नुआंव. 39 करोड़ रुपये की लागत से दो पंचायत अकोल्ही व नुआंव के लगभग 5000 एकड़ खेतों को पटवन करने वाला जैतपुरा पंप कैनाल कर्मनाशा नदी में पानी होने के बाद भी नहर सुखी व खेत प्यासे हैं. किसान कभी आसमान तो कभी नहरों की तरफ टकटकी लगाये बैठे हैं कि कब आसमान से बरसात व नहरों में पानी आ जाये, जिससे उनके खेतों में बिचड़े पड़ सके. किसानों की लंबी लड़ाई के बाद हाइकोर्ट द्वारा क्षेत्र के किसानों को खेतों के पटवन के लिए 39 करोड़ रुपये की लागत से बने कैनाल की सौगात के बाद आज कैनाल से सारे संसाधन ठीक होने के बावजूद 15 जून को पानी देने के विभागीय आदेश का हवाला देकर नहर में पानी नहीं दिया जा रहा, जबकि बीते उपचुनाव के दौरान मंच के माध्यम से विभिन्न पार्टी के कई नेताओं द्वारा किसानों की आमदनी दोगुनी करने का दम भरा गया. जहां आज इस ज्वलंत समस्या से निजात दिलाने में वैसे नेता धरातल पर नहीं दिख रहे, जबकि बेबस किसान रोहणी नक्षत्र बीत जाने व मिर्गरिशा नक्षत्र चलने के दौरान भी किसान धान के बिचड़े डाल पायेंगे या नहीं अभी भी संशय बरकरार है. दरअसल, 15 मई तक नहरों में दिये जाने वाले पानी को सिंचाई विभाग द्वारा पहले एक जून व एक जून बीतने के बाद नहरों में मेंटेनेंस का हवाला देकर अब 15 जून को विभाग द्वारा पानी दिए जाने का आदेश जारी किया गया है. ऐसे में नदी में पानी व सारे संसाधन पूर्ण होने के बाद भी कैनाल से खेती के इस पिक सीजन में पानी नहीं दिया जा रहा है. ऐसे में एक माह खेती पिछड़ने पर इसका उत्पादन 30 से 40 प्रतिशत कम हो जायेगा. बीते चुनाव के दौरान चुनावी मंच से किसानों की आमदनी दोगुनी करने वाले नेता भी दिखायी नहीं दे रहे हैं. # क्या कहते हैं किसान – जैतपुरा के किसान लल्लन राम ने कहा रोहिणी नक्षत्र बीतने के बाद भी नहर से पानी नहीं मिला. नहर के पानी मिलने से गरीब अमीर सभी के धान के बिचड़े खेतों में एक साथ डाले जाते हैं. सामर्थ्यवान लोग 50 रुपये घंटे की दर से सबमर्सिबल पंप से बिचड़े डाल रहे हैं, जबकि हम जैसे ढाई से तीन बीघे की खेती करने वाले गरीब लोग आज भी नहर के पानी का इंतजार कर रहे हैं. # किसान राम सिंहासन सिंह ने कहा पानी के अभाव में 80 प्रतिशत धान के बिचड़े नहीं डाल पाये हैं. रोहिणी नक्षत्र बीत गया और अब मिर्गरिशा चल रहा है, बीज नहीं डाले गये तो 30 से 40 प्रतिशत धान का उत्पादन कम होगा. 1986 में पहली बार पूर्व मंत्री जगदानंद सिंह के कार्यकाल में क्षेत्र के किसान इंद्रपुरी बराज से लड़ कर रोहिणी नक्षत्र में गारा चौबे नहर के टेल तक पानी लाने का काम किये थे. विगत पांच वर्षों से नहर में समय से पानी नहीं आने के कारण किसान बीज नहीं डाल पा रहे हैं. # नुआंव के किसान नजबुल होदा ने कहा सरकार के प्रत्येक वर्ष सिंचाई पर करोड़ों रुपये खर्च करने का क्या फायदा, जब किसानों के खेतों को जुलाई माह में पानी मिलेगा, किसान बेबस व लाचार हैं. टेल एंड पर होने के कारण यहां पानी पहुंचने में भी कम से कम 15 दिन लग जायेंगे. 90 रुपये प्रति घंटे की दर से किसान सबमर्सिबल पंप से धान के बिचड़े डालने को मजबूर हैं, जिसे कोई देखने वाला नहीं है. # बड्ढा के किसान अनुरंजन राय ने कहा रोहणी नक्षत्र बीतने व कर्मनाशा नदी में पर्याप्त पानी रहने के बाद भी कैनाल से पानी नहीं मिलना क्षेत्र के किसानों के लिए काफी दुर्भाग्य पूर्ण है. गरीब किसान धान के बिचड़े डालने को लेकर पानी की आस में नहर पर टकटकी लगाये बैठे है. जबकि पानी के अभाव में अकोल्ही पंचायत के किसान भी धान के बिचड़े नहीं डाल पा रहे. कुछ लोग किसानों के खेतों की प्यास बुझाने व समय पर पटवन होने को लेकर जमानिया से मां गंगा को लाने की बात कर रहे हैं, जबकि कैनाल से सटे कर्मनाशा नदी में पानी रहने के बावजूद किसानों के खेतों की प्यास नहीं बुझ पा रही है. # क्या कहते हैं इंजीनियर उक्त संबंध में विभाग के एक्जीक्यूटिव इंजीनियर अभिषेक कुमार ने कहा विभागीय आदेश के अनुसार 15 जून से कैनाल से किसानों के खेतों को पानी मिलेगा. कैनाल को चलाने में पंप या अन्य तरह की कोई दिक्कत नहीं है.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है