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हरी सब्जियों के दाम में तेजी से रसोई का बजट बिगड़ा

हरी सब्जियों के दाम में तेजी से रसोई का बजट बिगड़ा

– सभी हरी सब्जियों के दाम 50 रुपये किलो से अधिक किलो की जगह आधा किलो व पाव में खरीददारी कर रहे कटिहार हरी सब्जियों के मूल्यों में बेतहासा वृद्धि ने लोगों की रसोई का बजट पूरी तरह से बिगाड़ दिया है. हालत ये हो गयी है कि लोग महंगी हरी सब्जियां किलो की जगह पाव व आधा किलो की खरीदकर किसी तरह काम चला रहे हैं. हरी सब्जियों के दाम लगातार बढ़ने से लोगों को अपने दैनिक खर्च में कटौती करनी पड़ रही है. बाजार में शायद ही कोई सब्जी ऐसी बची है. जिसकी कीमत 50 रुपये किलो से कम हो. हरी सब्जियों के दामों में भारी तेजी आयी है. लोगों ने कहा, रोजमर्रा की सब्जियों पर 20 से 40 प्रतिशत तक कीमत बढ़ गयी है. जिससे परिवार का मासिक बजट चरमरा गया है. पहले की तुलना में अब आधी सब्जियां भी उसी रकम में नहीं खरीदी जा पा रही हैं. आलम ये है कि जहां घर में पहले दो से तीन सब्जी बन जाती थी वहां मात्र एक सब्जी से गुजारा करना पड़ रहा है. परिवार यदि बड़ा रहा तो 150 से 200 की सिर्फ सब्जी पर ही रोजाना खर्च करने पड़ रहे है. इस कारण आम जीवन काफी प्रभावित हो रही है. सब्जी की खेती हुई प्रभावित, दिख रहा असर थोक विक्रेताओं के अनुसार, हरी सब्जियों के दाम बढ़ने की सबसे बड़ी वजह मौसम का असर है. खेतों में कई तरह की हरी पत्तेदार सब्जियों पर रोग बढ़ने से उत्पादन प्रभावित हुआ है. परिवहन लागत में बढ़ोतरी भी खुदरा बाजार तक पहुंचने वाली सब्जियों की कीमतों को बढ़ा रही है. एसएमएस सब्जियों का उत्पादन तो हो रहा है. उनमें लगने वाले कीड़े मकोड़े के कारण जितनी तादात में सब्जी का उत्पादन होना चाहिए. उतना नहीं हो पा रहा. काफी हद तक सब्जियां बर्बाद हो रहे हैं. थोक मंडी के व्यापारियों का कहना है आसपास के कई गांवों में उत्पादन कम हुआ है. जबकि मांग सामान्य बनी हुई है. जिसके कारण दाम चढ़े हुए हैं. मनमाने तरीके से बिक रही सब्जी सब्जी में बढ़ती महंगाई के कारण लोगों में खासा आक्रोश है. लोगों ने कहा, सब्जी की महंगाई ने कमर तोड़ दी है. पहले जहां 100 रुपये में कई तरह की सब्जियां मिल जाती थी. अब 300 रुपये में भी मुश्किल से दो-तीन सब्जियां ही आ पाती है. लोगों का यह भी कहना है कि बाजार में मूल्य नियंत्रण की कोई निगरानी नहीं होने के कारण खुदरा विक्रेता मनमाने दाम भी वसूल रहे हैं. जिसे देखने वाला कोई नहीं है. घर की रसोई का बजट बिगड़ा गृहिणी सविता देवी ने कहा की हर दिन सब्जी लेने जाएं तो लगता है जैसे सोना खरीद रहे हो. बच्चों की जरूरतें और घर का खर्च संभालना मुश्किल हो गया है. सब्जियों के बढ़ते महंगाई के कारण हरी सब्जी खाने से भी समझौता करना पड़ रहा है. जहां पहले घर में काम से कम दो हरी सब्जी बनती थी. वहां मात्र एक सब्जी से ही काम चलाया जा रहा है. सब्जी विक्रेताओं का दुख सब्जी के बढ़े दामों पर खुदरा सब्जी विक्रेता बताते हैं कि उनकी मजबूरी है. सब्जी महंगा दामों पर बेचने की. उनका कहना है कि जब थोक में ही सब्जी महंगा मिलता है तो हम सस्ता कैसे बेचें. ग्राहक हमसे नाराज़ होते हैं. लेकिन हमारी भी मजबूरी है. दुकानदार ने कहा के बड़ा कारोबारी थोक में सब्जी की खरीदारी करते हैं. उनके बाद सब्जी को अपनी दुकान तक ले जाने में भाड़ा देना पड़ता है. दुकान लगाने का टैक्स देना पड़ता है. उनके बाद अपनी मजदूरी भी निकालने पड़ती है. ऐसे में सब्जी के दाम और बढ़ते हैं. शुक्रवार को इन दामों पर बिकी सब्जियां आलू 25 रु किलो प्याज 25 रु किलो फूलगोभी 40 से 50 रु किलो बंद गोभी 50 रु किलो हरी मिर्च 80 रु किलो टमाटर 70 से 80 रु किलो सिम 80 रु किलो मूली 30 से 40 रु किलो परवल 80 रु किलो कद्दू 40 रु पीस बेगन 60 रु किलो शिमला मिर्च 120 रु किलो साग 30 से 50 रु किलो गाजर 50 रु किलो

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