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Katihar news : मौसम की सटीक भविष्यवाणी व जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का आकलन करना कठिन : तारिक अनवर

बिहार में स्थापित 46 स्वचालित मौसम केंद्रों में से 10 वर्तमान में कार्यरत नहीं

कटिहार. सांसद तारिक अनवर के लोकसभा में पूछे गये एक अतारांकित प्रश्न के उत्तर में भारत सरकार ने जानकारी दी कि बिहार में स्थापित 46 स्वचालित मौसम केंद्रों में से 10 वर्तमान में कार्यरत नहीं हैं. तारिक अनवर अनवर ने कहा कि इन केंद्रों की निष्क्रियता के कारण बारिश से संबंधित सटीक और व्यापक आंकड़ों का संग्रह बाधित हो रहा है. इससे मौसम की सटीक भविष्यवाणी व जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का आकलन करना कठिन हो गया है. किसानों को सही जानकारी प्रदान करने में बाधक है. जिला कांग्रेस प्रवक्ता पंकज कुमार तमाखुवाला ने बताया कि सांसद ने कहा कि सरकार ने यह भी बताया कि नमामि गंगे कार्यक्रम 2014-15 में गंगा और उसकी सहायक नदियों के पुनरुद्धार के लिए शुरू किया गया था. जिसे मार्च 2026 तक बढ़ा दिया गया है. बिहार में इस कार्यक्रम के तहत 7,089.26 करोड़ की लागत से 38 सीवरेज परियोजनाओं पर काम किया जा रहा है. इनमें से 21 परियोजनाएं अब भी अधूरी है. सरकार ने यह भी बताया कि बिहार में प्रदूषित नदी खंड की संख्या 6 है. जिनमें रक्सौल से कोइरिया टोला (रक्सौल) तक का खंड सबसे अधिक प्रदूषित है. अनवर ने बिहार के डायनेमिक भूजल संसाधनों की स्थिति पर गंभीर चिंता जतायी. आंकड़ों के अनुसार, बिहार के 535 ब्लॉकों में से 4 ब्लॉक (0.74%) अति-शोषित, 9 ब्लॉक (1.68%) गंभीर और 49 ब्लॉक (9.15%) अर्ध-गंभीर श्रेणी में आते हैं. उन्होंने कहा कि यह स्थिति जल प्रबंधन की आवश्यकता को उजागर करती है. केंद्र सरकार ने यह भी स्वीकार किया कि बिहार में जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का आकलन करने के लिए अब तक कोई विशेष अध्ययन नहीं किया गया है. श्री अनवर ने इस दिशा में तत्काल शोध और कार्रवाई की आवश्यकता पर बल दिया. सरकार ने बताया कि केंद्रीय भूजल बोर्ड द्वारा नियमित रूप से भूजल की गुणवत्ता की जांच की जाती है. बिहार के कई ब्लॉक आर्सेनिक और फ्लोराइड प्रदूषण से प्रभावित हैं. कटिहार सहित 59 ब्लॉकों में भूजल में आर्सेनिक का स्तर 0.01 एमजीएल से अधिक पाया गया है. हालांकि, बिहार के केवल 8 जिलों में आर्सेनिक मुक्त ट्यूबवेल स्थापित किए गए हैं. जबकि कटिहार में ऐसा कोई ट्यूबवेल नहीं लगाया गया है. तारिक अनवर ने कहा, हर दिन हमारे कार्यालय में कटिहार और बिहार के अन्य जिलों से मरीज आते हैं. डबल इंजन सरकार के बावजूद, जल-जीवन मिशन के तहत कोई ठोस व्यवस्था नहीं की गई है. नल-जल योजना भ्रष्टाचार के कारण असफल हो गई है. इससे राज्य में कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों की समस्या बढ़ रही है. उन्होंने किसानों, आम लोगों और राज्य की बेहतरी के लिए इन सभी मुद्दों पर ठोस कदम उठाने की अपील की.

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Prabhat Khabar News Desk
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