कटाव की विभिषका को अब भी याद दिला रही है यह दीवार मनोज कुमार, अमदाबाद प्रखंड के दक्षिणी करीमुल्लापुर पंचायत के चौकचामा गांव का धरोहर के रूप में किला जैसी खड़ी कुआं की दीवार लोगों को अपने पुराने गांव की आज भी याद दिला रही है. यह 100 वर्ष से अधिक पुराना कुंआ है जिसकी दीवार आज भी गंगा नदी के उपाधारा तट पर खड़ी है. जिस स्थान पर गंगा नदी का उप धारा है उसी तट पर कुतुब मीनार की तरह कुआं की की दीवार खड़ी है. लोगों का कहना है कि कभी यहां गांव हुआ करता था. गांव से गंगा नदी की दूरी करीब तीन से चार किलोमीटर थी. गंगा नदी में 2000 के दशक में कटाव शुरू हुआ. धीरे-धीरे गंगा नदी उपजाऊ भूमि को काटकर गांव के काफी पास आ गयी. गंगा नदी चौकचामा गांव के समीप से बहने लगी. अब चौकचामा गांव गंगा में समा गया. चौकचामा बहुत बड़ा गांव था. यहां करीब एक हजार से अधिक परिवार रहते थे. चौकचामा गांव के गणेश सिंह के दरवाजे पर एक सार्वजनिक कुआं का निर्माण गणेश सिंह के पूर्वजों ने कराया था जो गंगा नदी के किनारे अब भी है. कुआ की दीवार जमीन से करीब 30 फीट ऊंचा है. कुआं का निर्माण करीब 100 वर्ष पूर्व हुआ था. यहां के दर्जनों दर्जनों परिवार अन्यत्र पलायन कर गये हैं. लोगों ने कहा, वर्ष 2007 में चौकचामा गांव में गंगा से भीषण कटाव हुआ. प्रखंड में नदियों से भूमि कटाव का अबतक स्थाई समाधान नहीं हो पाया है. अभी भी कटाव के कुछ ऐसे अवशेष बचे हैं. जहां कटाव के दर्द को ताजा कर देता है. अमदाबाद प्रखंड से होकर गंगा एवं महानंदा नदी का बहाव है. कटाव से जहां जामुनतल्ला, गोलाघाट, नवरसिया, धन्नी टोला, खट्टी किशनपुर इत्यादि गांव पूरी तरह नदी में समा चुकी है. वर्तमान समय में कीर्ति टोला, युसूफ टोला, बबला बन्ना, झब्बू टोला, मेघु टोला इत्यादि गांव कटाव के मुहाने पर है. चौकचामा में वर्ष 2007 में गंगा नदी से कटाव हुआ था. और चौकचामा गांव की पूरी भौगोलिक दशा ही बदल गयी. कहते हैं ग्रामीण ग्रामीण जालंधर सिंह, मुकेश कुमार सिंह, मनोज सिंह, श्याम चौधरी, खोखा सिंह, जयराम सिंह इत्यादि लोगों ने कहा कि चौकचामा गांव काफी पुराना गांव है. यहां वर्ष 1914 में निर्मित कुंआ आज भी गंगा नदी की उपधार में खड़ा है. लोगों ने कहा कि वर्ष 1914 में राम जन्म सिंह ने अपने जीवन काल में अपने दरवाजे पर यह कुंआ बनवाया था. उस समय लोगों के घरों में चापाकल भी नहीं थे. अधिकांश परिवार पानी के लिए इसी कुएं पर निर्भर थे. बताया कि वर्ष 2007 में गंगा नदी से भीषण कटाव हुई. जिस के चपेट में आकर चौक चामा गांव तीतर बीतर हो गया. कटाव स्थल से करीब आधा किलोमीटर दूरी पर कुछ लोग घर बना कर रह रहे हैं. कटाव के जद में आकर पूर्व का खुशहाल चौक चामा गांव की भौगोलिक दशा बदल चुकी है. लोगों ने कहा कि गंगा के उपाधारा में पूर्व का निर्मित कुआं आज भी जस की तस खड़ी है. कटाव व विस्थापन के दर्द को कुरेदता है. कटाव की समस्या का स्थाई हल कब निकलेगा ये आज भी यक्ष प्रश्न बना हुआ है.
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