भभुआ सदर. भभुआ शहर में हर दिन हजारों टन कूड़ा निकलता है, लेकिन लैंडफिल साइट नहीं रहने से नगर पर्षद शहर से निकल रहे कूड़े-कचरे को सुवरन नदी, कुदरा बाईपास रोड और हवाई अड्डे के समीप गिरा रही है. इधर, गर्मी के मौसम में फेंके जा रहे कूड़ों में आग लग जा रही है, जिससे उठती आग की लपटों और धुएं से सुवरन नदी के समीप बसे सारंगपुर, गोड़हन और दुमदुम सहित कई गांव की हवा प्रदूषित हो रही है. स्थिति यह हो गयी है कि आग लगे होने के चलते कई दिनों से उठते धुएं से ग्रामीणों को सांस लेने में जहां दिक्कत हो रही है, तो फेंके जा रहे कूड़े में पॉलीथिन सहित अन्य घातक तत्वों की वजह से आसपास के खेत बंजर होने लगे हैं. इस गंभीर समस्या पर सारंगपुर के ग्रामीणों ने शुक्रवार को प्रभात खबर आपके द्वार कार्यक्रम में बंजर हो रहे खेतों और लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ रहे प्रभाव पर खुलकर अपनी बातों को रखा और सारंगपुर के ग्रामीणों और सुवरन नदी पर स्थित कर्पुरी ठाकुर छात्रावास के छात्रों ने जिला प्रशासन से इस समस्या से निजात दिलाने की मांग की. ग्रामीणों का कहना था कि नगर पर्षद शहर में गंदगी करनेवालों के खिलाफ जुर्माना ठोक रही है, तो जिला प्रशासन भी किसानों पर कड़ी कार्रवाई कर रही है. लेकिन, नगर पर्षद भभुआ द्वारा ग्रामीण क्षेत्र में फेंके जा रहे कूड़े कचरे पर रोक लगाने पर प्रशासन का कोई ध्यान नहीं है. शहर से निकलने वाले कचरे को प्रत्येक दिन इन स्थानों पर फेंका जा रहा है और अपनी लापरवाही छुपाने के लिए उसमें आग लगा दी जा रही है. छात्रों ने कहा-धुएं व दुर्गंध से मन हो जा रहा विचलित तो पढ़ेंगे क्या इधर, सुवरन नदी के किनारे डंप किये जा रहे कूड़े और उसमें आग लगने से प्रदूषण के जद में नदी किनारे स्थित कर्पूरी ठाकुर छात्रावास भी आ रहा है. कर्पूरी ठाकुर छात्रावास में रहनेवाले छात्रों का कहना था कि धुएं और दुर्गंध से मन विचलित रहता है, तो पढ़ाई कैसे होगी. खिड़की-दरवाजा बंद करने के बावजूद दुर्गंध और कूड़े में लगी आग से उड़कर राख उनके कमरों में समा जा रहा है. कूड़ा डंप करने से उठती दुर्गंध और फिर उसमें आग लगा देने से हवा प्रदूषित हो रही है, तो धुएं से घुटन महसूस होती रहती है. इसके अलावा छात्रावास में कूड़े से आनेवाली मक्खियां भी परेशान करती है. इस मामले में छात्रावास में रहने वाले छात्र कई बार प्रशासनिक अधिकारियों से गुहार लगाकर नगर पर्षद द्वारा कई सालों से फेंके जा रहे कूड़े पर रोक लगाने की मांग कर चुके है लेकिन छात्रों की कही भी सुनवाई नही हुई जिसके चलते आज भी कर्पुरी ठाकुर छात्रावास में रहकर पढ़ने वाले छात्र घुटन और गंदगी से उठते दुर्गंध के बीच पढ़ने को मजबूर है. = कूड़ा डंप करने पर जताया जा चुका है विरोध सुवरन नदी के समीप सड़क किनारे ही कूड़े डंप किये जाने के चलते वहा बने कर्पूरी ठाकुर छात्रावास के छात्रों द्वारा पूर्व में भी आक्रोशित होकर सड़क जाम कर दिया था. भभुआ-चैनपुर सड़क से प्रतिदिन आने जाने वाले पलका गांव निवासी विनोद सिंह, बेतरी गांव निवासी राम नारायण शर्मा आदि का कहना था कि प्रतिदिन कूड़ा लाकर नगर पर्षद द्वारा यही फेंक दिया जाता है और फेंकने के अलावा कूड़े को आग के हवाले भी कर दिया जा रहा, जिसके चलते गंदगी, दुर्गंध और कूड़े