– 60 घंटे का प्रशिक्षण, एक साल नौ माह बाद भी नहीं मिल पाया किसानों को प्रमाणपत्र – प्रमाणपत्र लेने के लिए कार्यालय का चक्कर लगा रहे हैं किसान कटिहार कृषि विभाग की ओर से किसान हित में कई योजनाएं चलायी जा रही है. किसान योजना का लाभ लेकर अपने को सबल बना सके. सबसे कम समय में वर्मी कम्पोस्ट बनाने को लेकर महज साठ घंटे का प्रशिक्षण भी शामिल है. प्रशिक्षण प्राप्त किसान खुद से वर्मी पीट तैयार कर खेतों में उपयोग कर सकें. दूसरे किसानों को भी इससे अवगत करा सकें. बिहार कौशल विकास मिशन, श्रम संसाधन विभाग बिहार सरकार से सम्बद्ध बिहार कौशल विकास मिशन वर्मी कम्पोस्ट प्रोडक्शन के तहत साठ घंटे का भले ही किसानों ने प्रशिक्षण प्राप्त किया. प्रशिक्षण देने के बाद कृषि विभाग किसानों को प्रमाण पत्र देना भूल गया. जिसका नतीजा है कि प्रशिक्षण प्राप्ति के एक साल नौ माह से किसानों को प्रमाण पत्र लेने के लिए कार्यालय का चक्कर लगाना पड़ रहा है. कई किसानों ने नाम नहीं छापने के शर्त पर बताया कि साठ घंटों का नि:शुल्क वर्मी कम्पोस्ट प्रोडक्शन को लेकर उनलोगों ने संयुक्त कृषि भवन में 13 मार्च 2024 में शुरूआत कर उनलोगों का वाहवाही से लेकर प्रैक्टिकल बलॉक में अक्तूबर माह में लिया था. उनलोगों ने बड़े ही उत्साह के साथ अलग-अलग प्रखंडों से आये किसानों के साथ प्रशिक्षण प्राप्त किया. प्रशिक्षण कृषि प्रौधोगिकी प्रबंध अभिकरण आत्मा कटिहार की ओर से दिलाया गया था. विभाग द्वारा बताया गया था कि प्रमाण पत्र के आधार पर प्रोजेक्ट तैयार कर लोन आदि उपलब्ध कराया जा सकता है. कई किसानों ने अपने स्तर से विभाग के मिली भगत से वर्मी पीट तैयार कर रहे हैं. ऋण आदि की चर्चा करने के बाद बैंक से पहुंचने वाले जांच को कमी द्वारा प्रमाण पत्र की मांग पर उनलोगों को फजीहत उठानी पड़ रही है. विभाग का कहना है कि जितने का प्रोजेक्ट तैयार होगा उतने का लोन बैंक से लेकर कई अन्य संस्थाओं द्वारा मिल सकता है. लेकिन उनलोगों को एक साल नौ बीत जाने के बाद भी प्रमाण पत्र नहीं उपलब्ध कराया गया है. कहते हैं उप परियोजना निदेशक प्रशिक्षण प्राप्त किसानों को प्रमाण पत्र उपलब्ध कराया गया है. जिन किसानों का प्रमाण पत्र नहीं मिल पाया है. उनलोगों का प्रमाण पत्र नहीं आया होगा. प्रशिक्षण प्राप्त किसान इस प्रशिक्षण के बाद कई तरह के लोन के हकदार हो सकते हैं. प्रोजेक्ट के अनुसार उनलोगों को बैंक से लोन उपलब्ध हो सकता है. एसडीसी पार्टनर कोड के तहत इस तरह का प्रशिक्षण नि:शुल्क किसानों को दिया गया है. एसके झा, उप परियोजना निदेशक, आत्मा
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