आजमनगर प्रखंड क्षेत्र के जलकी पंचायत में प्रसिद्ध जलकी मजार जो देश भर में विख्यात है. बिहार के विभिन्न जिला सहित अन्य कई राज्यों से लोग मन्नते लेकर जलकी दरगाह पहुंचते हैं. बताते चलें कि यह वह ख्याती प्राप्त दरगाह है. जहां हिंदू-मुस्लिम सहित कई अन्य समुदाय के लोग सामूहिक रूप से आते हैं. मत्था टेकते हुए मन्नते मांगते हैं. चादर पोशी भी करते हैं. उक्त दरगाह सैयद शाह हुसैन तेग सराहना रहमतुल्लाह अलेह का है. जहां हिंदी कैलेंडर के अनुसार प्रत्येक वर्ष पहला बैसाख को भव्य मेले का आयोजन होता है. जहां मुस्लिम व हिंदू धर्म के साथ साथ कई अन्य धर्म से लोग बड़े ही धूमधाम से मेला में भाग लेने पहुंचते हैं. दूसरी ओर आठवें बैसाख को सालाना उर्स का आयोजन किया जाता है. जिसमें कई राज्यों से लोग विशेषकर निकटवर्ती राज्य पश्चिम बंगाल एवं झारखंड से लोग मन्नते लेकर आते हैं. श्रद्धालुओं के बीच लोकप्रिय दरगाह है. हजारों लोग प्रत्येक शुक्रवार को छोटे उर्स के नाम पर चढ़ावा एवं चादर पोशी के साथ-सथ मन्नतों को लेकर मजार पहुंचते हैं. इस ऐतिहासिक दरगाह के बारे में कहा जाता है कि यह दरगाह 800 वर्ष पूर्व अस्तित्व में आया. तभी से अपने करामात से लोगों के मन को मोह लिया है. स्थानीय लोगों का कहना है कि उस समय इतना जलाली हुआ करते थे कि मजार शरीफ के ऊपर से कोई परिंदा अगर उड़कर चला जाए तो वह जलकर राख हो जाता था. तब से उसका नाम जलकी पीर मजार के नाम से विख्यात हुआ है.
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