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किसानों के खेती पर भी गिरी आचार संहिता की गाज

लोकसभा निर्वाचन को लेकर लागू किये गये आचार संहिता की गाज किसानों के खेती पर भी अब गिर चुकी है. खाद का भंडार होने के बावजूद किसानों को खाद नहीं मिलेगी.

भभुआ. लोकसभा निर्वाचन को लेकर लागू किये गये आचार संहिता की गाज किसानों के खेती पर भी अब गिर चुकी है. खाद का भंडार होने के बावजूद किसानों को खाद नहीं मिलेगी. ऐसे में जिले में खाद का पर्याप्त भंडार होने के बाद भी किसानों को खाद नहीं मिल सकेगी. गौरतलब है कि खरीफ सीजन की शुरूआत रोहणी नक्षत्र चढ़ने के साथ ही शुरू हो चुका है, चार दिन नक्षत्र के निकल भी चुके हैं. पांच दिन बाद नवताप खत्म होते ही किसानों का हल खेतों में उतर जायेगा और किसान धान का बीज डालने की तैयारी में जुट जायेंगे. लेकिन, बीज डालने के इस पीक सीजन में किसानों को खाद पर गिरी लोकसभा चुनाव के आचार संहिता के गाज के कारण खाद नहीं मिल पायेगी. इधर, इस संबंध में जिला कृषि पदाधिकारी रेवती रमण ने बताया कि लोकसभा निर्वाचन को लेकर निर्वाचन आयोग द्वारा इफको के यूरिया सहित अन्य ब्रांड के भी यूरिया जिस पर प्रधानमंत्री मोदी का फोटा छपा है, उसके बिक्री पर रोक लगा दी गयी है. इसे लेकर जिले के सभी खाद विक्रेताओं को प्रधानमंत्री के फोटो लगे खाद के बोरों को नहीं बेचने के निर्देश दे दिये गये हैं. निर्वाचन प्रक्रिया समाप्त होने के साथ ही जब आचार संहिता प्रभावहीन हो जायेगा, तब किसानों को पीएम मोदी के फोटो वाले खाद उपलब्ध होने लगेगी. इधर, इस संबंध में निहारिका फर्म के जिले के थोक खाद विक्रेता मनोज कुमार जायसवाल का कहना था कि निर्वाचन प्रक्रिया आरंभ होने के पूर्व इफको सहित वाइएआरए, पीपीएल, सीएफसील, खेतान, चंबल, किसान यूरिया आदि ब्रांड के जो यूरिया, डीएपी आदि खाद आये थे, उसमें अधिकांश बोरों पर प्रधानमंत्री का फोटो लगा था. इसलिए आचार संहिता में उस स्टॉक के बोरे के बिक्री पर रोक लगा दी गयी है. वर्तमान में अगर खाद के विभिन्न ब्रांडों के नये बोरों पर पीएम का फोटो नहीं है, तो उस खाद को बेचा जा सकता है. इधर, भभुआ इफको बाजार के काउंटर विक्रेता राजेश कुमार ने बताया कि खाद का भंडार उनके पास पर्याप्त है, लेकिन प्रधानमंत्री के फोटो वाली खाद को अभी किसानों को नहीं बेचेंगे. = रोहणी नक्षत्र बिचड़ा डालने का सबसे पीक सीजन बहरहाल, आचार संहिता के कारण अगर किसानों के धान के बीहन को समय पर खाद नहीं मिली, तो धान की खेती पर भी खराब असर पड़ेगा. गौरतलब है कि रोहणी नक्षत्र बीहन डालने का सबसे पीक सीजन माना जाता है. मान्यता है कि इस नक्षत्र में डाले गये बीज पुष्ट होते हैं और तीन सप्ताह के बाद रोपनी करने योग्य हो जाते हैं. इधर, रमावतपुर गांव के किसान नरसिंग साह, पतरिहां गांव के किसान