंच पथ भी नहीं बन सका है. इस मंदिर में बिहार के के हर क्षेत्र से भक्तजन मां की आराधना करने आते हैं.
क्या कहते हैं जानकार
कोसी कालेज के प्राचार्य डाक्टर रामपूजन सिंह बताते हैं कि शक्ति पीठ मां कात्यायनी की कृपा इलाके में विख्यात हैं. यह इलाका श्रम शक्ति पर निर्भर है. प्राकृतिक आपदा बाढ़, सुखाड़ के बाद भी इलाके में न तो कभी अकाल की स्थिति उत्पन्न हुई हैं और न होगी. यह माता की असीम कृपा हैं. दुर्गम रास्ते के बावजूद भी इलाके के लोग खुशहाल हैं. सैकड़ों परिवारों की जीविका इस मंदिर से चल रही हैं.
इस शक्ति पीठ मां कात्यायनी मंदिर से सहरसा- जिले के सोनवर्षा प्रखंड के विराटपुर में अवस्थित मां चण्डी देवी एवं महिषी में अवस्थित मां तारा देवी की दूरी एक दूसरे से समान हैं एवं तीनों देवी समबाहु त्रिभुज की तरह तीन बिंदु पर विराजमान हैं. जो बिहार ही नहीं देश में विख्यात हैं. इन दिनों मंदिर में सैकड़ों की संख्या में कलश स्थापना कर विशेष पूजा धूमधाम से किया जा रहा है.

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