कटिहार बिहार राज्य अंतर्गत विभिन्न जिलों में केले में आने वाली समस्याओं को देखते हुए बिहार कृषि विश्वविद्याल के कुलपति डॉ डीआर सिंह के दिशा निर्देश पर निदेशक प्रसार शिक्षा डॉ आरके सोहाने द्वारा वैज्ञानिकों की एक टीम गठित की गयी. इसी क्रम में गुरूवर को फलका प्रखंड के भंगहा गांव में प्रशिक्षण सह सर्वेक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया. प्रशिक्षण के दौरान केले में कीट- व्याधि प्रबंधन के लिए सुझाव दिए गये. प्रबंधन में गरमा जुताई, फसल चक्र, संतुलित मात्रा में उर्वरक का प्रयोग, नीम की खली का प्रयोग, खर- पतवार का समय पर नियंत्रण तथा समेकित रोग एवं कीट प्रबंधन के संबंध में विशेष जानकारी दी गयी. रोगों को फैलाने में कई कीटों की प्रमुख भूमिका होती है.राइजोम विविल जो मृदा में पाई जाने वाली एक कीट है तथा यह पौधे के जड़ एवं तना को क्षतिग्रस्त करता है. इसके प्रबंधन के लिए वैज्ञानिकों ने पीट फॉल ट्रैप के उपयोग का प्रशिक्षण दिया गया. उसके उपरांत प्रत्यक्षण किया गया. कीट के जैविक विधि से प्रबंधन 30 सीएम लंबे केले के तने को काट कर दोनों तरफ बेभेरिया बेसियाना का 20 ग्राम पाउडर लगा कर केले के खेत में प्रति हैक्टेयर ऐसे 100 ट्रैप डालने की सलाह दी गयी. प्रशिक्षण डॉ श्याम बाबू साह, कीट विज्ञान विभाग, डॉ चंदा कुशवाहा, पौधा रोग विभाग तथा डॉ शशि प्रकाश, उद्यान (फल) विभाग ने संपादित किया. कृषि विज्ञान केंद्र कटिहार के वैज्ञानिक पंकज कुमार ने इस प्रशिक्षण एवं प्रत्यक्षण का आयोजन किया.
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