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प्रभात लाइव: बच्चों पर स्कूल और गरमी का टॉर्चर, पारा 40 के पार पहुंचा, घर लौटने में स्कूली बच्चों के छूट रहे पसीने

प्रभात लाइव: बच्चों पर स्कूल और गरमी का टॉर्चर, पारा 40 के पार पहुंचा, घर लौटने में स्कूली बच्चों के छूट रहे पसीने फोटो संख्या-3,4 कैप्सन-कड़ी धूप में रिक्शा पर परेशान होते स्कूली बच्चे राज किशोर, कटिहार, प्रियंका व सोनी एक निजी स्कूल में पढ़ती है और आपस में गहरी दोस्ती भी है. अपना टिफिन […]

प्रभात लाइव: बच्चों पर स्कूल और गरमी का टॉर्चर, पारा 40 के पार पहुंचा, घर लौटने में स्कूली बच्चों के छूट रहे पसीने फोटो संख्या-3,4 कैप्सन-कड़ी धूप में रिक्शा पर परेशान होते स्कूली बच्चे राज किशोर, कटिहार, प्रियंका व सोनी एक निजी स्कूल में पढ़ती है और आपस में गहरी दोस्ती भी है. अपना टिफिन शेयर करना, साथ में खेलना और घर परिवार की ढेर सारी गप्प करना दोनों को रास आता है. दोनों की उम्र सात-आठ के आसपास है, अमलाटोला में रहती है और एक ही बस से स्कूल में पढ़ाई के लिए रोज आना-जाना करती हैं. इन दिनों इन मासूमों पर स्कूलों की असुविधाओं के साथ-साथ गरमी का टॉर्चर भी चल रहा है. सूरज सुबह से आग बरसा रहा है और स्कूल की ट्रांसपोर्ट सेवा के साथ ही शहर में ट्रैफिक के बदतर हालात बच्चों को परेशान कर रहे हैं. प्रभात खबर ने स्कूल की छुट्टी के बाद प्रियंका व सोनी के घर तक का सफर किया. पेश है लाइव रिपोर्ट. दिन के 12 बजे ————-दिन के 12 बजे स्कूल में छुट्टी की घंटी बजती है. मेन गेट पर गाड़ियों की भीड़ लगी है. बच्चों के इंतजार में उनके अभिभावकगण गेट के बाहर खड़े हैं. कोई पैदल है तो कोई बाइक तो कोई ऑटो से, इसी बच्चों की भीड़ से प्रियंका व सोनी स्कूल के गेट से निकलते ही भीड़ और गरमी से जुझते हुए अपनी बस में पहुंचती है और बस में सवार होती है. बस में बच्चों के बैठने के बाद बस रवाना होती है. दिन 12:10 बजे—————इस तरह 12 बजकर दस मिनट हो जाते हैं. बस पर चढ़ते हुए बच्चों को भीड़ के बीच उन्हें कंडक्टर सीट पर बैठाता है. दोनों की एक ही सीट पर बैठते हैं, गरमी काफी होती है तो दोनों कंडक्टर अंकल से खिड़की खोलने का अनुरोध करती है. खिड़की खुलने के बाद भी जब तापमान नॉर्मल नहीं होता तो दोनों अपने बोतल से पानी पीती है. प्रियंका कहती है कि काफी गरमी है. वही सोनी पूछती है कि स्कूल कब से बंद होगा. दिन 12:20 बजे—————दिन के 12 बजकर 20 मिनट पर स्कूल वाहन मिरचाईबाड़ी चौक पर रूकती है. गाड़ियों की लंबी कतारें, धूल, धुआं और प्रदूषण की मार. बस में एसी नहीं है और खिड़की बंद भी नहीं कर सकते. यहां करीब पांच मिनट तक जाम में फंसकर गाड़ी खड़ी रही. 28 डिग्री के उपर के तापमान में बस की छत जो पहले से काफी गरम थी, अब पसीने से तर-बतर करने को मजबूर कर रही थी. बच्चे पसीने से तरबदतर हो परेशान हो रहे थे.