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नये डीएम के सामने होंगी कई चुनौतियां, लोगों की भी हैं अपेक्षाएं

नये डीएम के सामने होंगी कई चुनौतियां, लोगों की भी हैं अपेक्षाएं

कटिहार नव पदस्थापित जिला पदाधिकारी आशुतोष द्विवेदी ने शुक्रवार को कटिहार डीएम का प्रभार ग्रहण कर लिया. नये डीएम आशुतोष को केंद्र व राज्य सरकार के विभिन्न कल्याणकारी व विकास योजनाओं को गति देने के साथ-साथ कई चुनौतियों का भी सामना करना पड़ेगा. कटिहार जिला प्रत्येक वर्ष बाढ़, कटाव व प्राकृतिक आपदा से जूझता रहा है. साथ ही सरकार के विभिन्न विकास व कल्याणकारी योजनाओं का बेहतर क्रियान्वयन भी नये जिला पदाधिकारी के लिए कम चुनौती भरा नहीं है. जिले में नये डीएम को लेकर काफी अपेक्षाएं है. उन्हें जन आकांक्षाओं पर कितना खरा उतरते है. यह तो आने वाला वक्त ही बतायेगा. फिलहाल इस बात को लेकर बुद्धिजीवी व हर तबका में चर्चा है कि विभिन्न चुनौतियों का सामना करते हुए कटिहार जिला विकास के रास्ते पर कैसे आगे बढ़ेगा. केंद्र सरकार के नीति आयोग ने देश की अति पिछड़ा यानी आकांक्षी जिला में कटिहार को शामिल किया है. ऐसे में नीति आयोग द्वारा निर्धारित किये गये सूचकांक पर बेहतर करने का भी एक चुनौती बरकरार है. साथ ही शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क, बिजली, शुद्ध पेयजल, आवास जैसी कई बुनियादी सुविधाओं को लेकर भी कई बड़े काम किये जाने है. खासकर बाढ़ व कटाव से विस्थापित लोगों के पुनर्वास की भी एक एक बड़ा मुद्दा सामने है. नये डीएम के सामने जिले के विकास व कल्याणकारी कार्यों को आगे बढ़ाने के साथ-साथ उसे पूरा करने की भी जिम्मेदारी होगी. विस्थापितों का पुनर्वास चुनौतीपूर्ण कटिहार जिला बाढ़ व कटाव का दंश हर साल झेलता है. बड़ी संख्या में लोग हर साल विस्थापित होते है. हजारों की तादाद में लोग बांध व अन्य ऊंचे स्थलों पर अभी बसे हुए है. विस्थापितों को लेकर समय-समय पर यहां आंदोलन होते रहे है. पिछले दो-तीन वर्षों से विस्थापितों के पुनर्वास को लेकर आंदोलन जोर पकड़ा है. तत्कालीन डीएम मिथिलेश मिश्र ने इसके लिए कई तरह की रणनीति भी अपनायी थी. हर महीने पुनर्वास को लेकर समीक्षा की जा रही थी. नये डीएम के सामने यह बड़ी चुनौती है कि किस तरह विस्थापितों का पुनर्वास किया जाय. पिछले दो-तीन डीएम विस्थापितों के पुनर्वास को लेकर किये गये आंदोलन के दौरान आश्वासन देते रहे है. पर अब तक विस्थापितों के पुनर्वास की दिशा में कोई ठोस पहल नहीं हुई है. ऐसे में नये डीएम को नीति अपनाकर जल्द से जल्द विस्थापितों के पुनर्वास करने के लिए ठोस पहल करनी पड़ेगी. पार्किंग के लिए करनी होगी पहल नये जिला पदाधिकारी से शहरवासियों को भी उम्मीद है. खासकर पार्किंग की व्यवस्था शहर में बेहतर तरीके से हो. यही अपेक्षा यहां के लोगों की है. उल्लेखनीय है कि शहर में समुचित तरीके से पार्किंग की व्यवस्था नहीं रहने की वजह से न केवल आये दिन जाम की समस्या उत्पन्न होती है. बल्कि शहरवासी को