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मोहल्ले में न सड़क न नाला

कटिहार. जिला मुख्यालय से महज कुछ ही दूरी पर स्थित कनवा टोला व उरांव टोला में रहने वाले लोग जिल्लत भरी जिंदगी जीने को विवश हैं. उरांव टोला आदिवासियों की बस्ती है, जबकि कनवा टोला में दलित, महादलित सहित पिछड़ी जातियों के लोग रहते हैं. इन लोगों को शहर में रहने के बावजूद गांव से […]

कटिहार. जिला मुख्यालय से महज कुछ ही दूरी पर स्थित कनवा टोला व उरांव टोला में रहने वाले लोग जिल्लत भरी जिंदगी जीने को विवश हैं. उरांव टोला आदिवासियों की बस्ती है, जबकि कनवा टोला में दलित, महादलित सहित पिछड़ी जातियों के लोग रहते हैं. इन लोगों को शहर में रहने के बावजूद गांव से भी बदतर सुविधा मुहैया हो रही है. सरकार की ओर से चलायी जा रही कल्याणकारी योजनाओं का लाभ इन लोगों को नहीं मिल रहा है.
यह स्थिति वहां की है जहां जिले के डीएम सहित वरीय पदाधिकारी बैठते हैं. हर सप्ताह इन अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों द्वारा अदिवासियों व गरीबों के लिए चलायी जा रही योजनाओं की समीक्षा की जाती है, लेकिन इतने करीब रहकर भी इन लोगों के बारे में न तो प्रशासनिक पदाधिकारी कभी ध्यान देते हैं और न ही जनप्रतिनिधियों का कोई ध्यान है. स्वयंसेवी संगठनों को तो मानो कोई लेना देना ही नहीं है. कनवा टोला व उरांव टोला नगर निगम क्षेत्र के वार्ड संख्या एक में स्थित है. इस मोहल्ले में सड़क, नाला व बिजली जैसी मूलभूत सुविधाएं भी लोगों को उपलब्ध नहीं हैं. शाम ढलते ही पूरा मोहल्ला अंधकार में डूब जाता है. इससे रात में यहां के सड़कों पर चलने में घटना-दुर्घटना की आशंका बनी रहती है.
सड़कें चलने लायक नहीं : वार्ड संख्या एक के कई मोहल्लों में बरसात के दिनों में स्थिति और भी भयावह हो जाती है. वार्ड के कई मोहल्ले की सड़कें ईट सोलिंग हैं और कहीं कच्ची सड़कें बनी हुई हैं. इसमें बड़े-बड़े गड्ढे हैं. बरसात के दिनों में सड़कों पर घुटनेभर पानी एवं कीचड़ भर जाता है. इससे मोहल्लेवासी नारकीय जिंदगी जीने को विवश हैं. इनका घरों से निकलना बंद हो जाता है. इससे स्कूली बच्चे, बूढे व औरतों को काफी परेशानी होती है. बारिश का पानी इनके घरो में भी प्रवेश कर जाता है.
कहते हैं मोहल्लेवासी : मोहल्ले के चमरू सदा, दशरथ सदा, मो अकमल, बेचनी देवी, सामो देवी, किशोर कुमार व अमित कुमार ने बताया की नगर निगम के क्षेत्र होने के कारण प्रत्येक वर्ष टैक्स जमा करते हैं, लेकिन सुविधा के नाम पर कुछ नहीं दिया जाता है. मोहल्ले में सड़क, नाला, बिजली व पानी की व्यवस्था न के बराबर है. इससे मोहल्लेवासी शहर में रहकर भी गांव से भी बदतर जिंदगी जी रहे हैं. बरसात के दिनों में तो जिंदगी नारकीय हो जाती है.

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