से उठते धुएं की घुटन से सांस लेना भी मुश्किल हो गया है. इसके अलावा इस स्थिति पर उन रास्तों से से होकर आने-जाने वाले लोगों को परेशान करती है. = विरोध के चलते मसही में बंद करनी पड़ी लैंडफिल साइट दरअसल, जिला प्रशासन के निर्देश पर शहर से प्रत्येक दिन निकलने वाले सैकड़ों टन कचरे का निस्तारण मसही में बने सैनेटरी लैंडफिल साइट पर किया जाना था. लेकिन, जब सारी तैयारियों के बाद मसही में कचरा निस्तारण किया जाने लगा तो मसही और आसपास के गांवों के ग्रामीणों द्वारा सड़क जाम करते हुए इसका विरोध किया था. ग्रामीणों के विरोध के बाद नगर पर्षद ने मसही लैंडफिल साइट पर कचरा भेजना बंद कर दिया. प्रवेश द्वार पर डंप कूड़ों से शहर की बन रही नकारात्मक छवि दरअसल, सफाई कर्मी शहर से कचरे का उठाव कर सुवरन नदी के समीप डंप कर देते है. उसमें से उठने वाली बदबू से परेशान लोग जब इसकी शिकायत करते हैं, तो वह कचरे में आग लगाकर उसे जला देता है. जबकि, कचरा रिसाइकिलिंग पीट का निर्माण 2019 में ही किया गया था. कुछ दिन कचरे से खाद भी बनी, लेकिन भारी अनियमितता की वजह से यह व्यवस्था फेल हो गयी. शहर से निकल रहे प्रतिदिन हजारों टन कचरे को नगर पर्षद शहर के प्रवेश द्वारों पर फेंक रही है इसके चलते शहर की एक नकारात्मक छवि भी बन रही है. फिलहाल शहर से निकल रहे कचरे को सुवरन नदी व हवाई अड्डा के समीप, गवई मुहल्ला के पीछे, अखलासपुर बस स्टैंड आदि जगहों पर फेंका जा रहा है. सुवरन नदी के समीप सड़क किनारे ही कूड़े डंप किये जाने के चलते वहा बने कर्पूरी ठाकुर छात्रावास के छात्रों द्वारा पूर्व में तो इस परेशानी की वजह से आक्रोशित होकर सड़क जाम तक किया जा चुका है. भभुआ-चैनपुर सड़क से प्रतिदिन आने जाने वाले पलका गांव निवासी विनोद सिंह, बेतरी गांव निवासी राम नारायण शर्मा आदि का कहना था कि सरकार और प्रशासन खेत में पराली जलाने पर किसानों पर कार्रवाई करती है, उन्हें सरकारी सुविधा से वंचित किया जा रहा है. लेकिन दूसरी तरफ नगर पर्षद खुले में कूड़ा भी फेंक रही है और उसमें आग भी लगा दी जा रही है. उन्होंने बताया कि प्रतिदिन कूड़ा लाकर नगर पर्षद द्वारा यही फेंक दिया जा रहा है और फेंकने के अलावा कूड़े को आग के हवाले भी कर दिया जा रहा, जिसके चलते गंदगी, दुर्गंध और कूड़े से उठते धुएं की घुटन से सांस लेना भी मुश्किल हो गया है. बोले इओ– नगर पर्षद के कार्यपालक पदाधिकारी संजय उपाध्याय ने बताया कि ग्रामीणों के विरोध के चलते मसही में बनाया गया सेनेटरी लैंडफिल साइट को बंद करना पड़ा है. कचरा निस्तारण के लिए पांच एकड़ जमीन खोजी जा रही है. जल्द इस समस्या का समाधान किया जायेगा. – नगरपालिका द्वारा कूड़ा गिराये जाने से गंदगी और दुर्गंध तो फैल ही रही है. फेंके जा रहे कूड़े से सारंगपुर गांव का मुख्य नाला ही बंद हो गया है, जिसके चलते घरों से निकल रहा गंदा पानी खेतों और गलियों में फैल रहा है. सीताराम सिंह -नगरपालिका द्वारा फेंके जा रहे कूड़े से हमलोगों की जिंदगी नारकीय हो गयी है. कभी दुर्गंध, तो कभी कूड़ा जलाने से दमघोंटू धुएं से मन विचलित रह रहा है. कई बार शिकायत की गयी, लेकिन कुछ नहीं हुआ. अब तो पहले से भी ज्यादा कूड़ा फेंका जा रहा है. कहीं कोई सुनवाई नहीं हो रही है जब प्रशासन के लोग सुन ही नहीं रहे, तो