सूरज गुप्ता, कटिहार : केंद्र एवं राज्य सरकार शिक्षा में गुणात्मक सुधार लाने को लेकर भले ही बड़े-बड़े दावा कर रहे हो. पर कटिहार जिले में शिक्षा की स्थिति काफी बदहाल है. पूर्व प्राथमिक शिक्षा से लेकर प्रारंभिक, माध्यमिक व उच्च शिक्षा को लेकर किये गये व्यवस्था बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने में नाकाम रही है. अगर सिर्फ प्रारंभिक शिक्षा की मौजूदा स्थिति को देखें तो सब कुछ समझ में आ जायेगा.
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248 प्रावि पास स्थित दूसरे विद्यालय में शिफ्ट
सूरज गुप्ता, कटिहार : केंद्र एवं राज्य सरकार शिक्षा में गुणात्मक सुधार लाने को लेकर भले ही बड़े-बड़े दावा कर रहे हो. पर कटिहार जिले में शिक्षा की स्थिति काफी बदहाल है. पूर्व प्राथमिक शिक्षा से लेकर प्रारंभिक, माध्यमिक व उच्च शिक्षा को लेकर किये गये व्यवस्था बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने में नाकाम रही […]
प्रारंभिक शिक्षा यानी पहली से आठवीं कक्षा तक के बच्चों के लिए अप्रैल 2010 से ही मुफ्त एवं अनिवार्य शिक्षा अधिकार अधिनियम के तहत गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त करने का कानूनी अधिकार बच्चों को मिला. इसके तहत सरकार ने कुछ व्यवस्था भी की, लेकिन अभी भी बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा नहीं मिल रही है. गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को लेकर जो पैरामीटर तैयार किया गया है. उसमें प्रारंभिक विद्यालय खड़ा नहीं उतरता है.
गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा के लिए निर्धारित पैरामीटर में अधिकांश विद्यालय कार्य नहीं कर रही है. उल्लेखनीय है कि आरटीआई जब लागू हुआ तो सरकार ने भरोसा दिया था कि तीन वर्ष के भीतर सभी विद्यालय के बच्चों को आरटीइ के दायरे में लाकर उन्हें गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध करा दी जायेगी. अब तक ऐसा नहीं हो सका है. अब तो सरकार के स्तर से ही आरटीई का उल्लंघन किया जाने लगा है.
जुलाई 19 में शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव आरके महाजन ने एक पत्र जारी करते हुए जिला पदाधिकारी व शिक्षा विभाग के जिला स्तरीय पदाधिकारी को भवनहीन व जर्जर भवन वाले विद्यालय को बगल के विद्यालय में शिफ्ट करने का आदेश दे दिया. इसके तहत कटिहार जिले के 248 विद्यालय को बदलकर विद्यालय में शिफ्ट कर दिया गया है.
गौरतलब हो कि आरटीई में यह स्पष्ट कहा गया है कि एक किलोमीटर के दायरे में प्राथमिक विद्यालय की स्थापना की जायेगी. अब सरकार के इस आदेश पर शिफ्ट होने के बाद बच्चों को दो से पांच किलोमीटर तक की दूरी तय करनी पड़ती है. कई विद्यालय के बच्चे तो शिफ्टिंग वाले विद्यालय में जाना ही छोड़ दिए है.
जमीन के लिए ठोस नीति नहीं, जनप्रतिनिधि भी मौन : बच्चों की सुरक्षा का हवाला देकर शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव श्री महाजन ने भवनहीन व जर्जर भवन में संचालित विद्यालय को बगल के विद्यालय में शिफ्ट करने का आदेश दिया है. इसके तहत कटिहार जिले के ऐसे सभी विद्यालय को बगल के विद्यालय में शिफ्ट कर दिया गया है. पर यह विद्यालय शिफ्टिंग के रूप में कब तक संचालित होगा. इसके बारे में कोई दिशा निर्देश नहीं है.
दरअसल भवनहीन विद्यालय को भूमि उपलब्ध कराने के लिए सरकार ने अब तक कोई ठोस नीति नहीं बनायी है. समय-समय पर विभाग के स्तर से यह पत्र जरूर जारी होती रही है कि भूमिहीन विद्यालय को लोग जमीन दान करें. समाज में ऐसे जमीन दान करने वाले दानवीर कम ही है.
