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चुनौती बन रहा है सर्वाइकल कैंसर का बढ़ता दायरा: डॉ शंभूनाथ

चुनौती बन रहा है सर्वाइकल कैंसर का बढ़ता दायरा: डॉ शंभूनाथ

– बचाव के लिए जरूरी है सामुहिक पहल व एचपीवी वैक्सीन के प्रति जागरूकता कटिहार सर्वाइकल कैंसर को गर्भाशय ग्रीवा कैंसर भी कहा जाता है. महिलाओं के लिए यह एक गंभीर स्वास्थ्य चुनौती है. यह कैंसर मुख्य रूप से ह्यूमन पैपिलोमावायरस (एचपीवी) के कारण होता है, जो एक सामान्य यौन संचारित वायरस है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार एचपीवी से होने वाले 95 प्रतिशत सर्वाइकल कैंसर को रोका जा सकता है. सबसे प्रभावी उपायों में से एक एचपीवी वैक्सीन है. जाने माने चिकित्सक व बच्चा हॉस्पिटल के फाउंडर डॉ कुमार शंभूनाथ ने यह जानकारी साझा करते हुए शनिवार को बताया कि भारत में सर्वाइकल कैंसर महिलाओं में दूसरा सबसे आम कैंसर है. हर साल 1.2 लाख नये मामले सामने आते है. कम जागरूकता, स्क्रीनिंग की कमी और वैक्सीन की कम उपलब्धता के कारण यह समस्या गंभीर है. खासकर ग्रामीण और निम्न-आय वाले क्षेत्रों में यह अधिक है. कहा, बिहार में सर्वाइकल कैंसर महिलाओं में दूसरा सबसे आम कैंसर है. वर्ष 2014-2016 के बीच पटना के क्षेत्रीय कैंसर केंद्र के हॉस्पिटल-बेस्ड कैंसर रजिस्ट्री के अनुसार सर्वाइकल कैंसर कुल कैंसर मामलों का लगभग 10.7 प्रतिशत (713 मामले) था. बिहार में कैंसर से होने वाली मौतों की संख्या प्रति वर्ष 50,000 से अधिक है. जिसमें सर्वाइकल कैंसर एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. एचपीवी वैक्सीन एक सुरक्षित और प्रभावी टीका है, जो एचपीवी के उन प्रकारों से सुरक्षा प्रदान करता है. जो सर्वाइकल कैंसर और अन्य कैंसर (जैसे गुदा, गले, और जननांगों के कैंसर) का कारण बनते है. भारत में उपलब्ध वैक्सीन्स, जैसे कि गार्डासिल एवं अन्य एचपीवी से बचाव करती है, जो लगभग 90 प्रतिशत सर्वाइकल कैंसर मामलों को रोक सकती है. यह वैक्सीन विशेष रूप से 9 से 14 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए अनुशंसित है. यह यौन गतिविधि शुरू होने से पहले सबसे प्रभावी होती है. 15 वर्ष से कम उम्र की लड़कियों में इस वैक्सीन की दो खुराक छह महीने के अंतराल पर लगायी जाती है. जबकि 15 वर्ष से अधिक की आयु में तीन खुराक लगायी जाती है. पहली- दूसरी खुराक दो महीने के अंतर पर एवं तीसरी खुराक छह महीने पर दिया जाता है. सर्वाइकल कैंसर से ऐसे करें बचाव अध्ययनों से पता चला है कि एचपीवी वैक्सीन 17 वर्ष से पहले दी जाने पर सर्वाइकल कैंसर के जोखिम को 90 प्रतिशत तक कम कर सकती है. विश्व स्वास्थ्य संगठन और सीडीसी के अनुसार यह वैक्सीन सुरक्षित है और इसके दुष्प्रभाव आमतौर पर हल्के होते है. जैसे इंजेक्शन वाली जगह पर हल्का दर्द होना शामिल है.डॉ कुमार शंभुनाथ की मानें तो सर्वाइकल कैंसर एक ऐसी बीमारी है जिसे रोकथाम और जागरूकता से काफी हद तक खत्म किया जा सकता है. एचपीवी वैक्सीन इस दिशा में एक क्रांतिकारी कदम है. माता-पिता, शिक्षक, चिकित्सक एवं स्वास्थ्यकर्मी को मिलकर 9-14 वर्ष की आयु के बच्चों को वैक्सीन दिलाने और नियमित स्क्रीनिंग को प्रोत्साहित करने की जरूरत है. उन्होंने जन समुदाय से अपील करते हुए कहा कि हम सब मिलकर इस बीमारी के खिलाफ जागरूकता फैलाएं और एक स्वस्थ भविष्य की ओर कदम बढ़ाएं.

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