दिन 12:30 बजे—————12 बजकर 40 मिनट हुए हैं और शहीद चौक पर बस एक बार फिर रूक जाती है. चंद मिनटों के दूसरी बार जाम में फंसकर दो मिनट बस ठहरी रही. दोनों बच्चियों सहित बस में सवार छात्र-छात्राओं के चेहरे पर साफ थकावट और भूख, प्यास देखी जा रही थी. गरमी में बच्चों को घर पहुंचने की जल्दी साफ दिख रही थी. दिन 12:40 बजे—————शिवमंदिर चौक पर पहुंचने से पहले ही सड़क पर गिट्टी, बालू होने व छत का ढलाई का काम चलने की वजह से बस यहां आकर एक फिर जाम में फंस जाता है. कुछ देर बाद बस आगे बढ़ती है और शिवमंदिर चौक से ऋषि भवन की ओर मुड जाती है. वहां एक बच्चे को उतारने के बाद बस आगे बढ़ जाती है. पानी टंकी चौक से होते हुए बस न्यू मॉर्केट पहुंचती है. यही दोनों बच्चियों का स्टॉपेज है. बस से उतरने के बाद उनके चेहरे पर मानो यह झलकता है कि किसी बड़ी जंग में जीत मिली हो. प्रियंका व सोनी कहती है कि रोज हम घर पहुंचने पर सुकून का अहसास करते हैं. कड़ी धूप में रिक्शा से भी बच्चे स्कूल से गये घर ———————————–जायजा लेने के क्रम में मिरचाईबाड़ी में पाया गया कि कई निजी विद्यालयों के बच्चे कड़ी धूप में रिक्शा से घर जा रहे थे. एक रिक्शा में आठ-आठ बच्चों को बैठाया गया था. इतने बच्चों को एक साथ रिक्शा में बैठाये जाने की वजह से कई बच्चों को धूप सिधा सर पर लग रहा था. बच्चे धूप व गरमी से बेहाल हो रहे थे. कई छोटे निजी विद्यालयों में बच्चों को रिक्शा से घर से लाने व स्कूल से छोड़ने का काम होता है. इस तरह से लाने-लेनेजाने के दौरान जाम में रिक्शा के फंसने से बच्चों को अधिक परेशानी उठानी पड़ती है. इस तरह का रिक्शा का परिचालन मिरचाईबाड़ी में सबसे अधिक होता है. उबलने लगा है दिन, पारा 40 पार—————————-अप्रैल के पहले सप्ताह में ही गरमी सारा रिकार्ड तोड़ रहा है. अभी ही लोग 11 बजे से शाम चार बजे तक घर से निकलना नहीं चाह रहे हैं. शुक्रवार का दिन का तापमान 40.3 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 24 डिग्री सेल्सियस रहा. सूरज की तपिष बढ़ने के कारण वायुमंडल से अब तो आद्रर्ता नमी भी समाप्त हो गयी है. दिन भर पछुआ हवा चलने से गरम हवा का एहसास होता रहा. सूरज उगलने लगा आग, लेकिन स्कूल मार्निंग नहीं—————————————मौसम का तेवर जानलेवा होता जा रहा है. स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे उल्टी, दस्त और डायरिया के शिकार हो रहे हैं. लेकिन अभी तक मार्निंग स्कूल की घोषणा नहीं हुई है. शहर में निजी स्कूल की टाइमिंग में अब-तक कोई फेरबदल नहीं हो सका है. इसके अलावा जिले के करीब 1800 स्कूलों में पढ़ने वाले छह लाख से अधिक छात्र-छात्राओं एवं पांच से सात हजार शिक्षक रोजाना दस बजे स्कूल जाते हैं और चार बजे लौटते हैं. अभिभावक हो रहे चिंतित———————चैत महीने में जेठ का एहसास कराने वाली तेज धूप व गरमी पड़ने से स्कूली बच्चों के मात-पिता चिंतित हो रहे हैं. उन्हें चिंता सताने लगी है कि कही धूप व गरमी से उनका बच्चा बीमार नहीं पड़ जाय. मिरचाईबाड़ी निवासी अरूण साह कहते हैं कि इस तरह की गरमी व तेज धूप अप्रैल माह में पड़ते पहले नहीं देखी थी. मौसम ने एका-एक करवट ले लिया है. इससे बच्चों को नुकसान होने का खतरा बढ़ गया है.

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