बालश्रम पर कोसी व पूर्णिया प्रमंडलीय संयुक्त कार्यशाला प्रारंभ कटिहार . कैंपेन अगेंस्ट चाइल्ड लेबर (सीएसीएल) व डॉ एवी बालिका मेमोरियल ट्रस्ट, नई दिल्ली के संयुक्त तत्वावधान में पूर्णिया व कोसी प्रमंडल के दो दिवसीय संयुक्त क्षेत्रीय परामर्श सह क्षमता विकास कार्यशाला का आयोजन किया गया. शहर के मिरचाईबाड़ी आईटीआई मोड़ के समीप एक होटल के सभागार में आयोजित इस कार्यशाला के पहले दिन शुक्रवार को बालश्रम की मौजूदा स्थिति व उसके उन्मूलन को लेकर विभिन्न स्टेकहोल्डर्स के साथ विमर्श किया गया. परामर्श कार्यशाला का शुभारंभ सीएसीएल बिहार के राज्य संयोजक नवलेश कुमार सिंह ने स्वागत भाषण करते हुए किया . उन्होंने कहा कि देश को आजाद हुए सात दशक से ऊपर हो गए है. पर बालश्रम के अभिशाप का दंश अभी भी हमलोगों को झेलना पर रहा है. सीएसीएल के राष्ट्रीय संयोजक अशोक कुमार ने सीएसीएल के विजन, मिशन, उद्देश्य और कार्यक्षेत्र की बारे में विस्तार पूर्वक बताया. उन्होंने “बाल श्रम मुक्त भारत ” की अवधारणा को साझा किया. उन्होंने कहा कि इस अवधारणा को हासिल करने के लिए एकजुट होकर कार्य करने की जरुरत है. ””बिहार में बाल श्रम की स्थिति एवं चुनौतियां”” विषय पर जिला स्तर के विभिन्न अधिकारियों में श्रम अधीक्षक पीटर मिंज, बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष राजेश सिंह, समता ग्रामीण विकास के सचिव किशोर कुमार मंडल, भूमिका विहार के निदेशक शिल्पी सिंह सहित पंचायती राज, शिक्षा विभाग, सिविल सोसायटी के प्रतिनिधियों ने अपने विचार प्रकट किये. कार्यक्रम में शामिल साधनसेवियों ने बालश्रम उन्मूलन के लिए सामूहिक रूप से शिक्षा की स्थिति को मजबूत करने के साथ-साथ पंचायती राज की भूमिका को सक्रिय करने पर बल दिया. कार्यक्रम में श्रम अधीक्षक पीटर मिंज ने कहा कि बालश्रम उन्मूलन को लेकर राज्य कार्ययोजना बनी है. राज्य कार्ययोजना के आलोक में जिला टास्क फोर्स गठित है. जिसकी नियमित बैठक भी होती है. उन्होंने कहा कि हर महीने धावा दल के द्वारा छापेमारी भी जाती है. उन्होंने कई चुनौतियां का जिक्र करते हुए कहा कि श्रम संसाधन विभाग बाल श्रम उन्मूलन को लेकर प्रतिबद्ध है. सीएसीएल की अभियान कॉर्डिनेटर सुप्रिया कुमारी ने 44 दिवसीय राष्ट्रीय बाल श्रम विरोधी अभियान की जानकारी दी और इसके उद्देश्यों, गतिविधियों तथा विभिन्न राज्यों में हो रहे नवाचारों पर प्रकाश डाला. उन्होंने बताया कि यह अभियान बच्चों की भागीदारी, जन जागरूकता और बहु-हितधारक संवाद के माध्यम से बाल श्रम मुक्त समाज की दिशा में एक सशक्त प्रयास है. इस कार्यशाला में 50 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया. जिनमें सरकारी प्रतिनिधि, नागरिक समाज संगठन, बाल अधिकार विशेषज्ञ, मीडिया प्रतिनिधि एवं युवा शामिल थे.
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