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तेज धूप से मुरझा रही फसल, मखाना की खेती पर पड़ रहा व्यापक असर

जून की शुरुआत से ही तेज धूप, गर्म हवा व उमस भरी गर्मी ने आम जनजीवन के साथ-साथ किसानों की परेशानियों को भी बढ़ा दिया है. खासकर मखाना, दलहन (विशेष रूप से मूंग) और सब्जियों की खेती करने वाले किसानों की हालत बद से बदतर होती जा रही है.

कोढ़ा.जून की शुरुआत से ही तेज धूप, गर्म हवा व उमस भरी गर्मी ने आम जनजीवन के साथ-साथ किसानों की परेशानियों को भी बढ़ा दिया है. खासकर मखाना, दलहन (विशेष रूप से मूंग) और सब्जियों की खेती करने वाले किसानों की हालत बद से बदतर होती जा रही है. मौसम की इस मार ने खेतों की फसलों को झुलसाना शुरू कर दिया है. किसानों का कहना है कि इस बार समय से पहले और अधिक तीव्र गर्मी आ गयी है. मखाना की खेती करने वाले किसान बताते हैं कि मखाना की खेती लाभकारी मानी जाती है. लेकिन तेज धूप और तपती लू के कारण खेतों में लगातार पानी पटवन (सिंचाई) करनी पड़ रही है. कई स्थानों पर तो तालाब और पोखर भी सूखने लगे हैं. जिससे सिंचाई करना चुनौतीपूर्ण हो गया है. इसी तरह मूंग की फसल पर भी गर्मी का बुरा असर पड़ा है. तेज धूप में मूंग की कोमल बेलें सूखने लगी है. किसान बताते हैं कि अगर सिंचाई की मात्रा थोड़ी भी ज्यादा हो गयी तो तेज धूप में फसल गल जाती है. अगर सिंचाई नहीं की जाए तो सूखने लगती है. ऐसे में किसानों के सामने करें तो क्या करें वाली स्थिति बन गई है. सब्जी की खेती करने वाले किसानों की भी परेशानी कुछ कम नहीं है. टमाटर, भिंडी, करैला, लौकी जैसी फसलें तेज धूप में मुरझा रही हैं. कई किसानों ने बताया कि पत्तियां झुलस रही हैं. जिससे उत्पादन में भारी गिरावट आने की संभावना है. कोढ़ा प्रखंड के किसान रामधारी यादव कहते हैं. पिछले साल की तुलना में इस बार गर्मी असमय और अधिक तेज है. मखाना के खेत में रोज पानी देना पड़ रहा है. जिससे डीजल और मेहनत दोनों खर्च ज्यादा हो रही है. फिर भी फसल सुरक्षित नहीं है. किसान मुकेश मंडल बताते हैं, मूंग की फसल पूरी तरह से प्रभावित हो रही है. पहले हर तीन-चार दिन पर पानी देते थे. अब हर दूसरे दिन देना पड़ता है. लेकिन फिर भी बेलें सूख रही हैं. तेज धूप और लू की मार ने कृषि कार्य को गंभीर संकट में डाल दिया है. किसान परेशान हैं. फसलें सूख रही हैं. सिंचाई का संतुलन बनाना मुश्किल हो गया है. ऐसे में जरूरी है कि कृषि वैज्ञानिकों की टीम गांवों का निरीक्षण करे और किसानों को सही मार्गदर्शन व सहायता दें. ताकि फसलों को बचाया जा सके.

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