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Kaimur News : पराली जलाने पर प्राथमिकी दर्ज कराने का निर्देश

फसल अवशेष प्रबंधन को लेकर सोमवार को जिला संयुक्त कृषि भवन के सभागार में प्रभारी जिला कृषि पदाधिकारी शिवजी कुमार की अध्यक्षता में एक बैठक आहूत की गयी.

भभुआ. फसल अवशेष प्रबंधन को लेकर सोमवार को जिला संयुक्त कृषि भवन के सभागार में प्रभारी जिला कृषि पदाधिकारी शिवजी कुमार की अध्यक्षता में एक बैठक आहूत की गयी. इसमें जिला अग्निशमन पदाधिकारी सहित प्रखंड कृषि पदाधिकारी, सभी कृषि समन्वयक तथा कृषि सलाहकार उपस्थित थे. बैठक में यह निर्देश दिया गया कि जिन जगहों पर गेहूं के डंठलों यानी पराली जलाने की घटनाएं हो रही हैं, उन जगहों पर खेतों के मालिक किसान को चिह्नित कर उनके खिलाफ अविलंब प्राथमिकी दर्ज करायी जाये. जिला अग्निशमन पदाधिकारी से भी अनुरोध किया गया कि जिन जगहों पर पराली जलाने की सूचना मिलती है, तो उन जगहों पर तत्काल दमकल से पानी भेजवाना सुनिश्चित किया जाये. ताकि आग आगे न बढ़ सके और होने वाले जन-धन की हानि को आग पर काबू पाकर न्यूनतम किया जा सके. किसान सलाहकारों तथा कृषि समन्वयकों को निर्देश दिया गया कि गांवों में जाकर किसानों को पराली जलाने से होने वाले पर्यावरण प्रदूषण, मिट्टी के उर्वरता और आग की घटनाओं को फैलने के कारण जान-माल होने के नुकसान की संभावनाएं आदि के बारे में बताते हुए पराली नहीं जलाने के लिए प्रेरित करें. साथ ही पराली को काटकर और भूसा का बंडल बनाने वाले सरकार द्वारा किसानों को अनुदान पर दिये जाने वाले यंत्रों के बारे में भी जानकारी दें. गौरतलब है कि अभी पिछले सप्ताह ही कृषि विभाग द्वारा पराली नहीं जलाने को लेकर गांवों में मोटरसाइकिल जागरूकता रैली का आयोजन किया गया था. फिलहाल वर्तमान में गेहूं के डंठलों में आग लगाने के मामले को लेकर जिले के 16 किसानों के खिलाफ सीआरपीसी धारा 188 के तहत प्राथमिकी दर्ज करायी जा चुकी है. उपरोक्त जानकारी देते हुए जिला कृषि पदाधिकारी ने बताया कि एक तरफ जहां पराली जलाना एक दंडनीय अपराध है, वहीं दूसरी तरफ सरकार द्वारा संबंधित किसान का निबंधन लॉक कर दिये जाने के बाद वह किसान सरकार के सभी लाभकारी योजनाओं से भी वंचित हो जाता है. ऐसे में संबंधित किसान का बड़ा नुकसान होता है. इसलिए किसानों को इस मामले को समझना चाहिए और सरकार के निर्देशों का गंभीरता के साथ अनुपालन करना चाहिए. अत: किसान पराली न जलाकर इसका उपयोग जैविक खाद या पशु चारे के रूप में करें. पराली को भूसा बनाने के लिए सरकार किसानों को अनुदान पर कृषि यंत्र भी उपलब्ध करा रही है.

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