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कैमूर में जनवरी से अक्तूबर तक 167 लोगों की सड़क दुर्घटना में गयी जान

KAIMUR NEWS.पुरानी कहावत है सावधानी हटी, दुर्घटना घटी.इन दिनों जिले में अधिकतर सड़क हादसे भी असावधानी और लापरवाही की वजह से ही हो रहे हैं. यही वजह कि आये दिन जिले की सड़कों पर निकलने वाला एक इंसान वापस घर नहीं लौट पा रहा है, उसका मृत शरीर ही लौटता है.

भभुआ सदर.

पुरानी कहावत है सावधानी हटी, दुर्घटना घटी.इन दिनों जिले में अधिकतर सड़क हादसे भी असावधानी और लापरवाही की वजह से ही हो रहे हैं. यही वजह कि आये दिन जिले की सड़कों पर निकलने वाला एक इंसान वापस घर नहीं लौट पा रहा है, उसका मृत शरीर ही लौटता है. वर्ष 2025 में जिलेभर में हुई सड़क दुर्घटनाओं में मौत के आंकड़े भी यही दर्शाते हैं. दरअसल 2025 में जनवरी से अक्तूबर तक जिले से गुजरे एनएच-19 सहित तीनों नेशनल हाइवे सहित सहायक सड़कों पर हुई दुर्घटनाओं में कुल 167 लोगों की मौत हो चुकी है. वहीं इस दौरान 192 लोग घायल हुए हैं. जबकि, वर्ष 2024 में जनवरी से दिसंबर तक 210 और वर्ष 2023 में कुल 168 लोगों की जान जा चुकी है. अब ये आंकड़ें बताने को काफी हैं कि सड़क पर जिंदगी कितनी असुरक्षित है. कोई बेटा घर से ये कह कर निकला था कि मां जल्द लौट आऊंगा, कोई पति शाम में सब्जी व घर का सामान लाने का वादा करके गया, कोई भाई- बहन की शादी की शॉपिंग करने के लिए गया, तो कोई दोस्त फिर से मिलने का वादा करके, लेकिन ये वादें पूरे नहीं हो सके. सड़क हादसे ने इन परिवारों को वह जख्म दिये हैं, जो कभी नहीं भर सकते. जिले में आये दिन लापरवाह व जल्दबाजी की ड्राइविंग से किसी न किसी की मौत हो रही है. खास कर जिले से होकर गुजरी एनएच 19 स्थित दुर्गावती, मोहनिया व कुदरा में सड़क दुर्घटनाओं में अधिक मौतें हो रही है. अगर आंकड़ों पर गौर करें तो केवल अक्टूबर और नवंबर महीने में ही भभुआ, चैनपुर, बेलांव, कुदरा, मोहनिया, रामगढ़, दुर्गावती और पुसौली में हुए विभिन्न सड़क हादसों में लगभग एक दर्जन लोग की जान जा चुकी है.

जल्दबाजी नहीं लेने दे रही दम

दरअसल इन दिनों शादी-विवाह के सीजन में जिले की सड़कों पर एक अजीब सी हड़बड़ी नजर आ रही है. हर कोई बेकरार है और रुकने का समय किसी के पास नहीं है. गाड़ी चल रही है, फिर भी जल्दबाजी. इसी हड़बड़ी में अक्सर हादसे हो रहे है. इधर, शहर में भी खासकर सवारी वाहन, सीएनजी ऑटो, विक्रम और इ-रिक्शा चलाने वालों का अपना अलग ही मिजाज है. चालक ने जहां यात्री देखी, वाहन वहीं रोक दी और वही स्टैंड भी बन गया. ऑटो व इ- रिक्शा वाले शहर के बीच सड़क पर लोगों को कहीं भी बिठा ले रहे और बीच सड़क पर ही कहीं भी उतारने लग जा रहे हैं. बाइक वाले लहरिया कट चला रहे हैं, पैदल वाले भी बीच सड़क पर चल रहे हैं. सभी की अपनी मर्जी. इसके भुक्तभोगी भी सभी हैं. थोड़ी सी हड़बड़ी और लापरवाही लोगों की जिंदगी पर भारी पड़ रही है, जिले के लोगों की यह आदत, अब आफत बनती जा रही है.

जिले में वाहनों की संख्या बढ़ी,पर सड़कें संकरी

वर्ष 2001 के बाद से जिले की आबादी काफी तेजी से बढ़ी है और इसके साथ चार, तीन और दो पहिया वाहन भी आबादी व जरूरतों के साथ बढ़े हैं, लेकिन एनएच- 19 और एनएच- 219 को छोड़ दिया जाये, तो अधिकांश सड़कें उस हिसाब से अबतक नहीं बढ़ पायी है. कुछ सड़क व पुल जरूर बने मगर वाहनों का दबाव इतना है, कि ये भी बेअसर दिख रहे हैं. खासकर शहर में ऑफिस आवर, पर्व- त्योहारों और शादी ब्याह के सीजन में तो मानों सड़क पर निकलना ही गुनाह हो जाता हैं. शहर का एकता चौक, मुंडेश्वरी सिनेमा हॉल, कचहरी रोड, जेपी चौक, पटेल चौक, वन विभाग के समीप व मोहनियां के बस स्टैंड, स्टूवरगंज सहित एनएच- 19 पर स्थित दुर्गावती, कुदरा, पुसौली के कई इलाकों में भीषण जाम की समस्या उत्पन्न हो जाती हैं. इन स्थानों पर जहां थोड़ी सी भी खाली सड़क मिली, लोग बेतरतीब ढंग से गाडियां भगाने लगते हैं, जिसका नतीजा हादसे के रूप में सामने आता है.

लोगों को भी समझनी होगी अपनी जिम्मेदारी

ट्रैफिक नियमों के पालन को लेकर लोगों में भी जिम्मेदारी का अहसास नहीं है. आमतौर पर अधिकतर वाहन चालक न तो हेलमेट का प्रयोग करते हैं और न ही सीट बेल्ट बांधते हैं. जांच में बस वो फाइन देकर पल्ला झाड़ लेते हैं, लेकिन ट्रैफिक नियम को लेकर लोगों को भी जागरूक होना होगा और महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखना होगा. तभी सड़क दुर्घटना सहित ट्रैफिक नियमों का पालन सुनिश्चित हो पायेगा.

जनवरी में 15, तो फरवरी में हुई हैं सबसे अधिक 33 मौतें

माह – मौत

जनवरी- 15फरवरी- 33मार्च- 18अप्रैल- 16मई- 30जून- 21जुलाई-17अगस्त- 17सितंबर- 20अक्तूबर- 13जनवरी से अक्तूबर तक कुल मौतें – 167

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