ऐसे में सरकार को विद्यालय के भूमि उपलब्ध कराने के लिए ठोस नीति अपनानी पड़ेगी. जिस तरह सड़क व दूसरे अन्य कामों के लिए सरकार भूमि अर्जित करती है उसी तरह विद्यालय के लिए भी भूमि अर्जित करनी पड़ेगी. पर इस दिशा में अब तक कोई काम नहीं हुआ है. जनप्रतिनिधि भी इस मामले में पूरी तरह खामोश दिखते हैं. जनप्रतिनिधि की ओर से भूमिहीन विद्यालय को भूमि उपलब्ध कराने के लिए कोई आवाज नहीं उठती है.
केस स्टडी-1
जिले के बारसोई प्रखंड अंतर्गत लहगरिया पंचायत के हथनपुर गांव में स्थापित प्राथमिक विद्यालय को उत्क्रमित मध्य विद्यालय लहगरिया में शिफ्ट कर दिया गया है. हथनपुर गांव से शिफ्टिंग विद्यालय की दूरी तीन किलोमीटर से अधिक है. इस विद्यालय में प्राथमिक विद्यालय रतनपुर में अधिकांश बच्चे अति पिछड़ा समुदाय के है.
जब से इस विद्यालय को उत्क्रमित मध्य विद्यालय लहगरिया में शिफ्ट किया गया है. तब से एक भी बच्चे इस विद्यालय में पढ़ने नहीं जाते है. करीब 88 बच्चे इस विद्यालय में नामांकित है. विद्यालय पदस्थापित शिक्षक हर दिन उत्क्रमित मध्य विद्यालय लहगरिया पहुंचकर शिक्षक अपना हाजिरी बनाते है. बच्चे नहीं पहुंचते है.
इसलिए दिन भर रहकर शिक्षक अपना घर लौट आते है. स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि शिफ्टिंग विद्यालय जाने के लिए सड़क भी नहीं है. इस बारे में विभागीय अधिकारी, जिला पदाधिकारी एवं जनप्रतिनिधियों को भी कई बार पत्र लिखा गया. पर कुछ नहीं हुआ. अति पिछड़ा समुदाय के बच्चे प्राथमिक शिक्षा से वंचित हो रहे है. विद्यालय प्रधान वरुण कुमार ने बताया कि बच्चे के नहीं आने की वजह से मध्यान भोजन भी बंद है.
केस स्टडी-2
इसी तरह जिले के अंदर डंडखोरा प्रखंड अंतर्गत प्राथमिक विद्यालय रतनपुरा को उत्क्रमित मध्य विद्यालय दुर्गास्थान में शिफ्ट कर दिया गया है. इस विद्यालय में करीब 100 के आसपास बच्चे नामांकित है. जानकारी के मुताबिक अभी औसतन 15-20 बच्चा ही विद्यालय प्रतिदिन आ रहे है. बताया जाता है कि गांव से इस विद्यालय की दूरी करीब दो किलोमीटर है. दूर होने की वजह से ही बच्चे उत्क्रमित मध्य विद्यालय दुर्गास्थान में नहीं जा पाता है.
जबकि इस विद्यालय में अधिकांश बच्चे आदिवासी समाज के है. समाजसेवी कालंदी देवी व राजेन सोरेन ने बताया कि कई बार अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों को इस बारे में अवगत कराया गया. पर कोई ठोस पहल नहीं हो सका. फलस्वरुप इस गांव के आदिवासी समाज के अधिकांश बच्चे शिक्षा से महरूम हो गए है.
कहते हैं बाल अधिकार कार्यकर्ता
शिक्षा अधिकार कानून के तहत विद्यालय में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए जागरूकता कार्यक्रम चलाने वाले बिहार बाल आवाज मंच के समन्वयक राजीव रंजन ने इस संदर्भ में कहा कि भूमिहीन विद्यालय को भूमि उपलब्ध कराने के लिए सरकार के पास कोई नीति नहीं है.
राज्य सरकार विद्यालय को भवन उपलब्ध कराने के बजाय विद्यालय को शिफ्ट कर दिया. शिक्षा अधिकार कानून में एक किलोमीटर के दायरे में प्राथमिक विद्यालय की स्थापना की बात कही गयी है.
कहते हैं जिला शिक्षा पदाधिकारी
जिला शिक्षा पदाधिकारी देवविंद कुमार सिंह ने इस संदर्भ में पूछ जाने पर बताया कि विभाग के आदेश के आलोक में कटिहार जिला के सभी भवनहीन और जर्जर विद्यालय को बगल के विद्यालय में शिफ्ट कर दिया गया है. बच्चे नियमित स्कूल पहुंचे इसके लिए प्रयास किया जा रहा है. विभाग को अनुपालन प्रतिवेदन भेज दी गयी है.
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