भभुआ. बाल श्रमिक कानून के तहत पिछले 11 वर्षों में कैमूर जिले के विभिन्न स्थानों पर मजदूरी कर रहे 170 बाल श्रमिकों को श्रम विभाग द्वारा अब तक मुक्त कराया जा चुका है. इन 170 बाल श्रमिकों में जिले के 60 बाल श्रमिकों के अलावा 110 बाल श्रमिक अन्य जिलों या अन्य राज्यों से आकर जिले के विभिन्न प्रतिष्ठानों में काम कर रहे थे. इधर, जिला प्रशासन स्तर से 29 बाल श्रमिकों को पुनर्वासित भी किया जा चुका है. गौरतलब है कि बाल श्रम निषेध व विनियमन अधिनियम के अनुसार 14 वर्ष से कम आयु के बच्चों को किसी भी कार्य में नियोजित नहीं किया जा सकता है. इसी तरह कारखानों के किसी खतरनाक काम पर भी 14 से 18 वर्ष के मजदूरों को नहीं लगाया जा सकता है. ऐसे मजदूरों के नियोक्ता भी बाल श्रम अधिनियम के अंतर्गत आते हैं. अगर किसी नियोजक द्वारा ऐसा किया जाता है तो यह कानून अपराध के श्रेणी में रखकर सरकार बाल श्रमिकों को मुक्त कराते हुए नियोजक के खिलाफ कार्रवाई करती है. इधर, इस संबंध में जब जिला श्रम अधीक्षक चंदन कुमार से बात की गयी तो उनका कहना था कि वर्ष 2014 से लेकर अब तक बाल श्रमिक कानून के तहत जिले के विभिन्न ढाबों, ईंट भठ्ठों, दुकानों आदि पर काम करते हुए 14 वर्ष से कम आयु के 170 बाल श्रमिकों को श्रम विभाग द्वारा मुक्त कराया जा चुका है. इसमें 110 बाल श्रमिक कैमूर के नहीं पाये गये थे. ये बाल श्रमिक झारखंड आदि राज्यों या दूसरे जिलों से आकर कैमूर के विभिन्न प्रतिष्ठानों पर बाल मजदूरी कर रहे थे. उन्हें प्रशासनिक स्तर से उनके राज्य या उनके जिले को सूचित करते हुए जिला बाल सरंक्षण इकाई को सौंप दिया जाता है. इसके बाद संबंधित राज्य या जिले में इन बाल श्रमिकों को शिफ्ट कर दिया जाता है. = पुनर्वासित बाल श्रमिकों की 25 हजार रुपये करायी गयी फिक्स डिपाजिट इधर, बाल श्रम से मुक्त कराये गये कैमूर जिले के 60 बाल श्रमिकों में से 29 बाल श्रमिकों को पुनर्वासित किया जा चुका है. गौरतलब है कि सरकार द्वारा बाल श्रमिक से मुक्त कराये गये बच्चों के लिए पुनर्वास योजनाएं भी चलायी जाती हैं. इसके तहत बाल श्रमिकों को पढ़ने के लिए शिक्षा की व्यवस्था, स्वास्थ्य देखभाल, व्यवसायिक प्रशिक्षण आदि से लेकर नगद राशि भी फिक्स डिपॉजिट कराया जाता है. इधर, इस संबंध में जानकारी देते हुए जिला श्रम अधीक्षक ने बताया कि मुख्यमंत्री राहत कोष से 29 बाल श्रमिकों को पुनर्वासित किया जा चुका है. इसके तहत 25 हजार रुपये की राशि फिक्स डिपाजिट करायी गयी है. जबकि, दो बाल श्रमिकों को पुनर्वासित करने की प्रक्रिया जारी है. साथ ही मुक्त कराये गये 18 बाल श्रमिकों को शिक्षा के लिए 3000 रुपये भुगतान करने को लेकर प्रमंडल उप श्रम आयुक्त पटना को भी लिखा जा चुका है. साथ ही प्राथमिक पुनर्वास से पुनर्वासित किये गये 16 बाल श्रमिकों के लिए 5000 रुपये प्रति बाल श्रमिक के राशि भुगतान की मांग भी श्रमा आयुक्त बिहार पटना से की गयी है. गौरतलब है कि मुक्त बाल श्रमिकों की सहायता के लिए जिला स्तर पर राहत कोष भी बनाया गया है, जिसमें नियोजक से वसूली गयी दंडात्मक राशि जमा करायी जाती है. इन्सेट एक साल में मुक्त कराये गये 31 बाल श्रमिक, नियोजकों पर हुई प्राथमिकी भभुआ. बाल श्रमिकों के मुक्ति को लेकर पिछले साल से ही श्रम विभाग द्वारा विशेष अभियान चलाया जा रहा है. इसमें धावा दल का गठन कर विभिन्न प्रतिष्ठानों पर छापेमारी कर बाल श्रमिकों की पहचान और उनके विमुक्ति का काम किया जा रहा है. नतीजा है सिर्फ एक साल के अंदर जिले में 31 बाल श्रमिकों को मुक्त कराया गया. इसमें तीन बाल श्रमिक कैमूर जिले के, जबकि 28 बाल श्रमिक अन्य जिलों या अन्य राज्यों के पाये गये. उदाहरण के लिए एक माह पहले मई में कुदरा के पंचपोखरी स्थित शिवम मौर्य ढाबा से दो बाल श्रमिकों को मुक्त कराया गया और ढाबा संचालक पर प्राथमिक दर्ज कराया गया. मई माह में ही चैनपुर के एक मिठाई दुकान पर काम कर रहे बाल श्रमिक को भी मुक्त कराया गया और नियोजक के खिलाफ थाना में कार्रवाई आवेदन दिया गया. मार्च 2025 में ही रामगढ़ के एक ईंट भट्ठा से तीन बाल श्रमिक मुक्त कराये गये, जो झारखंड के रहने वाले थे. हाल में ही भभुआ प्रखंड की जागेबरांव पंचायत के बेलाढ़ी में बाल श्रमिकों से बाहा खुदाई का काम मनरेगा योजना में लिया जा रहा था. इन बाल मजदूरों का फोटो भी मनरेगा के साइट पर अपलोड किया गया था. फिलहाल इस मामले में संबंधित पंचायत रोजगार सेवक से स्पष्टीकरण पूछा गया है.
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