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जिले में बेरोकटोक तरीके से गाय की हो रही तस्करी का गौरखधंधा

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– तकरीबन एक दर्जन थाना से होकर गो तस्कर गाय की खेप लेकर पहुंचते हैं पिश्चिम बंगाल – जिले के अलग-अलग थाना व कई रूट से होकर तस्कर गाय की खेप लेकर पहुंचते हैं बंगाल प्रतिनिधि, कटिहार गौ तस्करी को लेकर पुलिस पदाधिकारी व पशु तस्कर के बीच हुई बातचीत का एक ऑडियो वायरल होने के बाद यह तो स्पष्ट हो गया कि गौ तस्करी का अवैध कारोबार कुछ पुलिस पदाधिकारी की मिली भगत से जिले में संचालित हो रहा है. अगर इस आरोप में तनिक भी सच्चाई नहीं है तो वरीय पुलिस पदाधिकारी के संज्ञान में आते ही एक दिन की पुलिस की कार्रवाई में 105 गौ जब्त कर तेरह तस्कर को गिरफ्तार कैसे किया गया. जबकि गौ तस्करी के उपयोग में लाये जाने वाले पांच ट्रक को जब्त किया. 40 हजार से एक लाख रुपए तक की राशि में होती है बात तय पुलिस अवर निरीक्षक का पशु तस्कर के बीच बातचीत का ऑडियो वायरल होते ही अब इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है कि पुलिस की मिली भगत से गौ तस्करी का कार्य जिले में फल फूल रहा है. इस मामले में स्थानीय लोगों का भी आरोप है कि बिना पुलिस की मिली भगत से तस्करी का कार्य संभव नहीं है. जिले में प्रवेश करते ही एनएच सहित मुख्य मार्गों पर पेट्रोलिंग मुस्तैद रहती है. इसके अलावा वाहन चेकिंग अभियान के अलावा संबंधित थाना की पेट्रोलिंग पार्टी थाना क्षेत्र में तैनात रहते हैं. बावजूद ट्रक व पैदल गो तस्कर बड़े ही आसानी से तस्करी करते हैं. स्थानीय लोगों का आरोप है कि गौ तस्करी को लेकर मवेशी तस्कर अलग-अलग रूट व वैसे थानों से होकर गुजरते हैं. जिससे तस्करों को लाइन मिली रहती है. थाना क्षेत्र या फिर बातचीत के अनुसार मवेशी तस्करों की पुलिस पदाधिकारी से डीलिंग तय होती है. थाना अनुसार एक थाना को 40 हजार से एक लाख रुपए में डिलींग होती है. जिले के तकरीबन एक दर्जन थाना से होकर गाय को लेकर गुजरते हैं तस्कर जिले की बात की जाय तो, जिले में तकरीबन एक दर्जन थाना से होकर तस्कर बंगाल की सीमा में प्रवेश करते हैं. तस्करी की शुरुआत भागलपुर जिला से सटे कुरसेला थाना क्षेत्र से होती है. कुरसेला के बाद पोठिया, कोढ़ा, कोलासी, मुफस्सिल थाना, प्राणपुर रोशना, कदवा, बारसोई, मनसाही, मनिहारी, अमदाबाद थाना क्षेत्र से बंगाल में प्रवेश करता है. कई रूट से होती है पशुओं की तस्करी कटिहार के कई थानों से होकर पशु तस्कर गाय की तस्करी कर कर बंगाल ले जाते हैं. तत्पश्चात उस गाय की खेप को बांग्लादेश भेज दिया जाता है. जहां उसकी कटाई होती है. ऐसे में बिहार के कई जिलों से तस्कर गाय की खेप लेकर कटिहार पहुंचते हैं. इसके बाद तस्कर बंगाल जाने का सुगम रास्ता तलाशते हैं. जिले के कुरसेला थाना क्षेत्र से कई अलग-अलग रास्तों का उपयोग तस्कर करते हैं. एक रूट कुरसेला से कोढ़ा कोलासी के बाद शहर के मुफस्सिल थाना क्षेत्र से गुजरते हुए प्राणपुर रोशना के बाद बंगाल में प्रवेश कर जाता है. इस रूट में एक दूसरा रास्ता खेड़िया हाट होते हुए सेमापुर सुखासन एवं कारी कोसी पुल पार करते हुए मनसाही थाना क्षेत्र के कुरेठा होते हुए प्राणपुर व रोशना पहुंचते हैं. इसके बाद तस्कर गाय की खेप को लेकर बंगाल की सीमा में प्रवेश करते हैं. जबकि तीसरा रूट खेरिया हाट होते हुए सेमापुर एवं मनसाही थाना क्षेत्र से गुजरते हुए कुमारीपुर लाल बाग से होकर बंगाल जाते हैं. जबकि चौथा रूट डूमर से बरारी और वहां से सेमापुर होते हुए कारी कोसी नदी पार कर मनसाही, मनिहारी व अमदाबाद थाना होते हुए बंगाल की सीमा में घुस जाते हैं. पांचवा रूट फोरलेन होते हुए कदवा एवं बारसोई होते हुए बंगाल में इन करते हैं. इन सभी के बावजूद अगर पूर्णिया जिला में पशु तस्करों की सांठगांठ नहीं होती है तो वह पूर्णिया जिले के सनौली मोड़, बैलोरी मोड़ से कदवा पहुंचते हैं. वहां से बंगाल निकल जाते हैं.

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