कटिहार : स्वास्थ्य विभाग की उपेक्षा के कारण जिला में चल रहे देसी चिकित्सालय दम तोड़ने के कगार पर है. पूरे जिले में देसी चिकित्सालय आयुर्वेदिक, यूनानी व हेमियोपैथिक के पांच सेंटर का संचालन हो रहा है. लेकिन इन पांचों सेंटर पर चिकित्सको व कर्मियों की घोर कमी है.
यहां तक कि शहर के बीचोंबीच नया टोला में संयुक्त रूप से चलने वाले देसी चिकित्सालय में आयुर्वेदिक चिकित्सक मौजूद है. लेकिन यूनानी और होम्योपैथिक डॉक्टरों का स्थान कई वर्षों से खाली पड़ा हुआ है. मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य लाभ मिल सकें.
सरकार द्वारा देसी चिकित्सालय की भी व्यवस्था की गई है. लेकिन शहर के बीचोंबीच देसी तरीके से उपचार की व्यवस्था है. यह बात शायद ही किसी को पता होगी. जिस कारण देसी चिकित्सालय में मरीज स्वास्थ्य लाभ के लिए नहीं पहुंच पा रहे हैं.
जिला में पांच जगह देसी चिकित्सालय सेंटर संचालित हो रहा है. लेकिन डॉक्टरों की कमी के कारण कई चिकित्सालय में मरीजों को सेवा नहीं मिल पा रहा है. दरअसल देसी चिकित्सालय के डॉक्टर जो रिटायर हुए है. उनका पद अब तक नहीं भर पाया है.
यहां तक कि जिसका जिला से ट्रांसफर हो गया है. उस जगह पर भी डॉक्टर की तैनाती नहीं की गयी है. विभाग की ओर से स्वास्थ्य विभाग को कई बार डॉक्टर कंपाउंडर की कमी से अवगत कराया गया है. लेकिन विभाग के कान में जूं तक नहीं रेंग रही है. खामियाजा कई चिकित्सालय डॉक्टर की कमी से बंद पड़े हुए है.
जिला मुख्यालय में नहीं है चिकित्सक
शहर के बीचोंबीच नया टोला में संयुक्त औषधालय का संचालन हो रहा है. जहां पर देसी दवाई के जरिए मरीजों का उपचार किया जाता है. औषधालय में आयुर्वेदिक, यूनानी तथा होम्योपैथिक इलाज किया जाता है. लेकिन यहां पर केवल आयुर्वेदिक डॉक्टर के रूप में डॉक्टर राजेश रंजन ही मौजूद है.
जबकि यूनानी एवं होम्योपैथिक डॉक्टर का पद कई वर्षों से खाली पड़ा हुआ है. डॉक्टर नहीं रहने से मरीजों की संख्या भी घट गई है. होम्योपैथिक और यूनानी के डॉक्टर नहीं रहने से मरीज इलाज कराने नहीं पहुंच रहे हैं.
यहां है देसी चिकित्सालय
जिला में पांच जगह देसी चिकित्सालय बनाया गया है. जिसमें कुरसेला में आयुर्वेद, चापी भसना में आयुर्वेद, फलक बरेटा में आयुर्वेद, मदुरा में यूनानी, बलरामपुर में यूनानी सेंटर है. लेकिन डॉक्टर के नहीं रहने से मदुरा व बलरामपुर में मरीजों को सेवा नहीं मिल पा रही है.
जबकि कुरसेला चापी भसना में सिर्फ डॉक्टर की ही तैनाती है. जबकि वहां पर कंपाउंडर और पियून का पद खाली पड़ा हुआ है. होम्योपैथिक का एक ही सेंटर जिला मुख्यालय शहर के नया टोला संयुक्त औषधालय में है जो वह भी खाली पड़ा हुआ है.
जबकि फलका बरेटा में आयुर्वेदिक सेंटर पर कटिहार में पदस्थापित डॉक्टर राजेश रंजन अतिरिक्त पद संभाले हुए हैं. जो सिर्फ शनिवार के दिन ही फलका बरेटा में अपना योगदान देते है. जबकि मदुरा और बलरामपुर में डॉ कंपाउंडर एवं पियून का पद खाली पड़ा हुआ है.
मरीजों के इंतजार में बैठे रहते हैं चिकित्सक
यह विडंबना है कि शहर के नया टोला में स्थित संयुक्त औषधालय में मरीजों के इंतजार में घंटों डॉक्टर बैठे रहते हैं. सोमवार के दिन भी दोपहर के एक बजे तक मात्र दो मरीज ही अपना इलाज करवाने के लिए पहुंचे हुए थे.
डॉ राजेश रंजन ने बताया कि मरीजों में देसी चिकित्सालय के बारे में पता नहीं रहने के कारण मरीज यहां पर नहीं पहुंच पाते हैं. जबकि स्वास्थ्य विभाग की ओर से सिविल सर्जन को सदर अस्पताल परिसर में देसी चिकित्सालय को शिफ्ट करने का निर्देश भी दिया गया है.
लेकिन इस और कोई पहल नहीं की जा रही है. यदि देसी चिकित्सालय सदर अस्पताल परिसर में सेवा देने लगे तो मरीजों को इसका पूरा पूरा लाभ मिलेगा और सदर अस्पताल पहुंचने वाले मरीज भी देसी चिकित्सालय में कन्वर्ट होंगे. जिससे मरीजों की परेशानी कम होगी और उनका उपचार भी ससमय अच्छे से हो पायेगा.
देसी चिकित्सालय का नहीं है अपना भवन. शहर के नया टोला में चल रहे संयुक्त औषधालय का अपना भवन नहीं है. लगभग 11 वर्षों से नया टोला में स्थित एक निजी मकान में किराये पर चिकित्सालय का संचालन हो रहा है. जबकि स्वास्थ्य विभाग की ओर से सिविल सर्जन को देसी चिकित्सालय को सदर अस्पताल परिसर में स्थान देने का निर्देश भी दिया गया है.
लेकिन स्वास्थ्य अधिकारी का ईस और कोई सकारात्मक पहल नहीं है. लाखों रुपये अब तक भाड़े के रूप में स्वास्थ्य विभाग मकान मालिक को अदा कर चुके हैं. लेकिन देसी चिकित्सालय को सदर अस्पताल परिसर में लाने की कोई कवायद नहीं चल रही है.