भी इसका खामियाजा भुगतना पड़ता है. यूं तो अव्यवस्थित तरीके से बसा यह शहर विभिन्न समस्याओं से जकड़ा हुआ है. ट्रैफिक नियमों का पालन एवं पार्किंग की व्यवस्था करने के मामले में स्थानीय नगर निगम प्रशासन पूरी तरह निष्क्रिय बनी हुई है. नगर निगम प्रशासन की उदासीनता की वजह से कभी-कभी शहर में लोगों का पैदल चलना भी मुश्किल हो जाता है. प्रशासनिक अधिकारी एवं स्थानीय जनप्रतिनिधि भी इस मामले में कोई दिलचस्पी नहीं दिखा रहे है. हालांकि पार्किंग को लेकर समय-समय पर जिला प्रशासन एवं नगर निगम प्रशासन बैठक कर विचार-विमर्श जरूर करती रही है. पर जमीनी स्तर पर अब तक कोई परिणाम सामने नहीं आया है. शहर के के व्यवसायी भी अपने-अपने प्रतिष्ठान को सड़क तक फैला देते है. साथ ही शहर के मुख्य सड़क पर बने फुटपाथ पर भी ऐसे व्यवसायी कब्जा कर लेते है. जिससे लोगों को आवाजाही में परेशानी होती है. दरअसल शहर में पार्किंग की व्यवस्था को लेकर नगर निगम प्रशासन कभी भी गंभीर नहीं रही. तत्कालीन जिला पदाधिकारी मिथिलेश मिश्र ने शहर के शहीद चौक स्थित पुराना बस स्टैंड में पार्किंग बनाये जाने को लेकर पहल की थी. पर बाद में उस स्थल को ऑटो स्टैंड के लिए दे दिया गया. फिलहाल शहर में कहीं भी पार्किंग की व्यवस्था नहीं है. महानंदा बांध फेज टू का क्रियान्वयन महानंदा बेसिन फेज टू के तहत महानंदा नदी के दोनों तरफ तटबंध निर्माण का मामला फिलहाल अधर में लटका हुआ है. उल्लेखनीय है कि वर्षों से यह प्रक्रिया चल रही है. लेकिन जब तटबंध निर्माण को लेकर भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया लगभग पूरी हो चुकी है. तब निर्माण के विरोध में स्वर उठने लगे. साथ ही इसके बाद बड़ी तादाद में लोगों ने तटबंध निर्माण के पक्ष में भी खड़ा हो गया. स्थानीय बाढ़ नियंत्रण प्रमंडल कटिहार एवं जिला प्रशासन के अनुसार कटिहार जिले के कदवा अंचल में भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया लगभग पूरी हो चुकी है. अब सिर्फ भू स्वामियों को मुआवजा देने का काम रुका हुआ है. नये डीएम के लिये महानंदा बांध फेज टू का क्रियान्वयन कराना भी कम चुनौतीपूर्ण नहीं है. अतिक्रमण मुक्त बने शहर शहर के विभिन्न मार्गो में अतिक्रमण की वजह से लोगों को परेशानी उठानी पड़ती है. कई ऐसे मुख्य पथ है. जहां सड़क पर ही बाजार सज जाती है. साथ ही विभिन्न तरह से लोग अतिक्रमण करके सड़क को रखे हुए है. व्यवसायी वर्ग भी सड़क पर ही अपना दुकान को फैला देते है. जिससे आवाजाही में लोगों को परेशानी झेलनी पड़ती है. शहर में जाम की एक यह भी मुख्य कारण है. अगर लोग सड़क को अतिक्रमण मुक्त रखे तो जाम की समस्या कुछ हद तक ठीक हो सकती है. नए डीएम से शहर को अतिक्रमण मुक्त रखने की भी अपेक्षा यहां के लोगों को है. इसके साथ ही शहरी व ग्रामीण इलाके कई छोटी बड़ी परियोजना चल रही है. उन परियोजनाओं का गुणवत्तापूर्ण व मानक के अनुरूप समय पर क्रियान्वयन भी चुनौतीपूर्ण होगा.

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