भभुआ सदर. जीरो से 28 दिन के कमजोर व बीमार नवजातों के सदर अस्पताल में स्थित विशेष नवजात देखभाल इकाई यानी एसएनसीयू में भर्ती करने में कैमूर जिला वित्तीय वर्ष 2024-25 में पूरे बिहार में अव्वल रहा. गौरतलब है कि अप्रैल 2024 से मार्च 2025 तक 16 बेड वाले एसएनसीयू में कुल 1733 नवजातों को इलाज के लिए भर्ती किया गया. जबकि, 563 नवजातों की भर्ती के साथ वैशाली दूसरे और 1398 नवजातों के भर्ती के साथ रोहतास तीसरे स्थान पर रहा. दरअसल, नवजात मृत्यु दर में कमी लाना राज्य सरकार की प्राथमिकताओं में है. राज्य के विभिन्न जिला अस्पतालों में कुल 35 विशेष नवजात चिकित्सा इकाई एसएनसीयू संचालित हैं और अपने स्थापना से ही राज्य में एसएनसीयू नवजातों के उपचार में सहायक रहा है. राज्य के स्पेशल न्यूबॉर्न केयर यूनिट में डिस्चार्ज रेट में बढ़ोतरी और दी जाने वाली सुविधाओं में बढ़ोतरी के कारण पिछले एक वर्ष में नवजातों की मृत्यु दर में दो अंक की कमी भी आयी है. राज्य के एसएनसीयू में प्रतिवर्ष औसतन 55 से 60 हजार बीमार नवजातों की भर्ती कर उपचार किया जाता है. एसएनसीयू के माध्यम से बीमार नवजातों को शिशु रोग विशेषज्ञ या विशेष रूप से प्रशिक्षित चिकित्सक द्वारा चिकित्सा सेवा प्रदान की जाती है. इसके अंतर्गत कंगारु मदर केयर की सुविधा भी प्रदान की जा रही है. इसके साथ ही मां को भी नवजात की देखभाल करने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है. =बिना प्राथमिक उपचार के नहीं किया जाता है रेफर पूरे बिहार में सदर अस्पताल स्थित एसएनसीयू को नवजातों भर्ती कर इलाज करने में प्रथम आने पर सीएस डॉ चंदेश्वरी रजक ने खुशी जाहिर करते हुए बताया कि स्वास्थ्य विभाग के द्वारा सभी एसएनसीयू को यह निर्देश प्राप्त है कि वह बिना प्राथमिक उपचार के किसी भी नवजात को उच्चतर संस्थान में रेफर नहीं करेंगे. एसएनसीयू के तहत रेफरल केस को भी दस प्रतिशत से कम करने का भी निर्देश प्राप्त है. इसके अलावा डिस्चार्ज रेट को बढ़ाने और नवजातों की भर्ती बढ़ाने संबंधी निर्देश भी एसएनसीयू को प्राप्त है.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