बब्बन पांडेय आदि ने बताया कि धान के बीहन के साथ ही डीएपी खाद भी दिया जाता है. लेकिन, डीएपी खाद को लेकर जब वे लोग इफको बाजार भभुआ में गये थे, तो वहां बताया गया कि डीएपी के बोरों पर प्रधानमंत्री का फोटो है. इसलिए ये बोरे आचार संहिता के बाद बेचे जायेंगे. ऐसे में अभी बीहन डालने का काम शुरू नहीं किया जा सकता ,जब तक खाद बाजार में मिलने न लगे. किसानों ने बताया कि अन्य ब्रांड के खाद बाजार में बिना पीएम के फोटो वाले महंगे दाम पर मिल रहे हैं. लेकिन, इफको का खाद अच्छा और सस्ता होता है. इन्सेट 1 खरीफ सीजन के प्रथम चरण के लिए पर्याप्त खाद का भंडार उपलब्ध भभुआ. इधर, खाद के पर्याप्त भंडार होने के बावजूद खाद की बिक्री पर लगा ग्रहण किसानों के लिए परेशानी का सबब बन गया है. जबकि, जिले में अभी खरीफ सीजन के प्रथम चरण के लिए पर्याप्त खाद का भंडार उपलब्ध है. इस संबंध में जिला कृषि पदाधिकारी रेवती रमण ने बताया कि वर्तमान में जिले के पास 9600 एमटी यूरिया, 2168 एमटी डीएपी तथा 130 एमटी एमओपी उर्वरक उपलब्ध है. अगले माह उर्वरक की नयी खेप भी जिले को प्राप्त होगी. किसानों को इस सीजन में यूरिया खाद प्रति बैग 266.50 रुपये, डीएपी 1350 रुपये प्रति बैग, एमपीके 1470 रुपये प्रति बैग, एपीएस 1200 रुपये प्रति बैग, एमओपी 750 रुपये प्रति बैग किसानों को उपलब्ध कराया जायेगा. मिलाजुला कर सब कुछ होने के बावजूद किसानों को उचित मूल्य पर खाद खरीदने के लिए अभी आचार संहिता के समाप्त होने की जरूरत महसूस हो रही है. इन्सेट 2 खेतों के पटवन के पानी के लिए भी छटपटायेंगे किसान भभुआ. किसानों के खेती पर सिर्फ आचार संहिता के कारण खाद की गाज ही नहीं, बल्कि अधिकारियों के लापरवाही की कारण पानी को लेकर भी किसान छटपटायेंगे. क्योंकि, जिले के मुख्य सिंचाई के साधन में शामिल सोन उच्च स्तरीय नहर केनाल भी सूखा पड़ा हुआ है. यही हाल दुर्गावती जलाशय परियोजना की भी है. इसके नहर के पेटी से धूल उड़ रहा है. और किसान पानी को लेकर टकटकी लगाये हैं. गौरतलब है कि सोन उच्च स्तरीय नहर केनाल की विभिन्न माइनरों की मरम्मत का काम अब तक पूरा नहीं किया गया है. वितरणियों की मरम्मत का काम मनरेगा से कराया जा रहा है, लेकिन मनरेगा के जिला प्रोग्राम पदाधिकारी संजय कुमार के अनुसार अभी विभिन्न वितरणियों के माइनर मरम्मत का काम पूरी तरह नहीं हुआ है. अब चुनाव के बाद ही संभव है. यही हाल दुर्गावती जलाशय परियोजना का भी है, जिसमें रोहणी नक्षत्र चढ़ने के बावजूद अभी तक एक बूंद पानी का दर्शन किसानों को नहीं हुआ है. दुर्गावती जलाशय परियोजना के जब कार्यपालक अभियंता अखिलेश कुमार का कहना था कि अभी सबार, कमदा आदि वितरणियों में मरम्मत का काम चल रहा है. पानी देने में एक-दो सप्ताह लेट हो सकता है.

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