प्रतिनिधि, कोढ़ा प्रखंड के कोलासी क्षेत्र में हर सुबह सड़कों पर साइकिल पर डब्बा बांधकर आइसक्रीम बेचते छोटे-छोटे बच्चे देखे जा सकते हैं. यह नजारा न केवल समाज की सच्चाई बयां करता है. बल्कि प्रशासन ने बाल श्रम उन्मूलन के दावों पर भी सवाल खड़ा करता है. इन बच्चों की उम्र 8 से 14 वर्ष के बीच है. वे रोज़ाना 200 से 300 रुपये की कमाई करते हैं. लेकिन इसके कारण वे विद्यालय नहीं जा पाते. जिससे उनका भविष्य अंधकारमय होता जा रहा है. बातचीत में कुछ बच्चों ने बताया कि वे पास की आइसक्रीम फैक्ट्री से आइसक्रीम खरीदकर गांवों में घूम-घूमकर बेचते हैं. बाल श्रम निषेध कानून होने के बावजूद, इन बच्चों का शिक्षा से वंचित रहना प्रशासनिक उदासीनता को दर्शाता है. समाजसेवियों ने इस पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि प्रशासन को इस मामले पर गंभीर कदम उठाने चाहिए. ताकि इन बच्चों को शिक्षा का अधिकार मिल सके. क्या कहता है कानून भारतीय कानून के अनुसार, 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों से श्रम कराना अपराध है. बावजूद इसके, कोलासी क्षेत्र में खुलेआम बाल श्रम जारी है. विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार को इस दिशा में ठोस कदम उठाने की जरूरत है. इसके तहत प्रभावित परिवारों को आर्थिक सहायता दी जाय. स्कूलों में नामांकन बढ़ाया जाए और बाल श्रम करने वाले नियोक्ताओं पर कड़ी कार्रवाई की जाय. यदि समय रहते उचित कदम नहीं उठाए गये, तो यह समस्या और गंभीर हो सकती है.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है