अखबार में लिखने से क्या फायदा होगा. राजेश पासवान – कूड़ा फेंके जाने और उसमें आग लगा देने से सारंगपुर मोड़ पर अक्सर दुर्घटनाएं हो रही हैं. प्रशासन को चाहिए कि नगरपालिका को यहां कूड़ा कचरा फेंकने से रोके. प्रभावती देवी – नगर पर्षद यहां रास्ते में कूड़ा फेंक कर लोगों के जान के साथ खिलवाड़ कर रही है, जहां फेंके गये कचरे में अक्सर आग लगा देने व उठ रहे धुएं से आगे से आ रही गाड़ियां दिखायी भी नहीं देती, यहां से गुजरते वक्त एक तरफ उठते धुएं से आंख व सांस बंद होने लगती है, तो दूसरी तरफ से आती गाड़ियों से दुर्घटना की आशंका बनी रहती है. छोटे शर्मा, सारंगपुर – नगरपालिका जहां कूड़ा फेंक रही है, वहां पहले खेल का मैदान और गौशाला था. उस मैदान पर वह लोग खेलते थे. लेकिन अब उस जमीन पर जबरन दावा किया जा रहा है और नगरपालिका द्वारा कूड़ा गिराया जा रहा है. कहने पर दूसरे जगह खेल मैदान बनाने को कहा जा रहा है. दिवाकर चौबे – जहां कूड़ा गिर रहा है वह पहले खेल मैदान था. लेकिन उसपर कूड़ा फेंक कर मैदान को बराबर किया जा रहा है. कूड़ा फेंके जाने से गांव का पानी नहीं निकल पा रहा है, जिसके चलते गांव वालों को काफी परेशानी है. हरिद्वार सिंह – बचवा जब पुरवा हवा चलत बा त जलत कूड़ा के धुवां घर में घुस जात बा, जेकरा चलते सांस भी लेवे में परेशानी होता. सरकार के चाही की एकर व्यवस्था गांव समाज से दूर करे, ताकि लोगन के कौनो परेशानी ना हो. ललिता देवी – नगरपालिका तो शहर में गंदगी फैलाने पर जुर्माना लगा रही है, जबकि दूसरी ओर शहर से निकले गंदगी को हम गांववालों को बीमार होने के लिए उनके क्षेत्र में फेंक रही है, डीएम साहब को इस पर सख्ती से रोक लगाने की जरूरत है. पंचदेव सिंह – सुवरन नदी के पास कूड़ा फेंकने से हम गांव वाले या कर्पूरी ठाकुर छात्रावास के बच्चे ही नहीं त्रस्त है बल्कि कूड़े से उठते असहनीय दुर्गंध और जलते कूड़े से उठते धुएं से भभुआ, चैनपुर, चांद जानेवाली एनएच 219 से गुजरने वाले लोग भी परेशान होते है. कूड़े फेंकने के चलते सड़क सकरी होने लगी है, जिसके चलते अक्सर सारंगपुर मोड़ पर दुर्घटनाएं भी हो रही है. शंकर सिंह – बैठक सहित जनप्रतिनिधियों के समीप कई बार इस समस्या को उठाया गया, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है. विडंबना है कि उनके दुमदुम पंचायत के ग्रामीण इलाकों का कूड़ा कहीं और फेंका जा रहा है, जबकि नगरपालिका का अपना क्षेत्र नहीं होने के बाद भी प्रतिदिन कूड़े को सारंगपुर मौजा में फेंक दिया जा रहा है. आये दिन लोग इससे बीमार हो रहे है, इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा. मीना देवी, वार्ड सदस्य -नगरपालिका द्वारा डंपिंग यार्ड बनाये जाने से फरवरी से लेकर जुलाई महीने तक जब जब पश्चिमी हवा चलती है, तब तब हॉस्टल में रहना दुश्वार हो जाता है. दुर्गंध और धुंआ इतना जहरीला होता है कि सांस लेना भी दूभर हो जा रहा है. हॉस्टल में रहनेवाले छात्र इसके चलते अक्सर बीमार हो जाते है. इसको लेकर छात्रों द्वारा बार-बार गुहार लगायी गयी, लेकिन उनकी सुनवाई नहीं हुई, तो छात्र गंदगी और असहनीय दुर्गंध को सहते हुए हॉस्टल में पढ़ाई करने को मजबूर है. गया पाल, गार्ड, कर्पूरी छात्रावास
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