– चन्द्रयान थ्री, मंगल मिशन व गगन यान मिशन में कर रहे कार्य – युवाओं के लिए बने हैं प्रेरणा श्रोत, विपरीत परिस्थितियों में पाया मुकाम सरोज कुमार, कटिहार शहर के इमरजेंसी कॉलोनी निवासी विजय कुमार इसरो का वैज्ञानिक बनकर जिले का मान बढ़ा रहे हैं. पूर्व राष्ट्रपति दिवगंत एपीजे अब्दुल कलाम के उपदेशों को अनुसरण कर आज वह भी चन्द्रयान थ्री, मंगल मिशन व अब गगन यान मिशन में कार्य कर राष्ट्र के युवाओं के प्रेरणा श्रोत बने हुए हैं. विपरीत परिस्थितियों में अपने मेहनत के बल पर मुकाम पाने वाले मूल रूप से दरभंगा के उजान गांव के रहने वाले इसरो वैज्ञानिक विजय कुमार ने एक मुलाकात के दौरान प्रभात खबर को इस मुकाम तक पहुंचने के दौरान की गयी संघर्ष से रूबरू कराया. उन्होंने बताया कि मध्यवर्गीय परिवार से आने की वजह से उन्हें इस मुकाम तक पहुंचने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ा. उनके पिता दिनेश कामती ग्रुप डी में कार्यरत थे. फिलहाल वे सेवानिवृत हो गये हैं. माता युगेश्वरी देवी एक गृहिणी हैं. उनके बड़े भाई विनय कुमार कामती रेलवे में हैं. रेलवे ग्रुप डी में कार्य करने की वजह से सिंगल क्वार्टर में रहकर तीन भाई बहन पढ़ाई की. तब उनके समाजे में कोई भी ज्यादा पढ़ा लिखा नहीं था. उनके पिता हमेशा पदाधिकारियों के बीच रहते थे. इस वजह से उनका सपना था कि उनका पुत्र एक दिन पदाधिकारी बने. उनके समाज में जागृति नहीं थी वे चाहते थे उनका पुत्र एक मुकाम हासिल दूसरे युवाओं के लिए प्रेरणा श्रोत बने. वे बताते हैं कि प्रारम्भिक पढाई लिखाई 2001 में केन्द्रीय विद्यालय कटिहार से मैट्रिक परीक्षा प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण की. 2001-2003 में पटना साइंस कॉलेज से प्रथम श्रेणी से इंटर की पढाई पूरी की. एमआईटी मुजफ्फरपुर से मैकेनिकल से बीटेक की पढाई पूरी की. आइआइटी रूढकी में एमटेक के लिए चयन हुआ. लेकिन इसी दौरान 2009 में उनका चयन इसरो के लिए हो गया. वे अब तक कई यान में सहभागिता निभा चुके हैं. पूर्व में चन्द्रयान थ्री यान, मंगल मिशन और अब गगन यान मिशन में कार्य कर रहे हैं. वे मैकेनिकल डिजाइनर के रूप में कार्यरत हैं. करीब बारह साल तक वे त्रिवेन्द्रम में कार्यरत रहे. वर्तमान में स्पेश अप्लीकेशन सेंटर अहमदाबाद में कार्यरत हैं. वे कटिहार दो चार दिन के लिए निजी कार्य के लिए आये थे. युवाओं को एक गोल तय करने की है जरूरत भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन में वैज्ञानिक बने विजय कुमार का कहना है कि युवाओं को चाहिए कि सबसे पहले अपने जीवन का गोल तय करें. उसके ऊपर हमेशा निरंतर प्रयास करते रहना चाहिए. प्रयास करने वाले को हार नहीं मानना चाहिए. सफलता और असफलता एक पार्ट है. मेहनत करने वाले को सफलता हाथ लगती है. असफल होने पर सीख मिलती है. उन्होंने बताया कि असफलता में सफलता की कुंजी छुपी होती है. गोल को पार करने के लिए केवल युवाओं में जोश जुनून होना चाहिए.
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