औषधीय गुणों से भरपूर होती है काली गेहूं हसनगंज प्रखंड स्थित जगरनाथपुर पंचायत के बघुवाकोल गांव के किसान संजय सिंह औषधीय गुणों से भरपूर काली गेहूं की खेती कर किसानों के लिए प्रेरणादायक बने हैं. स्वाद के साथ-साथ सेहत के गुणों की खान कहे जाने वाली काली गेहूं की खेती कर खूब चर्चा में हैं. 10 कट्ठा भूमि पर काली गेहूं की खेती की है. कहा कि प्रति कट्ठा एक क्विंटल के हिसाब से काली गेहूं की करीब 10 क्विंटल उपज हुई है. यह काला गेहूं की बीज लखनऊ से संपर्क कर मंगये थे. इस काली गेहूं की स्थानीय बाजारों व प्रदेशों में अच्छी मांग है. 90 रुपए से 100 रुपए किलो तक बिकने वाला काला गेहूं औषधीय गुणों से भरपूर है. उन्होंने अन्य किसानों से अपील करते हुए कहा कि इस क्षेत्र में काली गेहूं की खेती किया जाए तो अन्य पारंपरिक खेती के तुलना में यह कला गेहूं अधिक उपजाऊ व फायदेमंद साबित होगा. कम खर्च और जैविक खाद से बेहतर उपज होता है. इसकी उपज सामान्य गेहूं की तरह ही होती है. काली गेहूं के आटा से बने रोटी का सेवन से अगर किसी के शरीर में सुजन है, तो बेहत रूप से ठीक करने का कार्य करता है. यह नेचुरल एंटीऑक्सीडेंट भी है. काला गेहूं में आम गेहूं की तुलना में 60 फीसदी अधिक आयरन होता है. साथ ही जिंक भी मात्रा कुछ अधिक पाई जाती है. काला गेहूं के सेवन से कैंसर, शुगर, मोटापा, कोलेस्ट्रॉल, दिल की बिमारी, तनाव सहित कई बिमारियों में फायदेमंद है. एंटीऑक्सीडेंट गुणों से भरपूर होने के कारण स्वास्थ्य के लिए अधिक लाभदायक होता है. एंथोसायनिन नामक द्रव पाए जाने के चलते इस गेहूं का रंग काला होता है. इसकी खेती रबी के मौसम में ही की जाती है. बीते साल भी उन्होंने 20 कट्ठा खेतों काला धान की खेती किया था. अब तक इस काली गेहूं को लेकर सरकार द्वारा किसी तरह का कोई अनुदान या प्रोत्साहन राशि नहीं दिया गया है.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है